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ऐसी क्या उलझी कहानी कि बगैर दुल्हन लिए लौटा दूल्हा

locationखरगोनPublished: May 16, 2022 08:20:35 pm

Submitted by:

Gopal Joshi

-ग्राम देवलगांव में बारात के पीछे ही पहुंच गई अफसरों की टोली, दुल्हन निकली नाबालिग, बाल विवाह रुकवाया

stopped the child marriage.

खरगोन. मौके पर पहुंचे अफसरों ने रुकवाया बाल विवाह।

खरगोन.
रिश्तेदारों के साथ सजधज कर दूल्हा ससुराल पहुंचा जरूर लेकिन बगैर दुल्हन लिए ही बैरंग लौटा। बिना दुल्हन की यह बारात सोमवार को जिला मुख्यालय से १५ किमी दूर ग्राम देवलगांव से वापस गई। दरअसल यहां जिस लड़की की शादी होने वाली थी वह नाबालिग निकली। अफसरों की टीम पहुंची और बाल विवाह रुकवाया।
देवलगांव में विवाह मंडप भी तैयार किया जा चुका था और झिरन्या क्षेत्र के दूल्हे के साथ बाराती भी पहुंच गए थे। आंगन में शादी की शहनाई गंूज रही थी। दुल्हन के लिबाज में बेटी तैयार थी। रंगीन शामियाने के नीचे विवाह के रश्में शुरू ही होने वाली थी कि दूल्हन के नाबालिग होने की सूचना पर पुलिस सहित महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसर वहां जा पहुंचे। बस क्या था, बाल विवाह रुक गया। बारातियों को बगैर दुल्हनिया लिए ही बैरंग लौटना पड़ा।
डायल 100 पर मिली सूचना और पहुंच गए अफसर
बाल विवाह की सबसे पहली सूचना गोगांवा थाने पर पदस्थ उपनिरीक्षक वर्षा सोलंकी को डायल 100 पर मिली। अफसर तत्काल तत्काल एक्शन में आए और बाल विवाह की सूचना महिला एवं बाल विकास विभाग की साधना शर्मा और संगीता कुमरावत को दी गई। पुलिस व विभागीय अफसर बल सहित देवलगांव पहुंचे। साधना शर्मा ने बताया घराती-बराती दोनों तैयारियों में मशगुल थे। जाकर सबसे पहले नाबालिग के उम्र संबंधी दस्तावेज मांगे तो परिजन बगलें झांकने लगे।
दस्तावेज नहीं दिखा पाए परिजन
साधना शर्मा ने बताया नाबालिग के माता-पिता दोनों से अलग-अलग जानकारी दी। बेटी की उम्र पूछी। कोई १६ तो कोई १७ साल बताता रहा। दस्तावेज मांगे तो राशन कार्ड मिला न आधार कार्ड। मार्कशीट भी नहीं दिखा पाए। इसके बाद नियमों के तहत बाल विवाह रुकवाया गया।
परिवार ने कहा- रश्में हो जाने तो बेटी को तीन साल बाद भेजेंगे
समाजजन अफसरों के सामने कार्रवाई के दौरान यह दलील देते रहे कि विवाह की रश्में हो जाने तो, बेटी के बालिग होने पर ही विदाई देंगे। लेकिन अफसरों ने नियमों को हवाला लेकर रश्में नहीं होने दी। नाबालिग के परिवार ने बरातियों के लिए भोजन बना लिया था, अफसरों की अनुमति के बाद बरातियों ने भोजन किया और बगैर दुल्हन के ही लौट गए।

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