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खरगोन

खरगोन जिले में पहली बार प्रशासन ने ऐसे जारी किए आदेश कि पहले कभी नहीं हुआ

-अबकि बार कम बारिश से घटा गेहंू का रकबा, पशुओं के भूसे की आ गई किल्लत, जिले के बाहर नहीं होगा भूसा निर्यात

खरगोनApr 01, 2022 / 08:05 pm

Gopal Joshi

there has been a shortage of animal straw

जिला प्रशासन ने पहली बार पशुओं के लिए उपयोगी भूसे के निर्यात पर रोक लगाई है।

खरगोन.
जिला प्रशासन ने पहली बार पशुओं के लिए उपयोगी भूसे के निर्यात पर रोक लगाई है। यह पहला अवसर है जब जिले में भूसे की किल्लत देखी गई। यह हालात कम बारिश के चलते गेहंू का रकबा घटने से हुई है। अबकि बार जिले में २६ हजार हेक्टेयर कम रकबे में गेहंू की बोवनी हुई, लिहाजा भूसा कम है। अभी पशु मालिक रीवा, ग्वालियर से महंगे दामों पर भूसा खरीदकर पशुओं का पाल रहे हैं।
गौरतलब है कि जिले में बीते साल 2.20 लाख हेक्टेयर गेहंू का रकबा था। बारिश कम हुई तो इसमें गिरावट आई है। इस बार 198325 हेक्टेयर में ही बोवनी हो पाई है। २२ हजार हेक्टेयर में कम बोवनी हुई है। इसका सीधा असर गेहू की उपज से मिलने वाले भूसे पर भी पड़ा है। जिले में ७० प्रतिशत लोग खेती किसानी पर आश्रित है। ऐसे में मवेशियों के लिए भूसा उतना ही जरूरी है जितनी आम लोगों के लिए खाद्य साम्रगी। भूसा पशुओं के आहार का मुख्य स्त्रोत है। इन परिस्थितियों को देखते हुए अपर कलेक्टर एसएस मुजाल्दा ने मप्र चारा (निर्यात नियंत्रण) आदेश 2000 के तहत सभी प्रकार के चारा, कड़बी (मक्का,ज्वार, बाजरा के डंठल) पैरा (धान के डंठल), सोयाबीन व गेहूं का भूसा, घास तथा पशुओं द्वारा खाए जाने वाले चारे की अन्य किस्मों को जिले से बाहर अन्य राज्यों को निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई है। यह प्रतिबंधन 15 अगस्त तक होगा।
इसलिए उठाया कदम
अपर कलेक्टर ने बताया महाराष्ट्र की सीमा से लगे जिले के ग्रामीण इलाकों से भूसे का निर्यात महाराष्ट्र के लिए हो रहा था। चूंकि जिले में वैसे ही भूसे की जरूरत ज्यादा है। ऐसे में यह निर्णय लिया गया है। ऐसे हालात मप्र के अन्य जिलों में बनते हैं लेकिन यह निर्णय खरगोन जिले में पहली बार लिया गया है।
हालात : रीवा, ग्वालियर से मंगा रहे भूसा
पशु पालक राहुल धनगर, गोपाल धनगर ने बताया भूसे की किल्लत है। पहली बार रीवा व ग्वालियर से मसूर का भूसा बुलवाया है। इसके दाम ८५० रुपए क्विंटल तक है। जबकि गेहंू का भूसा ६०० रुपए, चने का भूसा 700 रुपए व कबड़ी से भरा आइशर वाहन १० हजार रुपए में मिल रहा है।
एक पशु पर खर्च का गणित
किसान शांतिलाल यादव, मोहन बोरलाया, जगदीश बिर्ला ने बताया एक वश्यक पशु को एक दिन में १५ से २० किलो भूसे की जरूरत होती है। अभी गर्मी का दौर है। ऐसे में मवेशियों को बारिश होने तक बाड़ों में रखकर ही भूसा खिलाया जाएगा। एक मवेशी एक दिन में औसत १५ किलो भूसा भी खा रहा है तो एक माह में प्रति पशु ४.५० क्विंटल भूसा लग रहा है। यानी ६०० रुपए क्विंट के हिसाब से एक पशु पर प्रति माह खर्च का आंकड़ा २४०० रुपए से अधिक का हो रहा है।
असर : दूध का बिजनस करने वालों का बिगड़ा गणित
दूध का बिजनस करने वाले सुरेश धनगर, भगवान धनगर ने बताया अभी बाजार में खुला दूध ५० रुपए लीटर तक बिक रहा है। दूध उत्पादकों के पास औसत चार से छह भैंस है। एक भैंस को भूसे के साथ ६ किलो खली (2600 रुपए में 70 किलो) लगती है। एवरेज देखा जाए तो प्रति लीटर खर्च ५५ रुपए से अधिक होता है। ऐसे में दूध के दाम पर खर्च के साथ मुनाफा कमाना मुश्किल हो रहा है।
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