कुंवर पाटीदार का जन्म 1931 में हुआ वही डालूराम पाटीदार का जन्म 1934 में हुआ था। दोनों पाटीदार समाज से थे एवं दोनो का निवास मोगावां की एक ही गली में है। डालूराम से तीन साल बड़े कुंवर ने अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद खेती को अपना पेशा बनाया वही डालूराम पाटीदार ने भी अपनी शिक्षा पूर्ण करने बाद खेती को ही अपना पेशा बनाया। दोनों के एक-समान पेशे में आने के बाद से शुरू हुई दोस्ती मरते दम तक साथ रही और मौत भी दोनों को जुदा नहीं कर पाई। उनकी दोस्ती को देखते हुए परिवारवालों ने दोनों की चिता, मंडलेश्वर मुक्तिधाम पर एक साथ सजाई। साथ ही दोनों को एकसाथ मुखाग्नि भी दी गयी।
डॉ. देवेंद्र पाटीदार ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि विगत एक महीने से डालूराम की तबीयत खराब चल रही थी, वही विगत 10 दिनों से कुंवर की तबियत भी खराब चल रही थी। 18 जून को दोपहर ढाई बजे डालूराम ने अपनी अंतिम सांस ली। एक घंटे के बाद जैसे ही कुंवर को जब डालूराम के निधन की खबर लगी वैसे ही उन्होंने दु:ख के कारण अपनी आंखें बंद कर ली उसके बाद बंद आंखों में ही उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।
दोनों दोस्तों के द्वारा अपनी पारिवारिक एवं व्यावसायिक जिम्मेदारियां पूर्ण करने बाद दोनों ने अपना जीवन भगवान को समर्पित कर दिया। विगत 20 वर्षों से दोनो की दिनचर्या लगभग एक समान रही। सुबह दोनों एक साथ मंदिर जाते, दोपहर के समय भोजन इत्यादि से निपटाने के बाद दोनों दोस्त नियमित फिर मंदिर में मिलते। डालूराम को रामायण एवं सुंदरकांड पढऩे में बड़ा आनंद आता था। वही कुंवर को डालूराम द्वारा पढ़ी जा रही रामायण एवं सुंदर कांड सुनने में आनंद आता था।