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लोगों ने ट्री गॉर्ड में लगाए पौधे वह पेड़ बने, लोहे की जंजीरों में जकड़े

locationखरगोनPublished: Jun 21, 2021 05:54:37 pm

Submitted by:

Jay Prakash Sharma

सनावद के रशीद जोया ने शुरू किया अभियान, औसत 15 से 20 पेड़ों की काट रहे जालियां, जालियों को काटकर मुक्त करने जुटे पिता-पुत्र

plantation in khargone

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खरगोन/सनावद. वर्षों पहले लोगों ने पौधरोपण किया और उनकी सुरक्षा के लिए लोहे के ट्री गॉर्ड लगा दिए। लेकिन बाद में इन्हें निकालना भूल गए। पौधे समय के साथ बड़े होकर विशाल पेड़ का आकार ले चुके हैं। अब लोहे की जालियां उन पेड़ों के लिए जंजीरों से कम नहीं। लोहे की मकड़ जाल में उलझे इन पेड़ों को मुक्त करने का बीड़ा सनावद के पिता-पुत्र ने उठाया है। वह रोजाना शहर व आसपास के इलाकों में घुमते हैं और लोहे की जालियों में जकड़े पेड़ों को मुक्त करा रहे हैं। बंधन से मुक्त हुए पेड़ों को देख अब लोग भी खुशी जाहिर करने लगे हैं।
सनावद के समाजसेवी रशीद जोया ने बताया कुछ पेड़ लोहे की जाली के कसाव से सूखनेे लगे थे। यह देखकर इन्हें मुक्त कराने की प्रेरणा मिली और काम शुरू कर दिया। बीते करीब 15 दिनों से लगातार युवा शहर व आसपास के इलाकों में घुमते हैं और लोहे की जालियों से घीरे पेड़ों को सुरक्षा दे रहे हैं। अब तक कई पेड़ों से जालियां हटा चुके हैं।
खुद ने की शुरुआत
जोया ने बताया इस काम की शुरुआत पहले तो उन्होंने अकेले ही की। लेकिन अब बेटा अमान भी दिलचस्पी लेने लगा है। दोनो पिता-पूत्र रोजाना इलेक्ट्रीक कटर लेकर शहर में निकल जाते हैं। जोया ने बताया एक पेड़ को जाली से मुक्त करने में करीब एक से डेढ़ घंटे का समय भी लगता है।
कई पेड़ कसावट से सूखे
जोया ने बताया अभियान के दौरान कई पेड़ ऐसे भी मिले जो लोहे की जालियों में फंसने लगे थे। कोशिकाएं कटने से वह सूख गए। अब आलम यह है कि लोग फोन लगाकर ऐसे पेड़ों की जानकारी दे रहे हैं। सूचना मिलते ही पिता-पूत्र मौके पर जाकर पेड़ों के आसपास लगी जालियों को काट रहे हैं।
तना कमजोर पड़ता है
लोहे की जालियों की कसावट इतनी मजबूत हो जाती है कि तने की कोशिकाएं कट जाती हैं। जब तक पौधा लगाते हैं तो वह जैसे-जैसे बढ़ेगा तने की द्वितीयक वृद्धि भी होगी। इसमें तने की चौड़ाई बढ़ती है। जाली से यह ग्रोथ रुक जाती है और पेड़ सूखने लगता है। लोगों को चाहिए कि वह पौधरोपण करते समय ट्री जरूर लगाए लेकिन समय के साथ उसे निकाल भी दें।
-पुष्पा पटेल, पर्यावरणविद, खरगोन
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