scriptAmazing story – मप्र का एक ऐसा गांव, जहां 1947 के बाद आज तक नहीं हुआ कोई मुकदमा | True - A village where no lawsuit has been held till date after 1947 | Patrika News

Amazing story – मप्र का एक ऐसा गांव, जहां 1947 के बाद आज तक नहीं हुआ कोई मुकदमा

locationखरगोनPublished: Oct 18, 2020 04:05:50 pm

Submitted by:

tarunendra chauhan

कठोरा गांव में आजादी के बाद से आज तक कोई केस नहीं, सीजेआइ ने दिया निर्विवाद गांव का प्रमाण पत्रजिला जज की मौजूदगी में ग्रामीणों से की ऑनलाइन चर्चा, दूसरी बार गांव को मिला यह खिताब
 

Amazing Kathora village

Amazing Kathora village

खरगोन. क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आजादी के बाद से अभी तक किसी गांव में कोई केस या मुकदमा हो, लेकिन यह हकीकत है। खरगोन जिले की कसरावद तहसील मुख्यालय से महज छह किलोमीटर दूर कठोरा गांव में आजादी के बाद से अब तक थाने पर एक भी केस दर्ज नहीं हुआ है। गांव में लड़ाई-झगड़ा होने पर लोग मिल-बैठकर सुलझा लेते हैं। यही वजह है कि गांव निर्विवाद है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने शनिवार को ग्रामीणों से ऑनलाइन चर्चा कर जिला न्यायाधीश की मौजूदगी में दूसरी बार निर्विवाद गांव का ई-प्रमाण-पत्र दिया गया। इस गांव को 2002 में भी यह प्रमाण-पत्र मिल चुका है।

भजन-कीर्तन में लगाया मन
गांव में ताश व जुआ नहीं खेला जाता है। यहां के लोग इस तरह के खेल को गलत मानते हैं। इसके दुष्परिणाम को देखते हुए गांव के लोगों ने ही जुए व ताश को सर्वसम्मति से बैन कर रखा है। समय काटने व मनोरंजन के लिए लोग नर्मदा किनारे बने मंदिर में भजन व कीर्तन करते हैं। गांव की सरपंच नर्मदा यादव कहती हैं कि कठोरा में यादवों की आबादी अधिक है। सब आपस में मिल-बैठकर विवाद या समस्या का निपटारा कर लेते हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि महिलाओं से संबंधित मामले महिलाएं ही निपटाती हैं। इसके चलते ही करीब 100 परिवारों के 1200 की आबादी वाले कठोरा गांव को 2002 के बाद देश में दूसरी बार निर्विवाद गांव घोषित किए गया है।

गांधीजी आदर्श पर चलते हैं लोग
गांधीजी आज भी यहां के लोगों के लिए पूजनीय हैं। उनके आदर्शों पर चलते हैं। अहिंसा सबसे बड़ा हथियार है। यहां के बच्चे-बूढ़े और युवा सभी एक-दूसरे को सीताराम कहकर अभिवादन करते हैं।

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