बच्चों को जहां कॉर्नफ्लेक्स के रंग-बिरंगे आकर्षक डिब्बे लुभा रहे हैं, वहीं मम्मियों को इनका ‘ईजी टू कुक’ गुण खूब भा रहा है।
न्यू एज मम्मियां तरह-तरह के फ्लेवर वाले कॉर्नफ्लेक्स में पौष्टिकता ढूंढ रही हैं, जबकि हैल्थ एक्सपट्र्स इनके सेवन में सतर्कता की सलाह दे रहे हैं क्योंकि इससे शुगर का सेवन ज्यादा होता है।
बच्चों को जहां कॉर्नफ्लेक्स के रंग-बिरंगे आकर्षक डिब्बे लुभा रहे हैं, वहीं मम्मियों को इनका ‘ईजी टू कुक’ गुण खूब भा रहा है। इनकी वजह से मॉम्मियों की सहूलियत और भी बढ़ जाती है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सेहत की दृष्टि से कॉर्नफ्लेक्स की एक सर्विंग 30 ग्राम तक हो, तो ठीक है लेकिन ज्यादातर लोग, विशेषकर बच्चे इसे कहीं ज्यादा मात्रा लेते हैं। इन्हें स्नैक्स की तरह खाया जा रहा है।
कई माताएं तो अपने बच्चों को टिफिन में भी ये फ्लेवर्ड सीरीयल्स भर कर दे रही हैं। येल यूनिवर्सिटी के एक शोध में पाया गया कि इनके बहाने बच्चे अनजाने में शुगर का जरूरत से ज्यादा सेवन कर रहे हैं।
बंगलुरु की पोषण विशेषज्ञ रिआन फर्नेन्डो कहती हैं, ‘कॉर्नफ्लेक्स का ग्लिसमिक इंडेक्स (जी आई) काफी ऊंचा है। यह 80 है, जबकि चीनी की जीआई वैल्यू 100 होती है। जीआई इस चीज का माप संकेतक है कि किसी खास तरह के फूड के सेवन के बाद ब्लड शुगर लेवल कितनी जल्दी बढ़ जाता है।
कॉर्नफ्लेक्स के कई ब्रांडों में शुगर 28-30 फीसदी तक पाई जाती है। फर्नेन्डो, जो हाई परफॉमेंस एथलीट खिलाडिय़ों के लिए भी काम करती हैं, कहती हैं, ‘दिन भर में चार टेबलस्पून से ज्यादा एडेड शुगर लेना अनहैल्दी है।Ó एडेड शुगर यानी फलों और दूध आदि में मौजूद कुदरती शुगर से अलग मात्रा।