वायु प्रदूषण से बच्चों को एलर्जी का खतरा
Published: May 06, 2015 12:35:00 pm
शैशवावस्था के दौरान वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चे
एलर्जी के कारकों के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं
टोरंटो। बढ़ता प्रदूषण हर दिन जीवन लिए खतरा बनता जा रहा है। एक शोध में बताया गया है जीवन के पहले एक साल तक बाहरी वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से भोजन, मिट्टी, पालतू जानवरों और कीटों से एलर्जी होने का खतरा ज्यादा होता है। शोध के परिणाम दर्शाते हैं कि शैशवावस्था के दौरान यातायात संबंधी वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चे एलर्जी के कारकों के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं।
कनाडा की युनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (यूबीसी) में प्रोफेसर और शोध के वरिष्ठ लेखक माइकल ब्राउअर ने बताया कि जीवन के पहले वर्ष के दौरान वायु प्रदूषण और एलर्जी संवेदीकरण के बीच संबंध का पता लगाने के लिए यह पहला अध्ययन है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि मुलायम बालों वाले पालतू जानवरों के साथ रहने वाले बच्चों को एलर्जी कारकों के प्रति संवेदीकरण नहीं होने की संभावना ज्यादा होती है। यूबीसी में डॉक्टोरल अभ्यर्थी और अध्ययन के प्रथम लेखक हिंद सबिही ने बताया कि यदि यह समझ में आ जाए कि शुरूआती जीवन में किस तरह के पर्यावरणीय संपर्क में आने से एलर्जी होती है, तो बच्चों के लिए बचाव के उपाय किए जा सकते हैं।
हिंद ने बताया कि हमने यह भी पाया कि जो बच्चे दिन में देखभाल पाते हैं और जो अपने भाई-बहनों के साथ घर में रहते हैं, उनमें एलर्जी के प्रति संवेदनशीलता होने की संभावना अपेक्षाकृत कम थी। शोधकर्ताओं ने 2,477 बच्चों से प्राप्त डेटा का प्रयोग किया और जन्म के एक साल में त्वचा की एलर्जी के परीक्षणों से प्राप्त परिणामों को आंकलन किया। उन्होंने कुत्ते, बिल्ली, धूल, कॉकरोच, फफूंद, दूध, अंडा, सोया और मूंगफली सहित दस एलर्जी कारकों के प्रति संवेदनशीलता का परीक्षण किया। यह शोध “एनवायरमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स” पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।