मंडी में किसानों को सस्ता भोजन भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा। जानकारी के अनुसार शासन द्वारा किसानों को पांच रुपए में सब्जी-पुड़ी उपलब्ध कराने की योजना है, लेकिन हर साल टेंडर प्रक्रिया के बाद भी यहां कोई भोजनालय संचालित होता नहीं दिखाई देता। भोजनालय में भी अधिकांश समय ताला लटका रहता है, जो पिछले पांच वर्षों से नहीं खुला है। यह स्थित अनाज और कपास मंडी दोनों जगह देखी जा सकती है। इसके चलते होटलों पर ही नाश्ता व चाय पीकर किसान काम चल रहे हैं।
मंडी अधिकारियों की लापरवाही से किसान ही नहीं तुलावटी व हम्माल भी परेशान हैं। इनके लिए बनी बिल्डिंग के बाहर गंदगी जमा हो रही हैं। कमोबेश यही स्थिति कृषक विश्राम गृह की हैं। जो लंबे समय बंद रहता है। इस वजह से किसानों को ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर सोते हुए रात गुजरना पड़ती है।
खरगोन मंडी में अभी सीजन के चलते कपास सहित सोयाबीन, चने और गेहूं की बंपर आवक हो रही हैं। साल में आठ से १० करोड़ का राजस्व देने वाली दोनों मंडियों में किसानों को सुविधाएं नहीं रही। साल में कई बार नेता और जनप्रतिनिधि विभिन्न कार्यक्रम के माध्यम से मंडी आते जरूर हैं, लेकिन किसानों पर अब तक किसी ने जोर नहीं दिया। उल्लेखनीय है कि खरगोन मंडी की स्थापना सन् १९५३ में हुई थी। जिसमें प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में किसान उपज बेचने आते हैं।
– 8 करोड़ का कारोबार प्रतिदिन मंंडियों में
– 14 करोड़ का राजस्व बीते साल मिला
– 500 वाहन औसतन कपास आवक सीजन में
– 600 के लगभग किसान लेकर पहुंचते है उपज
मंडी में किसानों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए टेंडर की प्रक्रिया अपनाई गई, लेकिन किसी ने इसमें रुचि नहीं ली। सरकार के जो भी निर्देश होंगे, उसके हिसाब से आगे काम करेंगे।
टीसी पाटीदार, मंडी सचिव
मंडी में किसानों को पांच रुपए में भोजन की व्यवस्था मिलना चाहिए। जल्द ही कैटिंग चालू कराएंगे।
अभिषेक गेहलोत, प्रशासक मंडी