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खरगोन

मप्र का खरगोन जिला जहां कोरोना ने मचाया है कोहराम, ऐसे में मुक्तिधाम के यह नजारे उड़ा रहे होश

सरकारी आंकड़ों में कोरोना से आखिरी मौत 27 मार्च को, मुक्तिधाम में इसके बाद छह संदेही संक्रमित लोगों का हुआ शव दाह -31 मार्च को चार शव विशेष पन्नी में रखकर जलाए गए, गुरुवार रात को भी दो दाह संस्कार हुए, लापरवाही इतनी की जिस किट में शव उसे बाहर ही छोड़ा, सफाईकर्मियों ने जलाया

खरगोनApr 02, 2021 / 07:32 pm

Gopal Joshi

Khargone district of Madhya Pradesh, where Corona has created chaos

खरगोन. इस तरह खुले में पटक गए किट।

खरगोन.
कोरोना महामारी से जान गंवाने वालों की संख्या को लेकर सरकारी आंकड़े हकीकत से मेल नहीं बैठा पा रहे हैं। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक महामारी से आखिरी मौत २७ मार्च को हुई थी, लेकिन स्थानीय मुक्तिधाम में इसके बाद संदेहास्पद ढंग से छह लोगों का दाह संस्कार किया गया। यह शव विशेष पन्नी में बंद थे। इसमें चार शव ३१ मार्च को जलाए गए जबकि दो शवों को अंतिम संस्कार गुरुवार रात को हुआ है। गुरुवार रात को हुए अंतिम संस्कार के बाद बॉडी को जिस विशेष किट में लाया गया उसे वहीं खुले में छोड़ दिया गया। मुक्तिधाम के सफाईकर्मियों ने उसे बाद में जलाया। संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों के बीच यह लापरवाही भारी पड़ सकती है। कायदे से बॉडी वाली किट को या तो जलाया जाना चाहिए या जिला अस्पताल प्रबंधन के सुपुर्द लगाना चाहिए।
महामारी की दूसरी लहर ने लोगों फिर से खौफजदा किया है। लगातार मरीज सामने आ रहे हैं। बीते पांच दिनों में ही ५२६ मरीज सामने आ चुके हैं। वैसे तो स्वास्थ्य विभाग हेल्थ बुलेटिन जारी कर रोजाना के आंकड़े दर्शा रहा है लेकिन इन आंकड़ों को हकीकत ने जुदा कर दिया। जिला मुख्यालय के मुक्तिधाम पर होने वाले दाह संस्कार सरकारी आंकड़ों को झूठा साबित करने वाले हैं। हेल्थ बुलेटिन के अनुसार संक्रमण से ११९वीं मौत खरगोन के झंडा चौक निवासी 52 वर्षीय पुरूष के रूप में 27 मार्च को हुई थी।
न स्वास्थ्य कर्मी न कोई बंदोबस्त
नियम के मुताबिक संक्रमित शव के साथ जिला अस्पताल का स्टॉफ जाता है। परिवार सदस्यों को भी विशेष किट दी जाती है, लेकिन यहां नियमों की अनदेखी की जा रही है। जानकारी के मुताबिक ३१ मार्च की सुबह करीब ४ शवों का दाह संस्कार हुआ। यह शव विशेष किट में बंद थे। संभवत: संक्रमित थे, लेकिन शवों का दाह संस्कार करने के लिए परिजन ही आए।
खुले में उड़ती रही किट, फूल मालाएं
गुरुवार रात को भी दो शवों का दाह संस्कार हुआ। शुक्रवार सुबह जब मुक्तिधाम के कर्मचारी पहुंचे तो वहां काले रंग की किट खुले में पड़ी मिली। शवों पर चढ़ाए गए फूल भी बिखरे थे। हालांकि बाद में सामग्री को कर्मचारियों ने ही जलाया।
अफसरों ने कहा- नियमों का हो रहा पालन
सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ डॉ. सुनील वर्मा का कहना है कि संक्रमित व्यक्ति की जहां मौत होती है वहीं संस्कार करते हैं। बॉडी को सेनेटाइज करते हैं, विशेष रूप से किट में बंद कर देते हैं। संक्रमित शव के साथ स्टॉफ मुक्तिधाम जाता है। परिजन को अंतिम क्रिया के लिए ले जाते हैं। उन्हें भी किट देते हैं। जिले में संक्रमित शवों के दाह संस्कार को लेकर नियमों का पालन किया जा रहा है। उधर, सीएमएचओ डॉ. एसके सरल का कहना है शव परिजनों को देने के बाद हमारा कर्मचारी नहीं जाता, परिजनों को समझा देंगे इस तरह की लापरवाही न करें।
पत्रिका ने पहले भी उठाया था मुद्दा
३१ मार्च को भी इसी तरह मुक्तिधाम में संदेहास्पद चार शवों का अंतिम संस्कार हुआ था। इस लापरवाही को पत्रिका ने तब भी प्रमुखता से प्रकाशित कर अफसरों का ध्यान खींचा। अब दो दिन बाद ही लापरवाही की पूर्नावृत्ति हुई है।
अलग से होनी चाहिए व्यवस्था
मुक्तिधाम में शवों की इंट्री करने वाले लोकेंद्र सोलंकी ने कहा- संक्रमित मरीजों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था अलग होनी चाहिए। पूर्व में भी प्रशासन को अन्य जगह व्यवस्था करने की मांग की थी, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। यहां रोजाना सामान्य शवदाह भी होते हैं। लापरवाही भारी पड़ सकती है।
परिजनों को देंगे समझाइश
-संक्रमित शव परिजनों को सौंपकर उन्हें समझाया जाता है कि सावधानी से अंतिम संस्कार करें। मुक्तिधाम में यदि किट खुले में फेंकते हैं तो नगरपालिका को देखना चाहिए। आगे से परिजनों को समझाइश देंगे कि किट को सावधानी से नष्ट करें। -डॉ. एसके सरल, सीएमएचओ, खरगोन

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