…ताकि जिंदगी हमेशा चलती रहे
शांति बताती हैं कि उनके शहर में कुछ ऐसे महिलाओं के समूह थे जो रोमांच के लिए आउअिंग करना पसंद करती थीं। लेकिन शांति को ऐसे लोगों की तलाश थी जो मंजिल की नहीं बल्कि सफर का आनंद लेना चाहते हों। एक ऐसी गतिविधि जो हमेशा चलती रहे। इसके लिए उन्होंने अपने जैसे जुनूनी लोगों की खोज शुरू की जो हाल ही में माता-पिता बने हों। धीरे-धीरे कुछ महिलाओं ने उनसे संपर्क किया और संख्या बढऩे लगी। शांति ने इसे एक अच्छा अवसर मानते हुए बच्चों को भी इसमें शामिल कर लिया ताकि वे भी प्रकृति के साथ जुड़ाव महसूस कर सकें। उन्होंने अपने ग्रुप का नाम ‘हाइक इट बेबी’ रखा। आज इस रोमांचक मुहिम को छह साल से ज्यादा का समय हो चुका है। आज इस समूह से पूरे अमरीका में २ लाख से ज्यादा परिवार जुड़े हुए हैं।
शोध कहते बच्चों के लिए प्रकृति जरूरी
शांति के इस प्रयास का शोध भी समर्थन करते हैं। शोध के अनुसार बच्चों के लिए प्रकृति बहुत जरूरी है। हाल ही हैल्थ प्लेस मैगजीन में छपे एक शोध पत्र के अनुसार प्रकृति के बीच ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारने वाले बच्चे आत्म-सम्मान, प्रभावी व्यक्तित्व, व्यवहार में लचीलापन और शैक्षणिक प्रदर्शन में उम्दा प्रदर्शन करते हैं। बालरोग विशेषज्ञ लॉरेंस रोजेन का कहना है कि बच्चों को टीवी, मोबाइल और घर की चारदीवारी से बाहर ले जाने से उनके समग्र विकास में मदद मिलती है। प्रकृति के बीच समय गुजारने वाला परिवार ज्यादा खुश और सेहतमंद रहता है। इतना ही नहीं लॉरेंस के मुताबिक दिनभर पेड़-पौधों के बीच पक्षियों का कलरव सुनते हुए दिन बिताने वाले बच्चे अच्छी नींद लेते हैं। वर्जीनिया नेशनल वाइल्ड लाइफ फेडेरेशन के निदेशक कॉलिन ओ’मारा का कहना है 2 से 7 साल के बच्चों का वन्य जीवों, पेड़-पौधों और प्रकृति के बीच रहने पर नींद संबंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
रोजेन का कहना है कि प्रकृति के साथ बच्चों का रिश्ता उनमें स्वस्थ आदतों का विकास करता है। जन्म से ही बच्चे अपने माता-पिता की शारीरिक गतिविधियों के स्तर और मानसिकता की नकल करने लगते हैं। यदि आप अपने बच्चों को भागदौड़ भरी जिंदगी से अलग किसी पहाड़, वन या नदी-झरने के किनारे ले जाएंगे तो वे कभी बोर नहीं होंगे। साथ ही बड़े होने के बाद वे इस स्वस्थ परंपरा को अपने बच्चों तक भी पहुंचाएंगे। इसके बहुत सारे सहायक लाभ भी हैं। जैसे इससे बच्चों को आलोचनात्मक सोच विकसित करने और सीखने में मदद मिलती है। साथ ही वे गणित और विज्ञान में भी बेहतर क्षमता रखते हैं। आज बच्चों को रेस के घोड़े की तरह केवल जीतने के लिए ट्रेंड किया जा रहा है। उनका पूरा जीवन ही स्क्रिप्टेड नजर आता है। इसलिए जरूरी है कि बच्चों की रचनात्मकता और प्रकृति में विकसित होने वाले रिश्ते को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जाए।