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मंत्रीजी…! मंडी में कब मिलेगी किसानों को सुविधा

locationखरगोनPublished: Jan 15, 2019 09:14:50 pm

करोड़ों का राजस्व देने वाली मंडी में सुविधाओं की अनदेखी, कृषक विश्राम गृह सहित कैटिंग पर लगे ताले, नहीं मिला भोजन, होटलों पर नाश्ता कर काम चल रहे किसान

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अनाज मंडी में बंद पड़ा भोजनालय।

खरगोन.
प्रदेश की चुनिंदा ए ग्रेड की मंडियों में खरगोन की अनाज और कपास मंडी आती हैं। जहां हर साल करोड़ों का राजस्व मिलता हैं। बावजूद यहां किसानों को मिलने वाली सुविधाओं की अनदेखी हो रही हैं। यह स्थिति कई वर्षों से हैं। जिस पर आज तक किसी ने ध्यान नहीं दिया। कृषि मंत्री के गृहजिले में आने वाली इस मंडी की हालत कभी बदलेगी या नहीं, यह बड़ा सवाल हैं। दरसअल, सफेद सोने के गढ़ के रूप में विख्यात निमाड़ क्षेत्र के खरगोन जिले में गेहूं, सोयाबीन, चना और मक्का की भी बंपर पैदावार होती है। हर दिन सैकड़ों किसान अपनी उपज लेकर मंडी परिसर पहुंचते हंै। हजारों क्विंटल उपज के क्रय-विक्रय से मंडी प्रबंधन को हर साल करोड़ों रुपए का राजस्व प्राप्त होता है। किंतु मंडी परिसर में किसानों की सुविधाओं की अनदेखी की जा रही है। किसानों को पेयजल से लेकर ठहरने और खाने तक के लाले पड़ते हंै। लापरवाही का यह आलम बरसों से बदस्तूर जारी है।
बीते पांच वर्षों से नहीं खुला भोजनालय
मंडी में किसानों को सस्ता भोजन भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा। जानकारी के अनुसार शासन द्वारा किसानों को पांच रुपए में सब्जी-पुड़ी उपलब्ध कराने की योजना है, लेकिन हर साल टेंडर प्रक्रिया के बाद भी यहां कोई भोजनालय संचालित होता नहीं दिखाई देता। भोजनालय में भी अधिकांश समय ताला लटका रहता है, जो पिछले पांच वर्षों से नहीं खुला है। यह स्थित अनाज और कपास मंडी दोनों जगह देखी जा सकती है। इसके चलते होटलों पर ही नाश्ता व चाय पीकर किसान काम चल रहे हैं।
तुलावटी-हम्माल संघ की बिल्डिंग पर जमीं धूल
मंडी अधिकारियों की लापरवाही से किसान ही नहीं तुलावटी व हम्माल भी परेशान हैं। इनके लिए बनी बिल्डिंग के बाहर गंदगी जमा हो रही हैं। कमोबेश यही स्थिति कृषक विश्राम गृह की हैं। जो लंबे समय बंद रहता है। इस वजह से किसानों को ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर सोते हुए रात गुजरना पड़ती है।
आठ करोड़ से अधिक का टैक्स, सुविधाओं का संकट
खरगोन मंडी में अभी सीजन के चलते कपास सहित सोयाबीन, चने और गेहूं की बंपर आवक हो रही हैं। साल में आठ से १० करोड़ का राजस्व देने वाली दोनों मंडियों में किसानों को सुविधाएं नहीं रही। साल में कई बार नेता और जनप्रतिनिधि विभिन्न कार्यक्रम के माध्यम से मंडी आते जरूर हैं, लेकिन किसानों पर अब तक किसी ने जोर नहीं दिया। उल्लेखनीय है कि खरगोन मंडी की स्थापना सन् १९५३ में हुई थी। जिसमें प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में किसान उपज बेचने आते हैं।
फैक्ट फाइल
– 8 करोड़ का कारोबार प्रतिदिन मंंडियों में
– 14 करोड़ का राजस्व बीते साल मिला
– 500 वाहन औसतन कपास आवक सीजन में
– 600 के लगभग किसान लेकर पहुंचते है उपज
टेंडर नहीं लिए
मंडी में किसानों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए टेंडर की प्रक्रिया अपनाई गई, लेकिन किसी ने इसमें रुचि नहीं ली। सरकार के जो भी निर्देश होंगे, उसके हिसाब से आगे काम करेंगे।
टीसी पाटीदार, मंडी सचिव
चालू करवाएंगे
मंडी में किसानों को पांच रुपए में भोजन की व्यवस्था मिलना चाहिए। जल्द ही कैटिंग चालू कराएंगे।
अभिषेक गेहलोत, प्रशासक मंडी

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