अपर कलेक्टर ने बताया महाराष्ट्र की सीमा से लगे जिले के ग्रामीण इलाकों से भूसे का निर्यात महाराष्ट्र के लिए हो रहा था। चूंकि जिले में वैसे ही भूसे की जरूरत ज्यादा है। ऐसे में यह निर्णय लिया गया है। ऐसे हालात मप्र के अन्य जिलों में बनते हैं लेकिन यह निर्णय खरगोन जिले में पहली बार लिया गया है।
पशु पालक राहुल धनगर, गोपाल धनगर ने बताया भूसे की किल्लत है। पहली बार रीवा व ग्वालियर से मसूर का भूसा बुलवाया है। इसके दाम ८५० रुपए क्विंटल तक है। जबकि गेहंू का भूसा ६०० रुपए, चने का भूसा 700 रुपए व कबड़ी से भरा आइशर वाहन १० हजार रुपए में मिल रहा है।
किसान शांतिलाल यादव, मोहन बोरलाया, जगदीश बिर्ला ने बताया एक वश्यक पशु को एक दिन में १५ से २० किलो भूसे की जरूरत होती है। अभी गर्मी का दौर है। ऐसे में मवेशियों को बारिश होने तक बाड़ों में रखकर ही भूसा खिलाया जाएगा। एक मवेशी एक दिन में औसत १५ किलो भूसा भी खा रहा है तो एक माह में प्रति पशु ४.५० क्विंटल भूसा लग रहा है। यानी ६०० रुपए क्विंट के हिसाब से एक पशु पर प्रति माह खर्च का आंकड़ा २४०० रुपए से अधिक का हो रहा है।
दूध का बिजनस करने वाले सुरेश धनगर, भगवान धनगर ने बताया अभी बाजार में खुला दूध ५० रुपए लीटर तक बिक रहा है। दूध उत्पादकों के पास औसत चार से छह भैंस है। एक भैंस को भूसे के साथ ६ किलो खली (2600 रुपए में 70 किलो) लगती है। एवरेज देखा जाए तो प्रति लीटर खर्च ५५ रुपए से अधिक होता है। ऐसे में दूध के दाम पर खर्च के साथ मुनाफा कमाना मुश्किल हो रहा है।