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कड़ी-कचौरी के शौकिन है किशनगढ़ के लोग

locationकिशनगढ़Published: Jun 17, 2019 12:03:30 pm

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kali charan

यहां खा जाते 20 हजार कचौड़ी प्रतिदिनदो हजार लीटर के करीब पी जाते है कड़ीकिशनगढ़ में 150 के करीब चाट-पकौड़ी की दुकानें और ठेले

Kadi Kachori's

कड़ी-कचौरी के शौकिन है किशनगढ़ के लोग

हिमांशु धवल
मदनगंज-किशनगढ़. अजमेर के बाद अब किशनगढ़ के लोगों को भी कड़ी-कचौरी भाने लगी है। एक अनुमान के मुताबित किशनगढ़ के लोग प्रतिदिन करीब 20 हजार कचौड़ी खा जाते है और 2 हजार लीटर कड़ी पी जाते है।
किशनगढ़ में चाट-पकौड़ी की 150 के करीब छोटी और बड़ी दुकानें संचालित है। इसमें से 125 के करीब दुकान औरठेलों पर कड़ी-कचौरी की बिक्री होती है। यहां पर सुबह 8 बजे से लेकर रात्रि 12 बजे तक कचौड़ी मिलती है। दुकानों पर सुबह 8 बजे से कचौड़ी खाने के शौकीन पहुंच जाते है। कड़ी-कचौरी के बाद यहां पर समोसा और दाल पकवान की सर्वाधिक बिक्री होती है। पिछले दस सालों में यहां पर कड़ी-कचौरी खाने का चलन बढ़ा है। पहले इमली की चटनी के साथ कचौड़ी खाई जाती थी। हालांकि अभी भी कई दुकानदार कचौड़ी के साथ इमली की चटनी देते है। कुछ दुकानदार तो कड़ी कचौरी पर प्याज और मिर्च आदि डालकर देते है।
यहां पर होती सर्वाधिक बिक्री
नगर के रूपनगढ़ रोड ब्रिज के पास, मुख्य चौराहे, सुमेर सिटी, नया शहर, पुराना शहर, सरवाड़ी गेट, बस स्टैण्ड, मार्बल एरिया, हाउसिंह बोर्ड सहित कई स्थान जहां पर सर्वाधिक कड़ी-कचौरी की बिक्री होती है।
फैक्ट फाइल
– 150 करीब छोटी-बड़ी चाट पकौड़ी की दुकानें
– 125 दुकान और ठेलों कड़ी-कचौरी की बिक्री
– 150-160 कचौड़ी प्रतिदिन की बिक्री प्रति दुकान
– 10 से 15 लीटर एक दुकान पर कड़ी की बिक्री
कड़ी कचौरी का इसलिए बढ़ा चलन
नगर में कड़ी-कचौरी मुख्य रूप से सुबह नाश्ते के रूप में खाया जाता है। साथ ही यहां पर लेबर रोटी लेकर आती है और कड़ी -कचौरी के साथ वह खाना भी खा लेती है। इसके कारण इसका चलन बढ़ता जा रहा है। इसकी रेट भी 10 से 15 रुपए के बीच है।
साढ़े सात हजार के करीब समोसे की बिक्री
नगर में समोसे खाने वालों की सं?या कम है। मुख्य रूप से लड़कियों और महिलाओं को समोसे खाना अच्छा लगता है। इसके कारण यहां पर प्रतिदिन 7500 के करीब समोसों की बिक्री होती है।
20 साल से बेच रहे है कचौड़ी
नगर में पिछले दस सालों में ही कड़ी-कचौरी का चलन बढ़ा है। चटपटा खाने के शौकीन होने के कारण इसका चलन बढ़ता जा रहा है। इस काम से पिछले 20 सालों से जुड़ा हुआ हूं। पहले यहां पर कचौड़ी चटनी के साथ ज्यादा पसंद करते थे, अब ट्रेड बदल गया है।
– कैलाश चंद, दुकान संचालक
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