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kishangrh_एफसीआई का गेहूं बन सकता है वरदान

locationकिशनगढ़Published: Apr 09, 2020 12:04:35 pm

Submitted by:

kali charan

जरुरतमंदों के साथ ही सभी को वितरित किया जा सकता है गेहूं और आटा

kishangrh_एफसीआई का गेहूं बन सकता है वरदान

kishangrh_एफसीआई का गेहूं बन सकता है वरदान

मदनगंज-किशनगढ़.
लॉकडाउन अवधि में हरेक जरुरमंद तक गेहूं और आटा आसानी से उपलब्ध हो सकता है और इसमें भारतीय खाद्य निगम के भंडार में पड़े हजारा टन गेहूं का उपयोग भी लिया जा सकता है। जरुरत है तो बस एक पहल की। ताकि कोई जरुरतमंद परिवार या व्यक्ति, बेसहारा और निर्धन भूखा ना रहे और ना ही रसद सामग्री वितरण में आटे की कमी से आसानी से निपटता जा सके। ऐसे में खाद्य निगम के भंडार में पड़ा गेहूं किशनगढ़ ही नहीं बल्कि अजमेर जिलेभर के लिए वरदान साबित हो सकता है।
कई सामाजिक संस्थाएं, एनजीओ और कई व्यक्तिगत स्तर पर जरुरतमंदों को सुखी रसद सामग्री और भोजन के पैकेट वितरण कार्य में जुटे हुए है। इसमें भारतीय खाद्य निगम के गेहूं का उपयोग किया जा सकता है। इससे संस्थाओं पर खाना बनाने की लागत में कमी आ जाएगी और इस कार्य को सुचारू और अधिक समय तक चलाए जाने की संभावनाएं भी बनेगी। वर्तमान में सरकार की ओर से बीपीलए परिवारों को राशन की दुकानों के माध्यम से प्रति सदस्य के अनुसार नि: शुल्क गेहूं वितरित किया जा रहा है। वर्तमान में कई सामाजिक संगठन एवं एनजीओ, संस्थाओं और व्यक्तिगत स्तर पर भी खाना बनाकर वितरित किया जा रहा है। इन सभी को यदि गेहूं का वितरण कर दिया जाए तो इनकी लागत में कमी आ जाएगी और खाने के पैकेटों की संख्या बढ़ाई जा सकेगी। यह कार्य ना केवल शहरी क्षेत्र में बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी किया जा सकता है। भारतीय खाद्य निगम के पास गेहूं की काफी मात्रा में भंडार है।
तो कई जगह चल सकती है रसोई भी
आर्थिक तंगी के चलते नगर परिषद की रसोई बंद कर दी गई। इसे देखते हुए यदि नगर परिषद को भी भारतीय खाद्य निगम की ओर से गेहूं का आंवटन किया जाता है तो रसोई फिर से संचालित की जा सकती है और खर्च भी काफी कम आएगा। बाकी खर्च के लिए राशि जुटाने में प्रशासन को भी कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन जरुरत है तो केवल पहल की।
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