अन्न का दाना-दाना दंगाई आग में स्वाहा
दंगा पीडि़त परिवारों का दर्द गहरा है। संजय नगर में रहने वाली मंजूला पन्नालाल ने बताया उनका दो मंजिला मकान पूरा जल गया। सामान राख के ढेर में बदल गया है। ८० बोरी गेहंू, दो बोरी दाल, १५ किलो मिर्ची के साथ 11 हजार रुपए नकद और कीमती आभूषण सबकुछ नष्ट हो गया। मंजूला बाई ने बताया आग में पूरा मकान जला है। जिस कमरे में देवघर था वहां ज्यादा तबाही हुई। करीब पांच से छह लाख का नुकसान हुआ है। सरकारी मदद केवल एक लाख रुपए मिली है। यह राहत ऊंट के मुंह में जीरे जैसी है।
दंगा पीडि़त परिवारों का दर्द गहरा है। संजय नगर में रहने वाली मंजूला पन्नालाल ने बताया उनका दो मंजिला मकान पूरा जल गया। सामान राख के ढेर में बदल गया है। ८० बोरी गेहंू, दो बोरी दाल, १५ किलो मिर्ची के साथ 11 हजार रुपए नकद और कीमती आभूषण सबकुछ नष्ट हो गया। मंजूला बाई ने बताया आग में पूरा मकान जला है। जिस कमरे में देवघर था वहां ज्यादा तबाही हुई। करीब पांच से छह लाख का नुकसान हुआ है। सरकारी मदद केवल एक लाख रुपए मिली है। यह राहत ऊंट के मुंह में जीरे जैसी है।
गणगौर पर खरीदे कपड़े, एक बार पहले, दूसरी बार देख तक नहीं पाए
सपना विजय बताती हैं गणगौर पर बच्चों सहित परिवार सदस्यों के कपड़े खरीदकर लाए थे। एक बार पहले, इसके बाद रख दिए। दंगाइयों ने आग लगाई तो सामान के साथ कपड़े भी जल गए। अब तन पर पहने कपड़े मात्र बचे हैं। नुकसान जितना हुआ है सरकारी मदद उसके एवज में बेहद कम है।
सपना विजय बताती हैं गणगौर पर बच्चों सहित परिवार सदस्यों के कपड़े खरीदकर लाए थे। एक बार पहले, इसके बाद रख दिए। दंगाइयों ने आग लगाई तो सामान के साथ कपड़े भी जल गए। अब तन पर पहने कपड़े मात्र बचे हैं। नुकसान जितना हुआ है सरकारी मदद उसके एवज में बेहद कम है।
जलकर राख हुआ निशा का आशियाना
निशा चांदोरे का दर्द उपद्रव के १५ दिन बाद भी कम नहीं हुआ है। निशा ने बताया वह काली रात ऐसा अंधेरा कर गई है कि दूर-दूर तक रोशनी नजर नहीं आ रही। कुछ लोगों ने घर के अंदर जलती हुई गैस टंकी फेंकी। इसके बाद जो धमाका हुआ उसमें गृहस्थी का पूरा सामान स्वाहा हो गया। रहने को छत नहीं रही। निशा अपनी मां के साथ रहती है।
निशा चांदोरे का दर्द उपद्रव के १५ दिन बाद भी कम नहीं हुआ है। निशा ने बताया वह काली रात ऐसा अंधेरा कर गई है कि दूर-दूर तक रोशनी नजर नहीं आ रही। कुछ लोगों ने घर के अंदर जलती हुई गैस टंकी फेंकी। इसके बाद जो धमाका हुआ उसमें गृहस्थी का पूरा सामान स्वाहा हो गया। रहने को छत नहीं रही। निशा अपनी मां के साथ रहती है।