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बंगाल का तनाव पावरलूम पर भारी

locationकिशनगढ़Published: Jul 25, 2019 08:57:14 pm

Submitted by:

kali charan

बैडशीट के कपड़े की मांग में आ गई कमीकई लूमे बंद तो कई की शिट में कटौतीमजदूरों के रोजगार पर भी पड़ा विपरीत असर

Bengal's tension over heavy powerloom

बंगाल का तनाव पावरलूम पर भारी

मदनगंज-किशनगढ़. नगर और आसपास के पावरलूम उद्योग पर पश्चिम बंगाल का तनाव भारी पड़ रहा है। पश्चिम बंगाल में कपड़े की मांग में कमी आने के कारण उद्यमियों को कपड़ा उत्पादन में कमी करनी पड़ रही है। इससे कई लूम बंद हो गई है तो कई की शिटों में कटौती करनी पड़ रही है। इससे मजदूरों के रोजगार और आय पर भी विपरीत असर पड़ा है।
पावरलूम उद्योग पर पश्चिम बंगाल का तनाव भारी पड़ रहा है। पश्चिम बंगाल में कपड़े की मांग में काफी कमी आ गई है। वहां राजनीतिक दलों में आपसी तनाव और कई जगह हिंसा के हालात के चलते बैडशीट की मांग में कमी आ गई है। गांव-गांव घूमकर बैडशीट बेचकर जाने वाले भी जोखिम उठाने से बच रहे है। पहले लोकसभा चुनाव की वजह से दो माह तक कारोबार प्रभावित हुआ था। आचार संहिता में नकदी लाने-ले जाने पर प्रतिबंध रहता है। इसलिए भी कपड़े का कारोबार प्रभावित हुआ था।
सीजन में कारोबार प्रभावित
पावरलूम उद्यमी ओमप्रकाश माहेश्वरी ने बताया कि कलकत्ता की मंडी में मांग की कमी होने से कपड़ा उत्पादन कम करना पड़ रहा है। पावरलूम उद्यमी संतोष गर्ग ने बताया कि कपड़े की मांग में उठाव नहीं है। वर्तमान में यहां का कपड़ा दो से तीन माह के उधार में बेचना पड़ रहा है। मार्च से जून का समय पावरलूम उद्योग के लिए पीक सीजन माना जाता है। इस समय में मौसम साफ रहने के कारण कपड़े की मांग बनी रहती है।
जयपुर में होता है तैयार
किशनगढ़ की पावरलूम फैक्ट्रियों में जयपुर में तैयार होने वाली बैडशीट के लिए भेजा जाता है। जयपुर में इस कपड़े से बैडशीट तैयार कर पंश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में भेजी जाती है। इस प्रक्रिया में करीब 12 से 15 दिन लगते है। वहां से मांग में कमी आने के कारण जयपुर के कपड़ा व्यापारियों ने कपड़ा खरीदना कम कर दिया है। इस कारण पावरलूम उद्योग प्रभावित हुआ है। अब बरसात का सीजन आने के कारण कपड़े की छपाई का कार्य कम हो जाता है जिससे भी कपड़े की मांग में कमी आ गई है।
फेरी वालों पर निर्भर
पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में अधिकतर दुकानों से फेरी वाले घर-घर जाकर गांवों और कस्बों में बैडशीट बेचते है। यह फेरी वाले नकद राशि वाले दुकानदारों को देते है जिससे फेरी वालों को उनका मेहनताना दे दिया जाता है। कई फेरी वाले स्वतंत्र रूप से बैडशीट बेचते है। लेकिन पहले चुनाव और फिर तनाव के कारण फेरी वालों का बैडशीट बेचना कम हो गया जिससे मांग घट गई और पावरलूम उद्योग पर विपरीत असर पड़ा।
उद्यमियों का कहना है-
वर्तमान मेें पावरलूम उद्योग की स्थिति दयनीय है। कलकत्ता मंडी में मांग कम होने से यहां का कपड़ा कम बिक रहा है। इससे फैक्ट्री की केवल एक शिट ही संचालित की जा रही है।
-संतोष सोनी, पावरलूम उद्यमी
कपड़े की मांग में कमी से उत्पादन में 40 से 50 प्रतिशत की कमी आई है। इससे छोटे कारोबारी अधिक प्रभावित हुए है। पहले का स्टॉक नहीं निकलने के कारण कई लूमे बंद करनी पड़ी है।
-अरविंद गर्ग, पावरलूम उद्यमी
पावरलूम में तैयार कपड़े की मांग में कमी आ गई है। जयपुर मंडी में मांग घटने से मंदी जैसी स्थिति है। इससे लगभग 30 प्रतिशत कारोबार प्रभावित हुआ है। अब आगे भी सुधार की उाीद कम है।
-दीपक शर्मा, अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती, किशनगढ़।
कपड़े की मांग में कमी आने से पावरलूम उद्योग प्रभावित हुआ है। वर्तमान में दूसरे स्थानों पर कपड़े की बिक्री कम हो गई है। इससे घाटा न लाभ की स्थिति में कपड़े का उत्पादन किया जा रहा है।
-श्रीगोपाल सोनी, अध्यक्ष, राजस्थान पावरलूम एसोसिएशन।

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