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ठेला चलाने वाले का बेटा जंप में अव्वल, घर में पुरानी रस्सियों से कुदकर की तैयारी और दिल्ली से जीत लाया गोल्ड व सिल्वर मेडल

locationखरगोनPublished: Aug 29, 2019 11:50:33 am

Submitted by:

Gopal Joshi

-कोच जितेंद्र भावसार ने कहा- होनहार है छात्र, ३० सैकंड में ८६ जंप लगाई -एक गांव ऐसा जहां ८० बच्चे रोप स्पीकिंग की सीख रहे बारीकियां, चार बच्चे नेशनल तक खेले

Sports Day Special ...

खरगोन. दिल्ली में हुई नेशनल स्पर्धा में निर्मल ने जीता गोल्ड मेडल।

खरगोन.
प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। सच्ची लगन और लक्ष्य के प्रति जुनून हो तो हर जीत संभव है। इसी जुनून और लगन के बूते इस बात को सार्थक किया है ग्राम सिनखेड़ी के १९ वर्षीय निर्मल मंडलोई ने। निर्मल जिला मुख्यालय पर मोतीपुरा हायर सैकंडरी स्कूल में कक्षा १२वीं का छात्र है। उसके पिता दिनेश ठेला चलाते हैं। लेकिन उसकी लगन खेल गतिविधियों में है। अपने इसी शोक में वह कॅरियर भी ढंूढ रहा है। इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए उसने रोप स्पीकिंग को चुना। संयोग से उसका चयन जनवरी २०१९ में स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के बैनर तले दिल्ली में हुई राष्ट्रीय रोप स्पीकिंग स्पर्धा में हुआ। यहां मप्र की टीम का हिस्सा रहते हुए निर्मल ने यहां बेहतर खेल कौशल दिखाया और एक गोल्ड के साथ दो सिल्वर मेडल अपने नाम किए।
निर्मल के कोच आदिम जाती कल्याण विभाग के खेल प्रशिक्षक जितेंद्र भावसार ने बताया दिल्ली में हुई इस स्पर्धा में यूपी, बिहार, तमिलनाडू, केनेड़ा, सहित अन्य राज्यों की टीम आई। यहां निर्मल ने अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए महज ३० सैकंड में ८६ जंप लगाए और रिकॉर्ड तोड़ जीत दर्ज कर गोल्ड मेडल पर कब्जा किया।
ऐसे की तैयारी
निर्मल ने बताया अधिकांश समय जितेंद्र भावसार ही उसे खेल की ट्रेनिंग देते। जब निर्मल घर पर होता तो किसी भी फालतू रस्सी को लेकर लगन के साथ जंपिंग करने लगता। घंटों मेहनत के बाद वह इस मकाम पर आया है।
खेलों में ढंूढ रहा है कॅरियर
निर्मल ने बताया वर्तमान में उसकी उम्र १९ साल हो चुकी है। स्कूल स्तर पर होने वाली स्पर्धाओं में अब नियमों के आधार पर वह हिस्सा नहीं ले सकता, लेकिन स्वतंत्र रूप से वह तैयारी कर रहा है। उसकी मंशा ओंलपिंक में शहर व क्षेत्र का नाम रोशन करने की है। इसी लगन के साथ अब वह रनिंग की तैयारी में जुट गया है। इसके पहले वह स्टेट लेवल की रनिंग स्पर्धा में ग्वालियर तक खेल चुका है। यहां उसे चौथा स्थान मिला।
युवाओं के लिए संदेश : वीडियो व मोबाइल गेम छोड़ें, मैदान से जुड़े
निर्मल ने युवाओं को संदेश दिया है कि वे मैदान से जुड़े। निर्मल ने बताया आजकल युवा वीडियो व मोबाइल गेम में इतने व्यस्त हो गए हैं कि अपनी शारीरिक क्षमताओं को भूल गए हैं। युवाओं को चाहिए कि वह ऐसे खेलों से जुड़े जिसमें शारीरिक श्रम हो। इससे फिटनेस भी रहेगी और कॅरियर का अवसर भी मिल सकता है।

एक गांव ऐसा जहां रोप स्पीकिंग में तैयार हो रहे ८० बच्चे, चार नेशनल तक खेल कर आए
रोप स्पीकिंग के कोच जितेंद्र भावसार ने बताया जिले में बमनाला एक ऐसा गांव हैं जहां रोप स्पीकिंग के ८० बच्चों को फिहहाल ट्रेनिंग दी जा रही है। यह अभ्यास यहां के खेल मैदान पर ही दिया जा रहा है। खास बात यह है कि बमनाला के चार बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने यहां से खेल की बारीकियां सीखकर नेशनल लेवल की स्पर्धा में सहभागिता की है। इन बच्चों में गरिमा देवेंद्र गुप्ता, वैष्णवी विरेंद्र मंडलोई, अभिषेक सुरेश वर्मा, भूमिका विजय चौहान है। इसके अलावा खरगोन के अर्जुन राधू भी नेशनल तक खेल चुके हैं। गरिमा तीन बार नेशनल लेवल पर खेल कर कांस्य पदक जीत चुकी है।
पीड़ा : नहीं है इनडोर स्टेडियम, प्रार्थना हॉल में करते हैं अभ्यास
कोच भावसार ने बताया इस खेल के लिए स्थाई इनडोर स्टेडियम नहीं है। बमनाला परिसर में बच्चों को प्रार्थना हॉल में खेल गतिविधियां सीखाई जा रही है। यदि यहां स्थाई तौर पर इनडोर स्टेडियम मिल जाए तो इस स्पर्धा के लिए ओर बेहतर बच्चे आगे आ सकते हैं।

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