बाल विवाह की सबसे पहली सूचना गोगांवा थाने पर पदस्थ उपनिरीक्षक वर्षा सोलंकी को डायल 100 पर मिली। अफसर तत्काल तत्काल एक्शन में आए और बाल विवाह की सूचना महिला एवं बाल विकास विभाग की साधना शर्मा और संगीता कुमरावत को दी गई। पुलिस व विभागीय अफसर बल सहित देवलगांव पहुंचे। साधना शर्मा ने बताया घराती-बराती दोनों तैयारियों में मशगुल थे। जाकर सबसे पहले नाबालिग के उम्र संबंधी दस्तावेज मांगे तो परिजन बगलें झांकने लगे।
साधना शर्मा ने बताया नाबालिग के माता-पिता दोनों से अलग-अलग जानकारी दी। बेटी की उम्र पूछी। कोई १६ तो कोई १७ साल बताता रहा। दस्तावेज मांगे तो राशन कार्ड मिला न आधार कार्ड। मार्कशीट भी नहीं दिखा पाए। इसके बाद नियमों के तहत बाल विवाह रुकवाया गया।
समाजजन अफसरों के सामने कार्रवाई के दौरान यह दलील देते रहे कि विवाह की रश्में हो जाने तो, बेटी के बालिग होने पर ही विदाई देंगे। लेकिन अफसरों ने नियमों को हवाला लेकर रश्में नहीं होने दी। नाबालिग के परिवार ने बरातियों के लिए भोजन बना लिया था, अफसरों की अनुमति के बाद बरातियों ने भोजन किया और बगैर दुल्हन के ही लौट गए।