खरगोन

दो साल में पांच सौ सांपों को रेस्क्यू कर पकड़ा, सुरक्षित जंगलों में छोड़ा

अनूठा जुनून…युवाओं की सर्प मित्र टीम जुटी में सांपों के संरक्षण में, फैला रही जागरूकता

खरगोनAug 10, 2019 / 12:53 pm

हेमंत जाट

सांप का रेस्क्यू करते टीम सदस्य

चैतन्य पटवारी, मंडलेश्वर.
सांप। जेहन में यह नाम आते ही हर किसी की रूह कांप जाती है। योग-संयोग सांप से आमना-सामना हो जाए तो पैरो तले जमीन घिसक जाए। लेकिन डर और खौफ के इस माहौल के बीच युवाओं की एक टोली ऐसी है जो सांपों के संरक्षण पर काम कर रही है। सर्प मित्र नाम की इस टीम को जहां भी सांप होने की सूचना मिलती सदस्य वहां पहुंचते हैं और बिना डर और अटैक के सांप को सुरक्षित पकड़कर उसे जंगलों में छोड़ रहे हैं। यह सिलसिला दो सालों से चल रहा है। अब तक पांच सौ से अधिक सांपों को रेस्क्यू कर जंगलों में सुरक्षित छोड़ा गया है। टीम के इस पहल के शहरवासियों ने स्वागत योग्य बताया है, उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर सांप को सपेरे पकड़ लेते हैं। उनके दांत निकाल लेते हैं।
नगर के युवा सुशील तारे, अजय वर्मा, महादेव पटेल, रूपेश शर्मा, चेतन तारे एवं हितेश हम्मड़ ऐसे शख्स है जिन्हें शहर में कहीं भी सांप निकलने पर यहां के रहवासी याद करते हैं। एक कॉल पर यह युवा मौके पर पहुंचकर सांपों को रेस्क्यू कर पकड़ते हैं और उन्हें सुरक्षित जंगलों में छोड़ देते हैं। इस काम में वन विभाग का भी पूरा-पूरा सहयोग मिल रहा है। टीम के सदस्य प्रोफेसर अजय वर्मा ने बताया उनकी टीम को सर्प मित्र नाम दिया गया है। थैंक्यू नेचर के नाम से संस्था का रजिस्ट्रेशन भी प्रक्रिया में है। क्षेत्र में कहीं भी किसी समय जहरीले व अन्य प्रकार के सांपों की सूचना मिलते ही टीम मौके पर पहुंचकर नि:शुल्क सांप पकड़ कर ले जाती हैं।
कई जहरीले सांपों का भी किया है रेस्क्यू
टीम सदस्यों ने बताया दो साल के इस कार्यकाल में टीम ने कई जहरीले सांपों को भी बड़ी सावधानी से पकड़ा है। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। खास बात है कि इन्होंने कभी इन सांपों के दांतों को नहीं तोड़ा। जिस तरह से उन्हें पकड़ा उसी तरह सांपों को बिना कोई हानि पहुंचाएं, वन विभाग द्वारा बताए व्यवस्थित स्थान पर छोड़ा गया है।
द्देश्य : लोगों के मन से सांपों का डर मिटाना
टीम के मुख्य सदस्य सुशील तारे ने बताया सर्प हमारे मित्र हैं। सांपों का पर्यावरण संरक्षण में विशेष योगदान होता है। लोगों में मन से सांपों का डर मिटाना हमारा उद्देश्य है। इसे लेकर जनता के बीच हम काम करते हैं। हम सांपों को बचाने का काम कर रहे हैं। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ सांपों की प्रजाति बचाई जा रही है।
पहला अनुभव : खुद के घर पर किया रेस्क्यू
सुशील तारे ने बताया उन्होंने कोई ट्रेनिंग नहीं ली। बचपन से जानवरों से लगाव ने उन्हें इस काम के लिए प्रेरित किया। पहले सांप का रेस्क्यू खुद के घर में ही किया। समय के साथ अनुभव बढ़ते गए। आज सर्पमित्र के नाम से टीम क्षेत्र में काम कर रही है। क्षेत्र में विषैले सांपों में कोबरा, घोड़ापछाड़ प्रजाति ज्यादा है। यह प्रजातियां लोगों के घरों के आस पास रहना ज्यादा पसंद करती है।
सतर्कता : अभी ज्यादा निकल रहे सांप
चूंकि अभी बारिश का दौर जारी है। ऐसे में हर दूसरे दिन सांप निकलने की घटनाएं हो रही हैं। इसकी सूचना मिलते ही टीम सतर्क हो जाती है। बीते दो दिनों में सात सांपों को पकड़कर वन विभाग के सानिध्य में घने जंगलों में छोड़ा गया है।
प्रजाति : मंडलेश्वर क्षेत्र में यह सांप ज्यादा
मंडलेवर क्षेत्र में विषहीन सांपों में अजगर, कुकरी, दोमुंहा सांप, पानी का सांप सहित 12 प्रजातियों के सर्प अधिक है। विषैले साँपो में कोबरा, करैत, रसल वाइपर, घोड़ापछाड़ और सॉ स्केल्ड वाइपर है।
संदेश : ऐसे करें उपचार
सर्प दंश के रोगी को शांत रखें। उत्तेजना से बचाएं। सर्पदंश वाले हिस्से को फ्रेक्चर हुए अंग के समान स्थिर रखें। दंश के ऊपरी हिस्से पर कपड़े से सिर्फ इतना मजबूती से बांधे की रक्त का प्रवाह कुछ हद तक कम हो जाए। इसके बाद रोगी को तत्काल किसी नजदीकी चिकित्सा केंद्र ले जाएं। उक्त क्रिया के दौरान रोगी को सोने न दे।
सजगता : उपचार में क्या न करेें
सर्पदंश को लेर कई भ्रांतियां हैं। कुछ भ्रांतियों को हमने फिल्मों से भी सीखा है। जैसे कि दंश के स्थान पर चीरा लगाना या दंश के ऊपरी हिस्से को मजबूती से बांधना या चीरा लगाने के बाद मुंह से खून चूसना, यह प्रक्रियाएं गलत है। इसके अलावा सांप के काटने पर तंत्र, मंत्र, झाडफ़ंूक से बचे। ऐसा करना रोगी के लिए हानिकारक हो सकता है।

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