तीन दिन तक की रेकी, जिसके बाद कार्रवाई को दिया अंजाम
बाल श्रमिकों से मजदूरी कराने के मामले का भंडाफोड़ करने के लिए चाइल्ड लाइन सहित पुलिस द्वारा तीन दिन तक रेकी गई। जिसके बाद कार्रवाई को अंजाम दिया गया। मंथन सहारा चाइल्ड लाइन सेंटर मैनेजर- स्वप्लिन व्यवहार ने बताया कि आदिवासी अंचल में बड़ी संख्या में बाल श्रमिकों से काम लिया जा रहा है। खेतों के अलावा निर्माण कार्यों में बाल श्रमिक काम कर रहे हैं। कार्रवाई में टीम लीडर शीतल सोलंकी, थानसिंह वास्कले, रविंद्र सानेर और भूरेलाल कनासे सहित बिस्टान टीम ने सहयोग दिया।
बाल श्रमिकों से मजदूरी कराने के मामले का भंडाफोड़ करने के लिए चाइल्ड लाइन सहित पुलिस द्वारा तीन दिन तक रेकी गई। जिसके बाद कार्रवाई को अंजाम दिया गया। मंथन सहारा चाइल्ड लाइन सेंटर मैनेजर- स्वप्लिन व्यवहार ने बताया कि आदिवासी अंचल में बड़ी संख्या में बाल श्रमिकों से काम लिया जा रहा है। खेतों के अलावा निर्माण कार्यों में बाल श्रमिक काम कर रहे हैं। कार्रवाई में टीम लीडर शीतल सोलंकी, थानसिंह वास्कले, रविंद्र सानेर और भूरेलाल कनासे सहित बिस्टान टीम ने सहयोग दिया।
किताब-कॉपी छोड़ मजदूरी करने को विवश
जिन हाथों में किताब-कॉपी और बस्ता होना चाहिए, वे बच्चे मजदूरी करने को मजबूर है। कुछ बच्चों ने बताया कि किताब-कॉपी खरीदने के लिए पैसे नहीं है। इसलिए स्कूल छोड़ दी और घर की जिम्मेदारी उठाते हुए खुद को मजदूरी में झोंक दिया। ऐसे करीब २० बच्चे हैं, जो स्कूल छोड़ काम में जुटे है। यह सुबह ७ बजे शाम ४ बजे तक मजदूरी करते हैं।
जिन हाथों में किताब-कॉपी और बस्ता होना चाहिए, वे बच्चे मजदूरी करने को मजबूर है। कुछ बच्चों ने बताया कि किताब-कॉपी खरीदने के लिए पैसे नहीं है। इसलिए स्कूल छोड़ दी और घर की जिम्मेदारी उठाते हुए खुद को मजदूरी में झोंक दिया। ऐसे करीब २० बच्चे हैं, जो स्कूल छोड़ काम में जुटे है। यह सुबह ७ बजे शाम ४ बजे तक मजदूरी करते हैं।
डबल मजदूरी का लालच देते है ठेकेदार
चाइल्ड लाइन से जुड़े सदस्यों ने बताया कि क्षेत्र में कई ठेकेदार है, जो मजदूरों को भाड़े पर गांवों से ले जाते हैं। यह डबल मजदूरी का लालच देते हैं। जिनके झांसे में भोलेभाले ग्रामीण और बच्चे आ जाते हैं। कई बार इसकी शिकायत भी प्रशासनिक आला अधिकारियों से की गई।
चाइल्ड लाइन से जुड़े सदस्यों ने बताया कि क्षेत्र में कई ठेकेदार है, जो मजदूरों को भाड़े पर गांवों से ले जाते हैं। यह डबल मजदूरी का लालच देते हैं। जिनके झांसे में भोलेभाले ग्रामीण और बच्चे आ जाते हैं। कई बार इसकी शिकायत भी प्रशासनिक आला अधिकारियों से की गई।