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खरगोन. कोरोना की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयास सार्थक होते नजर आ रहे हैं। जिले में बीमारी पर कुछ हद तक अंकुश लगा है। तकरीबन तीन महीने बाद बुधवार को ऐसा मौका आया, जब जिला अस्पताल में एक भी नए पॉजिटिव मरीज भर्ती नहीं हुआ और ना ही इंदौर रेफर किया गया। इसके चलते डॉक्टरों सहित स्टॉफ ने भी राहत की सांस ली है। उल्लेखनीय है कि अप्रैल व मई के प्रथम सप्ताह में जब कोरोना पीक पर था, उस समय तीन सौ बेड़ के अस्पताल में क्षमता से अधिक मरीज भर्ती थे। कई मरीजों को इलाज के लिए परेशान भी होना पड़ा। लेकिन अब स्थित तेजी से सुधर रही है। बुधवार को 291 बेड खाली थे। सिविल सर्जन डॉ. दिव्येश वर्मा ने बताया कि सामूहिक प्रयासों से ही बीमारी को फैलने से रोकने में सफलता मिली है। अस्पताल में डॉक्टरों सहित स्टॉफ ने दिन-रात मरीजों का उपचार किया। अस्पताल के अलावा उमरखली रोड स्थित कोविड सेंटर में भी बुधवार को नए मरीज की इंट्री नहीं हुई। जिला चिकित्सालय में छह पॉजिटिव मरीज भर्ती है और उनका उपचार चल रहा है। इसके अलावा 13 संदिग्ध मरीज, एक आइसोलेशन पॉजिटिव, चार आइसोलेशन संदिग्ध, एक पॉजिटिव मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर 7 संदिग्ध मरीज ऑक्सीजन पर है। वहीं आइसीयू में छह मरीज भर्ती है। इनमें 4 पॉजिटिव मरीज और 2 संदिग्ध शामिल है।
इधर, पुलिस कार्रवाई में जब्त इंजेक्शन का नहीं हुआ समाधान
आपदा के दौर में जीवन रक्षक रेमडेसिविर की कालाबाजारी भी जमकर हुई। खरगोन और बलकवाड़ा पुलिस ने अलग-अलग कार्रवाई करते हुए 12 रेमडेसिविर जब्त किए थे। यह इंजेक्शन अभी तक पुलिस कस्टडी में रखे हुए हैं। बलकवाड़ा थाने में इंजेक्शन रखने के लिए पुलिस को फ्री खरीदना पड़ा। मालूम हो कि पिछले महीने हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए थे कि मरीजों के हित में इंजेक्शन स्वास्थ्य विभाग को सौंपे जाएंगे। आदेश पर अभी तक अमल नहीं हुआ। सीएमएचओ डीएस चौहान का कहना है कि अभी तक लिखित में कुछ नहीं मिला। आदेश आने पर पत्रचार किया जाएगा।