धर्ममय हुई अहिल्या नगरी, गलियों में गंूजी महामृत्युंजय की गंूज, घाट पर हजारों हाथ उठे आरती के लिए
खरगोनPublished: Jan 13, 2020 07:06:30 pm
महामृत्युंजय भगवान की रथ यात्रा का 14 वां साल, पांच हजार श्रद्धालु हुए शामिल
नर्मदा घाट पर उतारी गई काकड़ाआरती
महेश्वर तीर्थ नगरी महेश्वर में रविवार का सूरज धर्म और आस्था का उजियारा लेकर आया। रविवार को यहां महामृत्युंजय भगवान की रथ यात्रा निकाली गई। यह यात्रा का 14 वां वर्ष था। अपने हाथों से रथ खींचने की होड़ श्रद्धालुओं में नजर आई। करीब पांच हजार श्रद्धालुओं ने शामिल होकर धर्मलाभ लिया। ढलती शाम यात्रा नर्मदा घाट पहुंची तो यहां नर्मदा की स्वरलहरियों के साथ महामृत्युजय मंत्र के जाप गंूजने लगे। आस्था और उमंग से सराबोर इस माहौल में भक्ति गीतों पर श्रद्धालु अपने आप को रोक नहीं पाए और घाट पर ही नृत्य करने लगे। पांच हजार श्रद्धालुओं ने काकड़ाआरती की। मकर संक्रांति के पूर्व रविवार को महेश्वर में महामृत्युंजय भगवान के रथ को खींचने 5000 से अधिक श्रद्धालु महेश्वर पहुंचे। स्वाध्याय भवन से शुरू हुई रथ यात्रा का जगह-जगह स्वागत हुआ। यात्रा में महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया गया वहीं भक्ति गीत पर श्रद्धालुओं ने भक्ति नृत्य भी किया। 2 किलोमीटर की यात्रा शाम 7 बजे नर्मदा तट पहुंची। यहां श्रद्धालुओं ने मां रेवा एवं भगवान महामृत्युंजय की दिव्य आरती हजारों हाथों से की। भगवान की यह आरती अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी आरती है। इसमें 5000 श्रद्धालु एक साथ काकड़ा बत्ती से आरती उतारी।
विश्व मंगल की कामना से निकाली यात्रा
यह यात्रा का 14 वां वर्ष है। विश्व की मंगल कामना के उद्देश्य से यात्रा निकाली जाती है। यात्रा के संयोजक मनस्वी ने बताया सर्व-धर्म समभाव का यात्रा में समावेश होता है। यात्रा का नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि हेमंत जैन, सभी पार्षदों ने स्वागत किया। इस दौरान नगर के अनेक संगठन भी आगे आए। आरती के बाद 5 क्विंटल हलवे का प्रसाद मां रेवा आरती समिति एवं मां नर्मदा भक्त मंडल के सहयोग से बांटी गई। यात्रा में समाज सेवी देवेन्द्र साधौ, धरमपुरी विधायक पाचीलाल मेड़ा शामिल हुए