खरगोन

बेबसी…महीनेभर पहले परिचित ने दी बाड़े में जगह, अब सिर छुपाने के लिए किराए के घर की तलाश

खसखसवाड़ी में हसीना बी के पीएम आवास को अतिक्रमण बताकर प्रशासन ने तोड़ा था, कार्रवाई के सप्ताहभर पहले ही 50 हजार की किश्त जमा हुई थी

खरगोनMay 15, 2022 / 04:16 pm

हेमंत जाट

मजदूरी मिलने का इंतजार करते अमजद

खरगोन.
शहर में 10 अप्रैल को भड़की दंगों की आग की लपटों में कई लोगों के घर उजड़ गए। तो वहीं खसखवासड़ी में विधवा हसीना फाखरू बी के मकान को प्रशासन ने जेसीबी लगाकर तोड़ दिया था। जिसके पीछे अधिकारियों ने दलील दी थी कि मकान अतिक्रमण में बना था। इसलिए तोड़ागया। उक्त मकान पीएम आवास योजना के तहत बनाया गया था। जिसके लिए पीडि़ता को शासन से तीन किश्तों में ढाई लाख रुपए की राशि भी दी गई। अंतिम किश्त 4 अप्रैल को मिली और 11 अप्रैल को महिला का मकान टूटा था। ऐसे में प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। 65 वर्षीय हसीना बी के बड़े बेटे अमजद ने बताया कि मकान टूटने के बाद हम बेघर हो गए। दो-तीन दिन परिवार को खुले में गुजारना पड़े। इसी बात पर तरस खाकर मुकीम दा जो खसखसवाड़ी में रहते हैं, उन्होंने बाड़े में रहने की जगह दे दी। रमजान का चल रहा था। इसलिए उन्होंने रहने के पैसे नहीं लिए। अब यहां से दूसरी जगह जाने के लिए किराए का घर तलाश रहे हैं। अमजद ने बताया कि प्रशासन ने द्वेषभावना से उसका घर तोड़ा। जबकि उसका कोई कसूर नहीं है। मकान सरकारी जमीन पर बना होने पर नपा ने नोटिस दिया। इसी बीच 4 अप्रैल को 50 हजार की किश्त भी जमा कर दी। फिर सात दिन बाद ही मकान तोड़ दिया।
मां बीमार, घर चलाने के लिए मजदूरी

अजमद ने बताया कि उसकी मां ब्लड प्रेशर और शूगर की पेंसट है। वह पढ़ा-लिखा भी नहीं है। घर चलाने के लिए हम्माली करता हैं। जिससे परिवार का गुजर-बसर होता है। शनिवार को भी दिनभर हाड़ तोड़ मेहनत करने पर 80 रुपए मजदूरी मिली। जैसे-तैसे एक घर बना था, वह भी हाथ से चला गया। इस संबंध में नपा सीएमओ प्रियंका पटेल से चर्चा संपर्क किया गया, तो उन्होंने काल अटेंड नहीं किया।

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