निर्मल ने बताया अधिकांश समय जितेंद्र भावसार ही उसे खेल की ट्रेनिंग देते। जब निर्मल घर पर होता तो किसी भी फालतू रस्सी को लेकर लगन के साथ जंपिंग करने लगता। घंटों मेहनत के बाद वह इस मकाम पर आया है।
निर्मल ने बताया वर्तमान में उसकी उम्र १९ साल हो चुकी है। स्कूल स्तर पर होने वाली स्पर्धाओं में अब नियमों के आधार पर वह हिस्सा नहीं ले सकता, लेकिन स्वतंत्र रूप से वह तैयारी कर रहा है। उसकी मंशा ओंलपिंक में शहर व क्षेत्र का नाम रोशन करने की है। इसी लगन के साथ अब वह रनिंग की तैयारी में जुट गया है। इसके पहले वह स्टेट लेवल की रनिंग स्पर्धा में ग्वालियर तक खेल चुका है। यहां उसे चौथा स्थान मिला।
निर्मल ने युवाओं को संदेश दिया है कि वे मैदान से जुड़े। निर्मल ने बताया आजकल युवा वीडियो व मोबाइल गेम में इतने व्यस्त हो गए हैं कि अपनी शारीरिक क्षमताओं को भूल गए हैं। युवाओं को चाहिए कि वह ऐसे खेलों से जुड़े जिसमें शारीरिक श्रम हो। इससे फिटनेस भी रहेगी और कॅरियर का अवसर भी मिल सकता है।
एक गांव ऐसा जहां रोप स्पीकिंग में तैयार हो रहे ८० बच्चे, चार नेशनल तक खेल कर आए
रोप स्पीकिंग के कोच जितेंद्र भावसार ने बताया जिले में बमनाला एक ऐसा गांव हैं जहां रोप स्पीकिंग के ८० बच्चों को फिहहाल ट्रेनिंग दी जा रही है। यह अभ्यास यहां के खेल मैदान पर ही दिया जा रहा है। खास बात यह है कि बमनाला के चार बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने यहां से खेल की बारीकियां सीखकर नेशनल लेवल की स्पर्धा में सहभागिता की है। इन बच्चों में गरिमा देवेंद्र गुप्ता, वैष्णवी विरेंद्र मंडलोई, अभिषेक सुरेश वर्मा, भूमिका विजय चौहान है। इसके अलावा खरगोन के अर्जुन राधू भी नेशनल तक खेल चुके हैं। गरिमा तीन बार नेशनल लेवल पर खेल कर कांस्य पदक जीत चुकी है।
कोच भावसार ने बताया इस खेल के लिए स्थाई इनडोर स्टेडियम नहीं है। बमनाला परिसर में बच्चों को प्रार्थना हॉल में खेल गतिविधियां सीखाई जा रही है। यदि यहां स्थाई तौर पर इनडोर स्टेडियम मिल जाए तो इस स्पर्धा के लिए ओर बेहतर बच्चे आगे आ सकते हैं।