400 सिगरेट के बराबर होता है धंूआ
अख्तर ने बताया आज भी देश के 33 करोड़ परिवार ऐसे हैं जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं, कई परिवारों में चुल्हे पर रसोई बनाई जाती है, उन्होंने बताया एक रिसर्च के मुताबिक एक बार की लकड़ी जलाकर चुल्हे पर बनाई गई रसोई से उठने वाला धंूआ 400 सिगरेट के बराबर होता है, जो महिलाएं धुएं में रहकर खाना बनाती है वह तो बीमार होती ही है साथ ही परिवार के वह सदस्य भी बीमार होते है जो घर में मौजूद रहते हैं।
अख्तर ने बताया आज भी देश के 33 करोड़ परिवार ऐसे हैं जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं, कई परिवारों में चुल्हे पर रसोई बनाई जाती है, उन्होंने बताया एक रिसर्च के मुताबिक एक बार की लकड़ी जलाकर चुल्हे पर बनाई गई रसोई से उठने वाला धंूआ 400 सिगरेट के बराबर होता है, जो महिलाएं धुएं में रहकर खाना बनाती है वह तो बीमार होती ही है साथ ही परिवार के वह सदस्य भी बीमार होते है जो घर में मौजूद रहते हैं।
फलदार पौधों से होती आर्थिक स्थिति मजबुत
अख्तर ने बताया उन्होंने कई गांवों का दौरा किया। कई परिवार ऐसे मिले जहां गैस कनेक्शन तो है लेकिन रिफिलिंग के लिए रुपए नहीं है। वह लकड़ी का चुल्हा जला रहे है। उन्होंने बताया उनकी सोच है कि कई गांवों में घरों के पास खाली जगह होती है वहां यदि फलदार पौधे लगाए जाएं तो उन्हें आर्थिक मदद मिलेगी।
अख्तर ने बताया उन्होंने कई गांवों का दौरा किया। कई परिवार ऐसे मिले जहां गैस कनेक्शन तो है लेकिन रिफिलिंग के लिए रुपए नहीं है। वह लकड़ी का चुल्हा जला रहे है। उन्होंने बताया उनकी सोच है कि कई गांवों में घरों के पास खाली जगह होती है वहां यदि फलदार पौधे लगाए जाएं तो उन्हें आर्थिक मदद मिलेगी।