बाजार में हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, कर्नाटक आदि से दुकानदार कपड़े लेकर आए हैं। इन पर लैदर जैकेट, शट्र्स, जिंस, स्वेटर, ब्लेजर, स्वेट शर्ट, मफलर, मौजे, ऊनी टोपी समेत कॉटन में भी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के कपड़े शामिल हैं।
तिब्बती बाजार में हिमाचल प्रदेश से आईं दुकानदार यंगचिन ने बताया कि वे करीब 10 साल से यहां दुकान लगा रही हैं। इससे शहर के लोगों को दूसरे प्रदेशों का बेहतरीन सामान कम दामों पर उपलब्ध हो जाता है, वहीं हमें भी रोजगार उपलब्ध हो जाता है।
उन्होंने बताया कि पहले भाव तय नहीं होते थे, लेकिन अब कुछ बरसों से एसोसिएशन की ओर से सभी सामान के भाव तय कर दिए गए हैं। इसलिए मोल-भाव नहीं किया जाता। सभी सामान तय भाव में ही बेचा जाता है। उन्होंने बताया कि यहां करीब तीन महीने दुकान लगाई जाती हैं। इसके बाद वे वापस लौटकर चावल आदि की खेती कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं।
मनाली से आए दुकानदार फुंसो रिंनजिन ने बताया कि वे तिब्बतन आर्मी सर्विस से सेवानिवृत्त हैं। पिछले करीब 8 साल से यहां दुकान लगा रहे हैं। इस तरह की देशभर में करीब 235 मार्केट शॉप हैं।
उन्होंने बताया कि वे मनाली में ही दुकान लगाते हैं। वहां अप्रेल, मई, जून में अच्छा सीजन रहता है, लेकिन नवम्बर, दिसम्बर व जनवरी के तीन महीनों में वहां सर्दी अधिक होने से पर्यटकों की संख्या कम हो जाती है और कारोबार मंदा हो जाता है। ऐसे में वे इन महीनों में दूसरे प्रदेशों का रुख करते हैं।
उन्होंने बताया कि यहां की दुकानें तिब्बत रिफ्यूजी ट्रेडर से पंजीकृत हैं। वहीं कर्नाटक से आईं तेनजिंग ने बताया कि वे पिछले तीन साल से यहां कपड़ों की दुकान लगा रही हैं। इस बार भी जैसे-जैसे अब सर्दी का असर बढग़ा वैसे-वैसे बिक्री में तेजी आती जाएगी। तब तक वे कपड़ों को बेहतर ढंग से सजाने में जुटे हैं।