मृतक का भाई दिलीप जाट 6 मार्च को शाम को गांधीनगर थाने पहुंचा और उसने पुलिस के समक्ष भाई पुखराज की हत्या होने की संदेह जताया। दिलीप ने रामस्वरूप, लीला एवं दो तीन अन्य पर हत्या का शक जताया। गांधीनगर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। पुलिस ने रात को ही शक के आधार पर रामस्वरूप और लीला को हिरासत में ले लिया। पूछताछ में दोनों ने पुखराज जाट की हत्या करने और शव को पेट्रोल से जलाने की बात कबूल ली। पुखराज ने शव को टिकावड़ा के जंगल क्षेत्र में पेट्रोल से जलाने की बात भी कबूल ली।
मौके पर मिला नर कंकाल
एडिशनल एसपी किशनसिंह भाटी एवं डिप्टी गीता चौधरी मय जाप्ता शनिवार को आरोपिया के बताए टिकावड़ा की जगह पहुंचे। यहां करीब दो किलोमीटर की परिधि में शव की तलाश की पुलिस को क्षेत्र में ही एक नर कंकाल भी मिल गए।
एडिशनल एसपी किशनसिंह भाटी एवं डिप्टी गीता चौधरी मय जाप्ता शनिवार को आरोपिया के बताए टिकावड़ा की जगह पहुंचे। यहां करीब दो किलोमीटर की परिधि में शव की तलाश की पुलिस को क्षेत्र में ही एक नर कंकाल भी मिल गए।
22 फरवरी की रात को ही कर दी हत्या
प्रारंभिक पूछताछ में आरोपित रामस्वरूप में बताया कि लीला बजरंग कॉलोनी स्थित घर (पीहर) अकेली रहती थी। इस दौरान पुखराज भी कभी कभार लीला से मिलने आया करता था। 22 फरवरी की रात को भी लीला से पुखराज को घर बुला लिया। इसकी जानकारी लीला ने रामस्वरूप को दे दी। यहां पुखराज को बीयर पिलाई और मौके पाकर नशीला पदार्थ भी डाल दिया। आधी रात को रामस्वरूप ने धारदार हथियार से पुखराज के सिर पर वार किया और उसकी सोते हुई ही मौत हो गई। सुबह 23 फरवरी को रामस्वरूप ने कट्टे में पैक लाश को अपनी मोटरसाइकिल पर पीछे बांध लिया और लाश को ठिकाने लगाने के लिए रवाना हो गया। उसने अपने साथ पेट्रोल भी ले लिया। वह लाश को लेकर टिकावड़ा के जंगल क्षेत्र जहां मनरेगा के लिए गड्ढे खुदाई कार्य चल रहा था वहां पहुंचा और कट्टे समेत लाश को गड्ढे में पटक दिया। थोड़ी देर बाद ही उसने लाश पर पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी।
प्रारंभिक पूछताछ में आरोपित रामस्वरूप में बताया कि लीला बजरंग कॉलोनी स्थित घर (पीहर) अकेली रहती थी। इस दौरान पुखराज भी कभी कभार लीला से मिलने आया करता था। 22 फरवरी की रात को भी लीला से पुखराज को घर बुला लिया। इसकी जानकारी लीला ने रामस्वरूप को दे दी। यहां पुखराज को बीयर पिलाई और मौके पाकर नशीला पदार्थ भी डाल दिया। आधी रात को रामस्वरूप ने धारदार हथियार से पुखराज के सिर पर वार किया और उसकी सोते हुई ही मौत हो गई। सुबह 23 फरवरी को रामस्वरूप ने कट्टे में पैक लाश को अपनी मोटरसाइकिल पर पीछे बांध लिया और लाश को ठिकाने लगाने के लिए रवाना हो गया। उसने अपने साथ पेट्रोल भी ले लिया। वह लाश को लेकर टिकावड़ा के जंगल क्षेत्र जहां मनरेगा के लिए गड्ढे खुदाई कार्य चल रहा था वहां पहुंचा और कट्टे समेत लाश को गड्ढे में पटक दिया। थोड़ी देर बाद ही उसने लाश पर पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी।