जिले में भगवानपुरा का विद्यालय पिछले सात माह से कागजों पर ही चल रहा है। प्रधानपाठक ने शाला को बिना सूचना बंद कर दिया..यहां पदस्थ शिक्षकों को अन्यत्र अटैच करवा दिया …. खुद उसी शाला में प्रधानपाठक के नाम पर वेतन ले रहे हैं। शाला भवन में मवेशियों का चारा और ग्रामीणों की उपज भरी है।
खरगोन. जिले में एक विद्यालय पिछले सात माह से कागजों पर ही चल रहा है। शाला को बिना सूचना बंद करने का आरोप प्रधानपाठक पर लगा है। प्रधानपाठक ने धीरे-धीरे यहां पदस्थ शिक्षकों को अन्यत्र अटैच करवा दिया खुद उसी शाला में प्रधानपाठक के नाम पर वेतन ले रहे हैं। शाला भवन में मवेशियों का चारा और ग्रामीणों की उपज भरी पड़ी है। देखरेख के अभाव में लाखों रुपए में निर्मित शाला भवन जर्जर होने की कगार पर है। मामला जिले के भगवानपुरा विकासखंड में सामने आया है। यहां के एक प्राथमिक विद्यालय के प्रधानपाठक ने ही विद्यालय बंद करवा दिया। इतना ही नहीं यहां पदस्थ शिक्षकों को भी प्रधानपाठक ने अन्यत्र अटैच कर दिया। सात माह से बंद विद्यालय की किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने सुध नहीं ली।
यह है मामला जिले के वनवासी बहुल भगवानपुरा विकासखंड में देवला संकुल केंद्र के अंतर्गत मोरीफलिया का प्राथमिक विद्यालय संचालित होता था। यहां 16 बच्चे अध्ययनरत थे। सात माह पूर्व यहां पदस्थ प्रधानपाठक मदन डूडवे ने विद्यालय पर ताले डलवा दिए व स्वयं के आदेश पर यहां पदस्थ दो शिक्षकों को अन्यत्र पदस्थ करवा दिया। विद्यालय बंद होने के बाद कुछ बच्चों ने पढऩा ही छोड़ दिया व आठ बच्चे बचे थे उनको समीपस्थ नानकराम फलिया प्राथमिक विद्यालय में भेज दिया गया।
कोई अधिकारी नहीं पहुंचाग्राम का प्राथमिक विद्यालय बंद होने की सूचना किसी भी अधिकारी के पास नहीं थी। इस मामले ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की कार्यप्रणाली की भी पोल खोलकर रख दी है। सात माह से बंद विद्यालय में किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने निरीक्षण करना या इसका कारण जानने की जहमत तक नहीं उठाई। बीईओ, बीआरसी, सहायक आयुक्त, डीपीसी या अन्य कोई प्रशासनिक अधिकारी इस स्कूल तक पहुंचा ही नहीं।
यह है नियम
किसी भी विद्यालय को बंद करने के लिए विद्यालय प्रभारी व पालक-शिक्षक संघ द्वारा प्रस्ताव पारित किया जाता है। यह प्रस्ताव जनशिक्षक के माध्यम से बीआरसी को भेजा जाता है। बीआरसी से जिला परियोजना अधिकारी से होते हुए कलेक्टर के सम्मुख रखा जाता है। कलेक्टर की अनुशंसा पर ही विद्यालय बंद करने का निर्णय लिया जाता है।
मेरे अधिकार में नहीं– स्कूल बंद होने की सूचना देने की जिम्मेदारी बीआरसी की थी। प्रधानपाठक को स्कूल बंद करने का कोई अधिकार नहीं है। इस संबंध में डीपीसी ही कार्रवाई कर सकते हैं।
दिनेश मुजाल्दे, विकासखंड शिक्षा अधिकारी
मांगा है मार्गदर्शन…– शासन के रिकॉर्ड में यह स्कूल बंद नहीं है। प्रधानपाठक स्कूल बंद नहीं कर सकते। इस विद्यालय के 8 बच्चों को नानकराम फलिया के स्कूल में मर्ज किया है।
कमल मंडलोई, डीपीसी, खरगोन