scriptगजब है एमपी- मध्यप्रदेश के इस जिले में आदिवासी अंचल में स्कूली बच्चों से कराई जा रही मजदूरी | MP Tribal Areas school children in laborer Work | Patrika News

गजब है एमपी- मध्यप्रदेश के इस जिले में आदिवासी अंचल में स्कूली बच्चों से कराई जा रही मजदूरी

locationखरगोनPublished: Jun 21, 2019 11:37:47 am

50 बाल श्रमिकों को रेस्क्यू कर छुड़ाया, चाइल्ड लाइन और पुलिस की बड़ी कार्रवाई, 14 से 16 वर्ष की 22 लड़कियां भी शामिल

MP Tribal Areas school children in laborer Work

खरगोन में बाल कल्याण समिति सदस्यों द्वारा की जा रही काउंसलिंग

खरगोन.
मप्र के खरगोन जिले में आदिवासी अंचल छोटी उम्र के बच्चों से मजदूरों की तरह काम लिया जा रहा है। इनमें कई बच्चे स्कूल छोड़कर मजदूरी करने को मजबूर है। शुक्रवार को चाइल्ड लाइन और पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए 50 बच्चों को ठेकेदारों के चंगुल से छुड़ाया है। जिले में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। शुक्रवार सुबह चाइल्ड लाइन से जुड़े सदस्यों को सूचना मिली थी कि भगवानपुरा क्षेत्र में कुछ लोग बाल श्रमिकों को मजदूरी के लिए ले जा रहे हैं। इन बच्चों को ठेकेदार तीन पिकअप भरकर खेतों और मकानों में मजदूरी के लिए ले जाया जा रहा थे। जिन्हें पुलिस की मदद से छुड़ाया गया। इस कार्रवाई के बाद ठेकेदार फरार हो गए। बड़ी बात यह है कि बाल श्रमिकों में 22 लड़कियां भी शामिल हैं, जिनकी उम्र 14 से 16 साल के बीच हैं। 20 बच्चे स्कूल छोड़कर मजदूरी करने जा रहे थे। इन सभी को खरगोन लगाकर बाल कल्याण समिति को हेडओवर किया गया है। जहां बच्चों सहित उनके परिजनों की काउंसलिंग की जा रही है।
तीन दिन तक की रेकी, जिसके बाद कार्रवाई को दिया अंजाम
बाल श्रमिकों से मजदूरी कराने के मामले का भंडाफोड़ करने के लिए चाइल्ड लाइन सहित पुलिस द्वारा तीन दिन तक रेकी गई। जिसके बाद कार्रवाई को अंजाम दिया गया। मंथन सहारा चाइल्ड लाइन सेंटर मैनेजर- स्वप्लिन व्यवहार ने बताया कि आदिवासी अंचल में बड़ी संख्या में बाल श्रमिकों से काम लिया जा रहा है। खेतों के अलावा निर्माण कार्यों में बाल श्रमिक काम कर रहे हैं। कार्रवाई में टीम लीडर शीतल सोलंकी, थानसिंह वास्कले, रविंद्र सानेर और भूरेलाल कनासे सहित बिस्टान टीम ने सहयोग दिया।
किताब-कॉपी छोड़ मजदूरी करने को विवश
जिन हाथों में किताब-कॉपी और बस्ता होना चाहिए, वे बच्चे मजदूरी करने को मजबूर है। कुछ बच्चों ने बताया कि किताब-कॉपी खरीदने के लिए पैसे नहीं है। इसलिए स्कूल छोड़ दी और घर की जिम्मेदारी उठाते हुए खुद को मजदूरी में झोंक दिया। ऐसे करीब २० बच्चे हैं, जो स्कूल छोड़ काम में जुटे है। यह सुबह ७ बजे शाम ४ बजे तक मजदूरी करते हैं।
डबल मजदूरी का लालच देते है ठेकेदार
चाइल्ड लाइन से जुड़े सदस्यों ने बताया कि क्षेत्र में कई ठेकेदार है, जो मजदूरों को भाड़े पर गांवों से ले जाते हैं। यह डबल मजदूरी का लालच देते हैं। जिनके झांसे में भोलेभाले ग्रामीण और बच्चे आ जाते हैं। कई बार इसकी शिकायत भी प्रशासनिक आला अधिकारियों से की गई।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो