सैनिक राजेंद्र को ऐसे देख रो पड़ी हर आंख, राजकीय सम्मान से विदाई
15 साल देश सेवा करते हुए दुनिया को अलविदा कह गए राजेंद्र, सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

बड़वाह (खरगोन). आठ दिन की छुट्टी मनाकर दशहरा पर वे हंसी-खुशी ड्यूटी पर गए थे। करवाचौथ पर उनकी लंबी उम्र के लिए पत्नी दिनभर भूखी-प्यासी रहीं पर ईश्वर को तो कुछ और ही मंजूर था। शुक्रवार को नयागांव के सैनिक राजेंद्र पटेल ने देश सेवा करते हुए अंतिम सांस ली। बीएसएफ बटालियन गंगापुर (राजस्थान) में पदस्थ राजेंद्र की असामयिक मौत से पूरे क्षेत्र में मातम पसर गया। जब उनकी पार्थिक देह को गृहग्राम लाया गया तो इस हाल में देख हर आंख रो पड़ी।
रविवार को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। सैनिक के शव को तिरंगे में लपेटकर घर से विदा किया। उन्होंने अपने जीवन के 15 साल देश की रक्षा में बिताए।
बचपन में देखा था सपना
नाया सरपंच भैय्यालाल पटेल ने बताया कि राजेन्द्र गुर्जर को देश की सेवा करने का बचपन से ही शोक था। उसने अपने जीवन के अंतिम क्षण भी इसी में गुजारे। सेना की ड्यूटी के दौरान दम तोड़ा। राजेन्द्र गांव का पहला ऐसा जवान था जो सेना में भर्ती हुआ था। उसकी भर्ती वर्ष 2004 में महू में हुई थी। उसके बाद देश के अन्य प्रांत जम्मू कश्मीर, बिहार, राजस्थान में 15 वर्षो तक सेवा देते हुए उसकी आकस्मिक मौत हो गई। यह खबर सुनकर पूरे गांव सहित निमाड़ में शौक की लहर छाई।
पिता को किया था अफसर ने फोन
सैनिक के काका गेंदालाल पटेल एवं मामा पप्पू पटेल ने बताया कि राजेन्द्र के पिता रामेश्वर पटेल को शुक्रवार सुबह गंगापुर सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का दूरभाष आया। उन्होंने बताया कि राजेन्द्र की अचानक तबियत खराब होने के कारण निजी हॉस्पिटल लाया गया। जहां उसने दम तोड़ दिया है। उसके बाद उसके शव का पोस्टमार्टम कर सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा सेना के वाहन में राजकीय सम्मान के साथ ग्रहग्राम नाया में लाया। रविवार को परिवारजनों के अंतिम दर्शन करने के पश्चात नावघाट खेड़ी स्थित नर्मदा तट पर अंतिम संस्कार किया।
पार्थिव देह पहुंचते ही गांव में मातम छा गया
रविवार सुबह 9 बजे राजेन्द्र पटेल का पार्थिव शरीर गृहग्राम नाया में सेना के अधिकारियों द्वारा सैनिक वाहन में लाया गया। शव देख आसपास से आए सैकड़ों ग्रामीणजनों की आंखे नम हो गई। सोशल मीडिया पर राजेन्द्र पटेल को हजारों लोगों ने श्रद्धांजलि दी।
8 दिन छुट्टी के बाद ड्यूटी पर लौटे थे
यशवंत मंडलोई ने बताया कि राजेन्द्र नवरात्रि व दशहरा पर्व पर 8 दिवस की छुट्टी लेकर घर आया था। पत्नी ने उसकी लम्बी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। राजेन्द्र के दो बच्चे हैं। पिता गृहग्राम में कृषक का काम करते है।
एक अच्छा मित्र खो दिया
जगदीश राठौड़ सोहनलाल प्रजापत, अनिल पंवार, जितेंद्र गुर्जर ने बताया कि राजेन्द्र हमारा बचपन का साथी था। विगत 15 वर्ष पूर्व उसकी सेना में पदस्थ होने के बाद भी जब भी छुट्टियों में आता था तो हमारे साथ देश के अन्य प्रांतों में डयूटी की चर्चा करता रहता था। उसके दिलो दिमाग में वतनपरस्ती थी। हमेशा से ही देश की सेवा करते हुए अपनी जान न्यौछावर करने की बात करता रहता था। उसके रिटायरमेंट में भी 3 -4 वर्ष अभी बचे हुए थे।
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