छोटे बच्चों में अक्सर असंतुलन की समस्या देखने में आती है। असंतुलन के कारण गिरने से कई बार चोट उनके सिर पर लगकर गंभीर रूप ले सकती है।
छोटे बच्चों में अक्सर असंतुलन की समस्या देखने में आती है। असंतुलन के कारण गिरने से कई बार चोट उनके सिर पर लगकर गंभीर रूप ले सकती है। बच्चों को ऐसी ही तकलीफ से बचाने के लिए एक विशेष प्रकार का हेल्मेट बनाया गयाहै। जानते हैं इसके बारे में।
उपयोगिता
यह हेल्मेट करीब एक साल से अधिक उम्र के उन बच्चों के लिए उपयोगी है जो खड़े होने या चलते समय शरीर का संतुलन बनाने में असमर्थ होते हैं। माता-पिता बच्चे की सुरक्षा के लिए डॉक्टरी सलाह से हेल्मेट बनवाते हैं व कई बार न्यूरो फिजिशियन या ऑर्थोपेडिक सर्जन भी इस तरह के हेल्मेट बनवाने की सलाह देते हैं।
125 ग्राम है वजन
स्पंज वाले इस हेल्मेट का वजन करीब सवा सौ ग्राम होता है। इसे बच्चे के सिर के नाप के हिसाब से बनाया जाता है। यह नाप देने के दूसरे या तीसरे दिन तैयार हो जाता है। यह हेल्मेट बच्चों के सिर के साथ गर्दन को भी कवर रखता है। इससे गर्दन भी सुरक्षित रहती है। हेल्मेट को बांधने वाली बेल्ट पीछे की ओर लगाई जाती है।
गिरने से क्या खतरा
स्पाइनल कॉर्ड और सिर को जोडऩे वाले स्थान को वाइटल सेंटर कहते हैं। जिसमें असंतुलन के कारण गिरने से चोट लगने की आशंका रहती है। शारीरिक असंतुलन वाले बच्चों में गिरने पर इस हिस्से में चोट लगने की आशंका अधिक होती है। चोट लगने से बच्चों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है। कभी-कभी चोट जानलेवा भी हो सकती है।
शारीरिक असंतुलन की वजह
प्रीमैच्योर बेबी, सेरेब्रेल पॉलिसी, दिमागी बुखार, दिमागी टीबी या ट्यूमर, जन्मजात विकृतियां या नसों में कमजोरी, पैरों में चोट या विटामिन्स की कमी और दुर्घटनाओं से पीडि़त बच्चों में शारीरिक असंतुलन हो सकता है। कुछ बच्चों में यह समस्या एक साल की उम्र से शुरू होकर दूसरे या तीसरे साल में ठीक हो जाती है जबकि क ई में 8-10 वर्ष की उम्र तक बनी रहती है। ऐसे बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है।