ऑफिस का नाम: कृषि उप संचालक
-कर्मचारियों की संख्या-220
-स्थानीय कार्यालय में स्टॉफ-25
190 अधिकारी-कर्मचारी घर से कर रहे काम
डीडीए एमएल चौहान ने मुताबिक जिले में विभाग मेंं प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थी श्रेणी कर्मचारियों की संख्या 220 के लगभग है। इनमें जिला मुख्यालय पर 25 अधिकारी-कर्मचारी पदस्थ हैं। शासन के निर्देश पर 30 प्रतिशत यानी 10 कर्मचारी मुख्यालय और 60 से 70 के लगभग जिले में काम कर रह हैं। चौहान के मुताबिक विभाग में अधिकांश-कर्मचारियों के पास वैसे भी फील्ड का काम है। इसलिए यह ऑफिस न आकर भी घर से काम कर रहे हैं। लॉक डाउन को लेकर शासन के आगामी आदेशों तक यही व्यवस्था बरकरार रहेगी।
-कर्मचारियों की संख्या-220
-स्थानीय कार्यालय में स्टॉफ-25
190 अधिकारी-कर्मचारी घर से कर रहे काम
डीडीए एमएल चौहान ने मुताबिक जिले में विभाग मेंं प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थी श्रेणी कर्मचारियों की संख्या 220 के लगभग है। इनमें जिला मुख्यालय पर 25 अधिकारी-कर्मचारी पदस्थ हैं। शासन के निर्देश पर 30 प्रतिशत यानी 10 कर्मचारी मुख्यालय और 60 से 70 के लगभग जिले में काम कर रह हैं। चौहान के मुताबिक विभाग में अधिकांश-कर्मचारियों के पास वैसे भी फील्ड का काम है। इसलिए यह ऑफिस न आकर भी घर से काम कर रहे हैं। लॉक डाउन को लेकर शासन के आगामी आदेशों तक यही व्यवस्था बरकरार रहेगी।
ऑफिस:- नगर पालिका
-कुल स्टॉफ 306
-215 सफाईकर्मी।
-40 अधिकारी-कर्मचारी पहुंच रहे ऑफिस
दो महीने से साफ-सफाई और सैनिटाइज करने में जुटा अमला
कोरोना से युद्ध में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही नगर पालिका अमला जोखिम के साथ जिम्मेदारी को निभा रहा है। शहर में 215 सफाईकर्मियों के साथ नपा ने तीन शिफ्ट में काम करने का प्लॉन बनाया है। पिछले दो महीने में शहर सहित कंटेनमेंट एरियों में साफ-सफाई सहित सैनिटाइजर छिड़काव का कार्य नियमित किया जा रहा है। नपा सीएमओ निशिकांत शुक्ला के अनुसार 189 कर्मचारी में 40 कर्मचारियों को ऑफिस बुलाया जा रहा है। जबकि 70 प्रतिशत यानी 140 कर्मचारी घर से काम रहे हैं। इनमें ऑनलाइन प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, बिल्डिंग परमिशन और सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों का निराकरण घर से ही कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है।
-कुल स्टॉफ 306
-215 सफाईकर्मी।
-40 अधिकारी-कर्मचारी पहुंच रहे ऑफिस
दो महीने से साफ-सफाई और सैनिटाइज करने में जुटा अमला
कोरोना से युद्ध में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही नगर पालिका अमला जोखिम के साथ जिम्मेदारी को निभा रहा है। शहर में 215 सफाईकर्मियों के साथ नपा ने तीन शिफ्ट में काम करने का प्लॉन बनाया है। पिछले दो महीने में शहर सहित कंटेनमेंट एरियों में साफ-सफाई सहित सैनिटाइजर छिड़काव का कार्य नियमित किया जा रहा है। नपा सीएमओ निशिकांत शुक्ला के अनुसार 189 कर्मचारी में 40 कर्मचारियों को ऑफिस बुलाया जा रहा है। जबकि 70 प्रतिशत यानी 140 कर्मचारी घर से काम रहे हैं। इनमें ऑनलाइन प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, बिल्डिंग परमिशन और सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों का निराकरण घर से ही कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है।
एक्सपर्ट की राय
इस लॉकडाउन ने यह साबित कर दिया है कि कई सेक्टर्स में वर्क फ्रॉम होम मुमकिन है। आने वाले समय में इसका चलन बढ़ सकता है। लॉकडाउन में बाजार, मॉल, सिनेमा, संग्रहालय बंद हैं। स्कूल और कॉलेज से लेकर कंपनियों के द तर भी बंद हैं। छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। कंपनियों ने कर्मचारियों को घर से काम करने (वर्क फ्रॉमहोम) को कहा है। इस लॉकडाउन ने यह साबित कर दिया है कि कई सेक्टर्स में वर्क फ्रॉम होम मुमकिन है। इससे समय बचेगा। दिल्ली-मुुंबई जैसे बड़े शहरों में लोग साल भर दफ्तर आने-जाने में जितना समय लगाते हैंं, वह उनके एक महीने के कामकाजी घंटे के बराबर है। ऐसे में उनकी उत्पादन क्षमता कम हो जाती है। स्वास्थ के लिहाज से भी यह प्रणाली फायदेमंद है। दफ्तर जाने के लिए यदि कम लोग बाहर निकलेंगे तो सड़कों से ट्रैफिक कम हो सकता है। इससे पर्यावरण भी सुधेरगा। धूल-धूएं से आप भी बच सकेंगे।
डॉ, आरएस देवड़ा, प्राचार्य पीजी कॉलेज
इस लॉकडाउन ने यह साबित कर दिया है कि कई सेक्टर्स में वर्क फ्रॉम होम मुमकिन है। आने वाले समय में इसका चलन बढ़ सकता है। लॉकडाउन में बाजार, मॉल, सिनेमा, संग्रहालय बंद हैं। स्कूल और कॉलेज से लेकर कंपनियों के द तर भी बंद हैं। छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। कंपनियों ने कर्मचारियों को घर से काम करने (वर्क फ्रॉमहोम) को कहा है। इस लॉकडाउन ने यह साबित कर दिया है कि कई सेक्टर्स में वर्क फ्रॉम होम मुमकिन है। इससे समय बचेगा। दिल्ली-मुुंबई जैसे बड़े शहरों में लोग साल भर दफ्तर आने-जाने में जितना समय लगाते हैंं, वह उनके एक महीने के कामकाजी घंटे के बराबर है। ऐसे में उनकी उत्पादन क्षमता कम हो जाती है। स्वास्थ के लिहाज से भी यह प्रणाली फायदेमंद है। दफ्तर जाने के लिए यदि कम लोग बाहर निकलेंगे तो सड़कों से ट्रैफिक कम हो सकता है। इससे पर्यावरण भी सुधेरगा। धूल-धूएं से आप भी बच सकेंगे।
डॉ, आरएस देवड़ा, प्राचार्य पीजी कॉलेज