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22 लाख गठान कॉटन उत्पादन वाला खरगोन सबसे बड़ा जिला

locationखरगोनPublished: Feb 15, 2020 09:19:13 pm

संकट के दौर से गुजरता जीनिंग उद्योग, एक दशक में 9 कारखाने हुए बंद, उद्योगपति बोले-सरकार निवेश की घोषणा के साथ उद्योग बढ़ाने पर भी ध्यान दें

Khargone is the largest district with cotton production

खरगोन मंडी में आया कपास

खरगोन.

सफेद सोने के उत्पादन के लिए विख्यात निमाड़ में नए उद्योग-धंधें स्थापित करने की पहल शुरू नहीं हो पा रही है। इससे क्षेत्र विकास में आगे बढऩे के बजाए पिछड़ता जा रहा है। ये स्थिति तब है, जब सरकार टेक्सटाइल सेक्टर को बढ़ावा देने के दावे कर रही है। प्रदेश में करोड़ों के इन्वेस्ट के साथ युवाओं को रोजगार देने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन हकीकत इससे उलट है। मप्र में 22 लाख गठान कॉटन उत्पादन करने वाले सबसे बड़ा क्षेत्र खरगोन जिला है। किंतु यहां बड़े उद्योग-धंधों का अभाव रहा है। कपड़ा और रेडिमेट उद्योग के नाम पर खरगोन व सनावद एक-एक सूतमिल तथा निमरानी में कपड़ा मिल चल रही है। इससे से ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार मिलने की बात करना बेईमानी होगी। कॉटन व्यापार से जुड़े उद्योगपतियों का कहना है कि टेक्साइटल और फूड प्रोसेसिंग के लिए सरकार द्वारा उद्योगपतियों के साथ जो निवेश का करार हुआ। उससे जमीन पर मूर्तरूप मिलना चाहिए। यह उद्योग ऐसे क्षेत्रों में लगाए जाए, जहां कपास सबसे ज्यादा पैदा हो रहा है। फिलहाल इस ओर विस्तृत कार्ययोजना बनाने की दरकार है।
रेडिमेट हब और कलर प्रोसेस यूनिट
उद्योगपति कैलाश अग्रवाल के अनुसार कपास से कॉटन बनाने में आज हम भले ही आगे है, लेकिन कच्चे माल को खपाने के लिए हमारे पास बाजार उपलब्ध नहीं है। रेडिमेट कपड़ा बनाने तथा कलर प्रोसेस यूनिट आधारित उद्योग स्थापित होता है, तो उससे ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार मिल सकता है। निमाड़ में रेडिमेट हब बनता है, तो इसका फायदा युवाओं को जॉब के रूप में मिलेगा।
इसलिए… एक दशक में 9 फैक्ट्रियां बंद
शहर में 2005 तक 25 जिनिंग फैक्ट्रियां संचालित थीं। लेकिन जैसे-जैसे व्यापारी प्रतिस्पर्धा बढ़ी, वैसे-वैसे जिनिंग उद्योग भी औंधे मुंह गिरा है। अभी 16 फैक्ट्रियां चल रही है। इसमें भी चार से पांच बड़ी फैक्ट्रियों को छोड़ दिया जाए, तो बाकी में प्रोसेसिंग का काम लगभग ठप्प है। वहीं एक दशक में 9 फैक्ट्रियां बंद हो गई। इसकी बड़ी वजह कपास उत्पादन में अपेक्षाकृत बढ़ोतरी कम। वहीं जिनिंग संचालकों के पास पर्याप्त मात्रा में प्रोसेसिंग व अपग्रेडेशन के लिए संसाधन और व्यवस्था नहीं।
इन तीन कारणों से घटा कारोबार
उत्पादन:– व्यवसायिक स्पर्धा के चलते जिनिंग फैक्ट्रियां ज्यादा खुली। उसकी तुलना में उत्पादन नहीं बढ़ा। 2005 में 18 लाख गठान तैयार होती थी। वर्तमान में यह बढ़कर 22 लाख गठान हो गई। 15 साल में चार लाख गठान की बढ़ोतरी।
बाजार:-शहर में संचालित अधिकांश जीनिंगों के अंदर प्रोसेसिंग कर कपास से रई और कांकड़े अलग करने की व्यवस्था। लेकिन कच्चे माल को खपाने केे लिए बाजार नहीं।

आर्थिक:-जिनिंग कारोबार आज के दौर में सबसे ज्यादा जोखिमभरा हो गया है। यह व्यापार के लिए सबसे बड़ी चुनौती। अधिकांश व्यवसायियों ने बैंकों से लोन लेकर कारोबार शुरू किया। व्यापार में उतार-चढ़ाव से नियमित रूप से काम करना मुश्किल।
पांच साल में मंडी में कपास की आवक (क्विंटल में)
वर्ष आवक
2015 8,93,485
2106 12,85,965
2017 12,79,553
2018 15,28,763
2019 8,11,940 (जनवरी 2020 तक)
सरकार से यह उम्मीद
-हर जिले में एक रेडिमेट हब खुले। कारोबार बढऩे से व्यापारियों को लाभ। रोजगार सुलभ होगा।
-अपग्रेडेशन के लिए पहले से संचालित फैक्ट्री में नए उद्योग लगाने की अनुमति प्रदान की जाए।
-स्पीनिंग मिल (छोटी-छोटी ) इकाइयों की स्थापना। इससे कम खर्च में उत्पादन होगा।
-कॉटन से धागा और फिर कपड़ा बनाने की यूनिट। 8 से 10 पॉवरलूम लगाए जाए।
इंस्ट्रीज की सुविधा नहीं
प्रदेश में खरगोन ही ऐसा जिला है, जहां सबसे ज्यादा कपास पैदा होता है। लेकिन बड़ी इंस्ट्रीज अथवा उद्योग की सुविधा नहीं है। निकट भविष्य में इनकी स्थापना होती है, तो निश्चित तौर पर व्यापारी, किसान और युवाओं को फायदा होगा।
रामवीर किरार, मंडी सचिव खरगोन
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