नागर शैली में बना है मंदिर
नागर शैली में बने इस मंदिर के सभा मंडप में पहुंचने के लिए तीनों दिशाओं से सौपान निर्मित है। आयताकार गर्भगृह में पाषाण निर्मित जलाधारी विशाल शिवलिंग प्रतिष्ठित है। साथ ही मंदिर के एक भाग से ऊपर जाने के लिए सोपान बना है।
नागर शैली में बने इस मंदिर के सभा मंडप में पहुंचने के लिए तीनों दिशाओं से सौपान निर्मित है। आयताकार गर्भगृह में पाषाण निर्मित जलाधारी विशाल शिवलिंग प्रतिष्ठित है। साथ ही मंदिर के एक भाग से ऊपर जाने के लिए सोपान बना है।
मांडवगढ़ की रानी रूपमति दीपक की रोशनी देख करती थी भोजन
35 वर्षों से पूजा कर रहे पुजारी भगवान नाथ ने बताया एक किवदंति अनुसार मंदिर प्रांगण के बाहर चर्तुभुज पत्थर है। इसे दीपक स्तंभ कहते हैं। इस पर दीपक जलाए जाते थे। मांडवगढ़ की रानी रूपमति दीपक की रोशनी देखकर भोजन किया करती थी। इस स्थान से साफ मौसम में मांडव का किला भी आसानी से देखा जा सकता है। इसी कारण दीपक की रोशनी होने पर रानी रूपमति भगवान गौरी सोमनाथ के दर्शनों के बाद भोजन करती थी।तालाब के किनारे बना होने से इस मंदिर की सुंदरता आलौकिक है। चोली का प्राचीन नाम चोलीकपुर था। 10वीं से 11वीं सदी में बने इस मंदिर का जीर्णोद्धार होल्कर वंश काल में किया गया।
35 वर्षों से पूजा कर रहे पुजारी भगवान नाथ ने बताया एक किवदंति अनुसार मंदिर प्रांगण के बाहर चर्तुभुज पत्थर है। इसे दीपक स्तंभ कहते हैं। इस पर दीपक जलाए जाते थे। मांडवगढ़ की रानी रूपमति दीपक की रोशनी देखकर भोजन किया करती थी। इस स्थान से साफ मौसम में मांडव का किला भी आसानी से देखा जा सकता है। इसी कारण दीपक की रोशनी होने पर रानी रूपमति भगवान गौरी सोमनाथ के दर्शनों के बाद भोजन करती थी।तालाब के किनारे बना होने से इस मंदिर की सुंदरता आलौकिक है। चोली का प्राचीन नाम चोलीकपुर था। 10वीं से 11वीं सदी में बने इस मंदिर का जीर्णोद्धार होल्कर वंश काल में किया गया।
आज तड़के चार बजे से होंगे अनुष्ठान
महाशिवरात्रि पर प्रतिवर्ष यहां सुबह 4 बजे विशेष अभिषेक किया जाता है। इसमें गांव के सभी लोग सहभागी होते हंै। इस मंदिर को मप्र के पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहायल भोपाल द्वारा राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया है।
महाशिवरात्रि पर प्रतिवर्ष यहां सुबह 4 बजे विशेष अभिषेक किया जाता है। इसमें गांव के सभी लोग सहभागी होते हंै। इस मंदिर को मप्र के पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहायल भोपाल द्वारा राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया है।