नंदकुमार चौहान के निधन से निमाड़ की राजनीति में आया ठहराव, भाजपा ही नहीं कांग्रेसी नेता भी शोक में डूबे
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव बोले-सरल और सहज स्वभाव के धनी नंदभैय्या, हमेशा मिला उनका आशीर्वाद, दलगत राजनीति से उठकर किया काम

खरगोन.
भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार चौहान के निधन से निमाड़ की राजनीति में ठहराव आ गया। मंगलवार को जैसे ही उनके निधन की सूचना मिली, हर तरह मायूसी और उदासी छा गई। खरगोन में भाजपा कई बड़े नेता और जनप्रतिनिधियों के साथ उनका सीधा जुड़ाव था। चुनाव में उनके प्रतिद्वंदी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेसी नेता अरुण यादव ने भी निधन पर दु:ख जताया। यादव ने कहा नंदु भैय्या के निधन से बड़ी क्षति हुई है। वह हमेशा दल गत राजनीति से ऊपर उठकर काम करते थे। सरल और सहज स्वभाव के धनी चौहान ने सभी को साथ लेकर काम किया। राजनीति के रण में दोनों एक-दूसरे के चिर-प्रतिद्वंदी रहे। 2009, 2014 और 2109 में लोकसभा चुनाव चौहान और अरुण यादव का आमना-सामना हुआ। इसमें एक बार अरुण यादव और दो बार नंदकुमार चौहान की जीत हुई। प्रचार-प्रसार के दौरान एक-दो ऐसे मौके आए, जब दोनों आपस में मिले। यादव ने बड़ी सहजता के साथ उनके पैर छुए लिए। चौहान ने भी उनके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। यादव का कहना है कि वह नंदकुमार चौहान को पिता तुल्य मानते थे। हमेशा उनका आशीर्वाद मिलता रहा। वह मार्गदर्शन भी थे।
राजनीति मंच पर दिखाई देता था द्वंद्व
राजनीति में चौहान और अरुण यादव दोनों प्रतिद्वंद्वी रहे। एक समय ऐसा था, जब चौहान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष और अरुण यादव कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे। इसलिए चुनावी सभा हो या राजनीतिक कार्यक्रम शब्द रूपी बाणों से वह एक-दूसरे पर हमला बोलने से कभी पीछे नहीं हटे। अरुण यादव ने उनके जीवन से जुड़ा एक किस्सा सुनाते हुए बताया कि 2016-17 में इंदौर में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। चौहान भाजपा सरकार की तारीफों के कसिदे सुना रहे थे। मैंने उनकी हर बात को काटा और खूब कटाक्ष किए। लेकिन उन्होंने बुरा नहीं मना। कार्यक्रम के समापन पर जब होटल में हम दोनों फिर से मिलें, तो चौहान ने बड़ी उदारता से कहा- आज तुम (अरुण) अच्छा बोले। वेलडन, किपइट अप...।
कांग्रेस सरकार में हुआ था बड़ा आंदोलन
खरगोन के पूर्व विधायक व पूर्व कृषि राज्यमंत्री बालकृष्ण पाटीदार ने बताया कि चौहान छात्र जीवन से सक्रिय रहे। उन्होंने राजनीति के साथ-साथ समाजसेवा भी की। 2002 में खरगोन जिले में बहुत कम बरसात हुई। तब नंदु भैय्या के नेतृत्व में भी निमाड़ के चारों जिले के किसानों के साथ धरना आंदोलन किया गया। इसी के परिणाम रहा कि सरकार को क्षेत्र को सूखा घोषित करना पड़ा।
पत्रिका के अमृतम्-जलम् अभियान का हिस्सा बने थे नंदु भैय्या
खंडवा सांसद नंदकुमार चौहान पत्रिका के सामाजिक सरोकार के आयोजनों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। अमृतम्-जलम् अभियान के तहत सनावद में उन्होंने दो बार श्रमदान कर लोगों को जल जलस्रोतों को बचाने और संरक्षण प्रदान करने का संदेश दिया था।
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