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एक दशक में आठ बार देरी से आया मानसून, इस बार भी देरी से होंगे कंठ तर

locationखरगोनPublished: Jun 08, 2019 02:27:30 am

Submitted by:

Jay Sharma

2007 और 2013 में समय पर मानसून ने दी थी दस्तक, इस बार देर से आने की आशंका, आमजन से जुड़ी यह परेशानी गर्मी में अब लोगों के बर्दाश्त से ज्यादा हो गई है। जून का पहला सप्ताह बीत गया, लेकिन बारिश का कोई अता-पता नहीं।

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खरगोन. गर्मी की भीषण तपिश…माथे से टपकता पसीना… और पानी के अभाव में पल-पल सूखते कंठ…। आमजन से जुड़ी यह परेशानी गर्मी में अब लोगों के बर्दाश्त से ज्यादा हो गई है। जून का पहला सप्ताह बीत गया, लेकिन बारिश का कोई अता-पता नहीं। किसानों को लेकर हर कोई अब आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठा है। मौसम विभाग ने मानसून के लेट होने की आशंका जताई है। २००७ और २०१३ में मानसून निमाड़ अंचल में समय पर पहुंचा था। वहीं पिछले एक साल में यह आठ बार ले हुआ है। ऐसे में यदि इस बार भी मानसून के आने में देरी होती है, तो इसका असर जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित करेगा। धरती के साथ और लाखों लोगों के सूखे कंठों की प्यास बढ़ रही है, जो बारिश के पानी से भी बुझेगी। फिलहाल तो कई गांवों में पानी का संकट गहराते जा रहा है। यह समस्या आगामी दिनों में विकराल रूप ले सकती है।
बारिश को लेकर मौसम विभाग द्वारा हर साल जो पुर्वानुमान अथवा भविष्यवाणी की जाती रही, वह भी अब बेअसर होने लगी है। क्षेत्र में साल-दर साल मानसून के देर से दस्तक देने के साथ बारिश कम है रही है। अभी तक मानसून ठीक से केरल तक नहीं पहुंचा। इसके मप्र तक आने में कई दिन लग सकते हैं। यही कारण है कि अभी मौसम केे जानकार भी बारिश को लेकर किसी तरह की कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। इससे किसानों के साथ ही आमजन को भी दुविधा में डाल रखा है।
कुंदा सहित बढ़ी नदियां सूखी, पेयजल की समस्या बनी विकराल
शहर की जीवनदायनी कुंदा सहित सभी प्रमुख नदियों का आंचल पूरी तरह से सूख चुका हैं। इसके कारण शहर सहित आसपास के गांवों में भी पानी की किल्लत बनी हुई है। डेढ़ लाख की आबादी वाले खरगोन शहर में पिछले एक सप्ताह से पेयजल वितरण व्यवस्था बुरी तरह से चमरा गई है। कई वार्डों में नियमित पानी नहीं पहुंच रहा है। बैराज खाली है। जिले में देजला-देवाड़ा, खारक, अपरवेदा जैसे बांध सूखने की कगार पर पहुंच गए। जिससे आगामी दिनों में पेयजल की समस्या विकराल रूप धारण कर सकती है।
डेढ़ दशक में लगातार घटा बारिश का ग्राफ
पिछले डेढ़ दशक में बारिश का ग्राफ लगातार घट रहा हैं, जो सभी के लिए चिंताजनक है। 2007 में 1030 मिमी (41 इंच) के लगभग औसत बारिश हुई थी। इसकेे अलावा अन्य वर्षों में कई बार ऐसा मौका आया, जब बारिश का औसत आंकड़ा ३० इंच तक नहीं पहुंच पाया। 2005 में 555 मिमी और 2008 में महज 542 मिमी बारिश हुई थी।
25 जून के बाद उम्मीद
&अगले चौबीस घंटे में मानसून के केरल तक पहुंचने की संभावना है। इसके करीब १५ दिन बाद यह मप्र तक आता है। ऐसे में 25 जून के बाद प्रदेश में बारिश की उम्मीद की जा सकती है।
डीजी मिश्रा, मौसम विशेषज्ञ भोपाल

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