देर तक कोई नहीं पहुंचा तो राहेगीरों ने ऊन थाने पहुंचाया
घटना के आधे घंटे बाद भी मौके पर कोई जवाबदार अफसर या पुलिस नहीं पहुंचे। राहगीरों ने मानवता दिखाते हुए बालिकाओं को ऊन थाने तक पहुंचाया। बालिकाएं इतनी घबराई हुई थी कि कुछ बता भी नहीं पा रही थी कि इतनी देर शाम वह घर जाने के लिए क्यों निकली।
घटना के आधे घंटे बाद भी मौके पर कोई जवाबदार अफसर या पुलिस नहीं पहुंचे। राहगीरों ने मानवता दिखाते हुए बालिकाओं को ऊन थाने तक पहुंचाया। बालिकाएं इतनी घबराई हुई थी कि कुछ बता भी नहीं पा रही थी कि इतनी देर शाम वह घर जाने के लिए क्यों निकली।
सुरक्षा पर उठते हैं सवाल
छात्रावास या आश्रमों में पढऩे वाले बच्चों को लेकर अभिभावक निश्चिंत रहते हैं। उनकी सुरक्षा को लेकर वह पूरी तरह छात्रावास प्रबंधक पर ही आश्रित है। लेकिन इस घटनाक्रम ने यहां की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। दो छात्राओं का इस तरह अचानक छात्रावास छोड़कर चले जाना वहां की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठाता है।
छात्रावास या आश्रमों में पढऩे वाले बच्चों को लेकर अभिभावक निश्चिंत रहते हैं। उनकी सुरक्षा को लेकर वह पूरी तरह छात्रावास प्रबंधक पर ही आश्रित है। लेकिन इस घटनाक्रम ने यहां की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। दो छात्राओं का इस तरह अचानक छात्रावास छोड़कर चले जाना वहां की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठाता है।
पीछे के रास्ते निकली
-दोनों छात्राएं पहली बार घर छोड़कर छात्रावास में रहने आई थी। मोनिका के पिता पवन मिलने भी आए। उनके जाने के बाद बालिकाएं पीछे के रास्ते गांव की ओर निकली। होस्टल में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जांच करेंगे। अभी बेटियां सुरक्षित है। –अभिषेक गेहलोत, एसडीएम, खरगोन
-दोनों छात्राएं पहली बार घर छोड़कर छात्रावास में रहने आई थी। मोनिका के पिता पवन मिलने भी आए। उनके जाने के बाद बालिकाएं पीछे के रास्ते गांव की ओर निकली। होस्टल में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जांच करेंगे। अभी बेटियां सुरक्षित है। –अभिषेक गेहलोत, एसडीएम, खरगोन