गर्भवती महिला के भाई दिलीप ने बताया की उसने बहन की हालत देखकर मित्र अनिल तंवर से १०८ के लिए फोन लगाया था। यह फोन सुबह ९ बजे लगाया गया। तब सूचना मिली कि एंबुलेंस खरगोन गई हैं। इसके बाद दिलीप बहन को बाइक पर बैठाकर गोगावां के लिए आने लगा। लेकिन प्रसव पीड़ा अधिक होने के कारण बाइक को रास्ते में रोकना पड़ी। बाद में महिला की सड़क पर डिलेवरी हो गई।
गोगावां तहसील मुख्यालय होने पर यहां एक दर्जन से अधिक गांवों के मरीज इलाज के लिए सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं। प्रतिदिन करीब २०० मरीज इलाज के लिए आते हैं, किंतु सुविधाएं नाम मात्र की नहीं मिल पा रही है।
गोगावां हॉस्पिटल की एंबुलेंस खराब हैं। ड्राइवर अस्पताल में अटैच है। अभी एकमात्र १०८ चल रही हैं, जो मंगलवार को एक अन्य पेसेंट को लेकर जिला अस्पताल गई थी। इसलिए वाहन समय पर उपलब्ध नहीं हो पाया।