कोविड-19 के चलते अब लॉकडाउन 4.0 में नियम और शर्तों के साथ मार्बल एरिया में औद्योगिक गतिविधियां चालू हैं। फैक्ट्रियों में गैंगसा पर मार्बल और ग्रेनाइड ब्लॉक की चिराई हो रही है। वहीं गोदामों में भी मार्बल बिक्री से संबंधित कामकाज भी शुरू हो गया है। लेकिन दूसरी तरफ मार्बल एरिया में काम करने वाले उत्तरप्रदेश, बिहार और बंगाल एवं अन्य राज्यों के मजदूरों को घर भेजा जा रहा है। ऐसे में मजदूरों की कमी एक चुनौती बन सकती है।
मार्बल मंडी में बीते कुछ दिनों से औद्योगिक गतिविधियां शुरू कर दी गई। कई फैक्ट्रियों और गोदामों में कार्य भी शुरू हो गया। लेकिन दूसरी तरफ इच्छुक मजदूरों को भी इन दिनों घर भेजा जा रहा है। इसके लिए रोडवेज की बसों से उन्हें अजमेर भेजा जा रहा है और अजमेर से उन्हें ट्रेनों से अपने गन्तव्य स्थान पर भेजा जा रहा है। बड़ी संख्या में मजदूरों के उनके घर लौटने से मार्बल एरिया में मजदूरों की कमी सबसे बड़ी समस्या बन सकती है। इनमें से कई मजदूर तो अपने पूरे परिवार के सदस्यों के साथ अपने अपने घर लौट रहे है। घर जाने वाले मजदूरों की बढ़ती संख्या पर ध्यान देने की जरुरत है और यदि मजदूरों की कमी होती है तो यह एक समस्या भी बन सकती है।
मार्बल मंडी में बीते कुछ दिनों से औद्योगिक गतिविधियां शुरू कर दी गई। कई फैक्ट्रियों और गोदामों में कार्य भी शुरू हो गया। लेकिन दूसरी तरफ इच्छुक मजदूरों को भी इन दिनों घर भेजा जा रहा है। इसके लिए रोडवेज की बसों से उन्हें अजमेर भेजा जा रहा है और अजमेर से उन्हें ट्रेनों से अपने गन्तव्य स्थान पर भेजा जा रहा है। बड़ी संख्या में मजदूरों के उनके घर लौटने से मार्बल एरिया में मजदूरों की कमी सबसे बड़ी समस्या बन सकती है। इनमें से कई मजदूर तो अपने पूरे परिवार के सदस्यों के साथ अपने अपने घर लौट रहे है। घर जाने वाले मजदूरों की बढ़ती संख्या पर ध्यान देने की जरुरत है और यदि मजदूरों की कमी होती है तो यह एक समस्या भी बन सकती है।
1300 से अधिक मजदूर गए किशनगढ़ के मार्बल एरिया से 11 मई से मजदूरों की इच्छा जताने पर उन्हें अपने गन्तव्य के लिए भेजना शुरू किया गया। बिहार के करीब 1000 मजदूर और यूपी के करीब 300 से ज्यादा मजदूर घर जा चुके है। अभी भी बिहार, मध्यप्रदेश और झारखड़ के कई मजदूर घर जाने के इच्छुक हैं और अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे है। इनमें से यूपी जाने वाले 79 मजदूरों को सोमवार को रोडवेज बस से अजमेर भेजा गया और यहां से ट्रेन से उन्हें यूपी रवाना किया गया।
खाली किए किराए के घर राज्य सरकार की ओर से नि:शुल्क घर भेजने की व्यवस्था के कारण घर जाने वाले मजदूरों की संख्या अधिक हो रही है। घर जाने का किराया नहीं लगने की वजह से वह इन दिनों घर जाने की इच्छा जता रहे हैं और घर लौट रहे है। कई मजदूरों ने बताया कि वह परिवार समेत यहां किराए के मकानों में रहते हैं और अब वह काफी लम्बे समय बाद अपने मूल घर जा रहे है।