scriptप्रकृति के सम्मुख खड़े होकर बोले दुनिया के विख्यात सरस्वती के वरद पूत्र- देखो आंखें भरी है आंसू-आंसू, कर दो क्षमा इस बार… | Look eyes are full of tears, forgive me this time | Patrika News

प्रकृति के सम्मुख खड़े होकर बोले दुनिया के विख्यात सरस्वती के वरद पूत्र- देखो आंखें भरी है आंसू-आंसू, कर दो क्षमा इस बार…

locationखरगोनPublished: May 24, 2020 09:00:34 pm

Submitted by:

Gopal Joshi

कवियों के कंठ से निकली करुण पुकार…-राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलन सांझा करने वाले कवियों ने कोरोनाकाल में किया नवाचार- अपने-अपने स्थानों से बनाया वीडियो- गाया गीत-5 मिनट 50 सैकंड का यह वीडियो सोशल मीडिया पर संकलित होकर हुआ वायरल, पांच लाख लोगों तक पहुंचा, जिसने भी सुना- रोने पर हुआ मजबूर

Look eyes are full of tears, forgive me this time

देश-दुनिया के 18 कवियों ने एक भावुक प्रार्थना गीत में संजोकर तैयार किया है।

खरगोन.
विकास की अंधी दौड़ में हिस्सेदारी करने वाला मनुष्य यह भूल गया कि उसका अस्तित्व ही प्रकृति से है। प्रकृति नहीं तो जीवन नहीं। जानने-समझने के बाद भी हम अपराध करते गए। लालच में हरियाली को निगल गए। नदियों का आंचल मैला कर दिया। मानवता भूल गए। धारा के विपरित बहने का परिणाम आज कोरोना जैसे दानव के रूप में समस्त मानव समाज के सामने गरज रहा है। जिसने अपराध किया उसे भी और जो अपराधी नहीं है उसे भी असमय अपना ग्रास बना रहा है। आपदा के इस दौर में कहां हमसे भूल हुई, कैसे परिस्थितियां हमारी अग्नि परीक्षा ले रही हैं और अब क्षमा चायना के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इस सार को देश-दुनिया के १८ कवियों ने एक भावुक प्रार्थना गीत में संजोकर तैयार किया है। यह गीत खरगोन के डॉ. शंभुसिंह मनहर ने लीखा है। उनके साथ खरगोन की ही वैशाली सेन ने इसे स्वर दिए हैं। संगीत खरगोन के आरके कल्याण का है। पांच मिनट ५० सैकंड के इस वीडियो में देश-दुनिया के विख्यात कवियों ने प्रकृति के सामने हाथ जोड़कर एक ही विनय की है- देखों आंखे भरी है आंसू-आंसू, कर दो क्षमा इस बार।
डॉ. मनहर बताते हैं यह गीत उन्होंने १५ दिनों में तैयार किया। इसमें डॉ. कुंवर बैचेन, गाजियाबाद, दिव्या माथुर, लंदन ब्रिटेन, डॉ. सुरेश नीरव गाजियाबाद, पद्मश्री सुरेंद्र दुबे, रायपुर, मनोहर मनोज कटनी, गुरु सक्सेना, नरसिंहपुर, डॉ. सुरेश अवस्थी, कानपुर, अनूप भार्गव, न्यूजर्सी, अमेरिका, नीरज दुबे, भोपाल, शिखा वाष्र्णेय लंदन, ब्रिटेन, राजेश चेतन, दिल्ली, मंजीतसिंह फरीदाबाद, डॉ. शंभुसिंह मनहर, खरगोन, तुषा शर्मा, मेरठ, बीएल बत्रा, गाजियाबाद, वैशाली सेन, खरगोन
डॉ. कल्याण कबीर, रांची, आरती पुंडीर उत्तराखंड ने प्रस्तुति दी है।
एक दिन में पांच लाख दर्शकों तक पहुंचा
मनहर ने बताया यह वीडियो उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर २३ मई को रीलिज किया, जो २४ मई की रात ८ बजे तक पांच लाख लोगों तक वाइरल हो गया। इसे देखने वाले भारत में ही नहीं विदेशों में भी है।
ऐसे हैं गीत के बोल…
देखों आंखे भरी है आंसू-आंसू, कर दो क्षमा इस बार….।
सांसे मुश्किल वीष की हवाएं जीना हुआ दुश्वार, देखों आंखें भरी हैं…
नदियां सारी मैली-मैली हमने किए हैं गुनाह, कांटे हरियल पेड़ घनेरे जो देते थे छांव
जाने किसने श्राप दिया है वो ही खड़ा है द्वार, देखो आंखें भरी है
इसको रोए, उसको रोए, कैसे है कोई रोय, मां से पुत भगिनी से भाई दूर खड़े सब कोय
मरना है एक दिन तो सभी को ऐसे तो मत मार, देखो आंखें भरी है…
गलियां सुनी, सुने आंगन, सूने हैं बाजार, पाव बंधे हैं हिल नहीं पाते इतने है लाचार
डूब रही है नाव कन्हैया तू ही खेवनहार रे, देखो आंखे भरी है
जिसने भी सुना आंखों से निकले आंसू
बरसाना कॉलोनी निवासी नीरज जोशी बताते हैं गीत का एक-एक बोल झकझोर देने वाला है। हर एक पंक्ति हमें अपराध बोध कराती है। वह अपराध जो हमने प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर किए हैं और आज उसके परिणाम भी भुगत रहे हैं। अपराधी चंद लोग हो सकते हैं लेकिन इसका असर पूरे मानव जगत पर हुआ है।
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