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patrika sting: आप बेधड़क भेज सकते हैं राजस्थान रोडवेज बस में बम, कोई नहीं पूछेगा आपसे सवाल

locationकिशनगढ़Published: Apr 07, 2018 07:42:01 pm

Submitted by:

raktim tiwari

ड्राईवर और परिचालक पार्सल लेने के दौरान जिसे पार्सल देना है उसका नाम और मोबाइल नम्बर उस पर लिख देते हैं।

illegal parcel send in roadways

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सत्येंद्र शर्मा/संदीप सैनी/मदनगंज-किशनगढ़।

राजस्थान पथ परिवहन निगम की बसों में चलने वाले सवारी बस के ड्राईवर और परिचालक पार्सल के नाम कुछ भी ले जाने को तैयार है। वह इसके बदले मनमाफिक पैसे लेते हैं। फिर चाहे पार्सन में बम ही क्यों ना रखा हो। इसमें मुख्य बात यह है कि बसों के ड्राईवर और परिचालक पार्सल लेने के दौरान जिसे पार्सल देना है उसका नाम और मोबाइल नम्बर उस पर लिख देते हैं।
इसके बदले में बस का ड्राईवर और परिचालक पार्सल देने वाले व्यक्ति को अपना मोबाइल नम्बर और गाड़ी का नम्बर दे देता हैं। इस पर पार्सल देने वाला व्यक्ति जिसे पार्सल भेजा गया है उसे मोबाइल पर बस का नम्बर और ड्राईवर या परिचालक के मोबाइल नम्बर बता देता है। इससे बस के निर्धारित स्थान पर पहुंचने पर वह व्यक्ति वहां पर पहुंच कर पार्सल ले लेता है।
इसके बदले वह ड्राईवर या परिचालक को मनमाफिक राशि वसूलते हैं। इससे न केवल रोडवेज को राजस्व की हानि हो रही है, बल्कि रोडवेज में सवार यात्रियों की जान पर भी खतरे की आशंका बनी रहती है। राजस्थान पत्रिका टीम के संवाददाता सत्येंद्र शर्मा ने फोटोग्राफर संदीप सैनी के साथ रोडवेज बसों में भेजे जाने वाले पार्सल की पड़ताल कर खुलासा किया।
यात्रियों की सुरक्षा को भी खतरा
सवारी बस के पार्सल में क्या भेजा जा रहा है और क्यों भेजा जा रहा है। इसके बारे में किसी प्रकार की जानकारी नहीं होती है। इससे यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बना रहता है। इसमें कोई भी विस्फोटक चीज आदि रखकर भेजा जा सकता है। इससे कभी भी हादसा हो सकता है।
यात्री के बराबर लेते हैं पार्सल का किराया
रोडवेज बस के चालक और परिचालक पार्सल के बदले किराए के बराबर राशि वसलूते हैं। जानकारों की मानें तो अजमेर तक पार्सल पहुंचाने के बदले 30 रुपए, जयपुर के 100, कुचामन के 80 रुपए और ब्यावर के लिए 100 रुपए और पाली के लिए 150 रुपए तक वसूलने से नहीं चूकते हैं।
केस एक 3.47 बजे
नगर के पुराना बस स्टैण्ड पर अजमेर की ओर से रोडवेज बस आकर ठहरी। बस के ठहरते ही एक युवक पार्सल लेकर ड्राईवर के पास पहुंचा। ड्राईवर ने उससे पार्सल लिया और अपने पास रख लिया। हालांकि बस के ड्राईवर ने उससे पैसे नहीं लिए। पार्सल लेने वाला उस ड्राईवर को पैसे देगा।
केस दो 4.46 बजे
नगर के आर.के. पाटनी केन्द्रीय बस स्टैण्ड पर जयपुर की ओर से बस आकर ठहरी। बस को अजमेर जाना था। इस दौरान एक युवक मोटर साइकिल पर पार्सल लेकर पहुंचा। उसने बस के ड्राईवर को अजमेर में पार्सल देने के लिए पकड़ाया। युवक ने ड्राईवर से मोबाइल न?बर लिए और चलता बना।
केस तीन 4.51 बजे
नगर के केन्द्रीय बस स्टैण्ड पर जयपुर से आकर ब्यावर की ओर जा रही थी। बस के स्टैण्ड पर ठहरते ही एक युवक मोटरसाइकिल से दो पार्सल लेकर पहुंचा। उसने परिचालक से मोल-भाव किया और दोनों पार्सल को बस की डिक्की में रखवा दिया। पार्सल रखते ही बस रवाना हो गई।
केस चार 4.56 बजे
नगर के केन्द्रीय रोडवेज बस स्टैण्ड पर बस आकर ठहरी। बस जयपुर से पाली की ओर जा रही थी। बस के ठहरते ही एक युवक बाइक पर पार्सल लेकर पहुंचा। उसने ड्राईवर को पार्सल पकडाया। इसके बाद ड्राईवर बस से उतरा और युवक से पैसे लिए और कुछ ही देर में वह पाली के लिए रवाना हो गया।
पत्रिका व्यू
राजस्थान पथ परिवहन निगम वैसे ही घाटे से जूझ रही है। रोडवेज बस के ड्राईवर और परिचालक बिना बिल के पार्सल को ले जाते हैं। इसके बदल में मन माफिक रुपए वसूलते हैं। पार्सल में कुछ भी रखकर भेजा जा सकता है। ऐसे में कभी भी हादसा हो सकता है। इसकी रोकथाम के लिए रोडवेज बस की विजिलेंस टीम की ओर से चैकिंग के दौरान पार्सल आदि की चैकिंग भी की जानी चाहिए। चालक पार्सल को अपनी सीट के नीचे या पीछे रखते हैं, जबकि परिचालक पार्सल को डिक्की में रखवाते हैं।

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