बड़ी बहन बीना ने उठाया परिवार के साथ रेणूका का जिम्मा
पिता की मौत के बाद बड़ी बहन बीना ने ना केवल खुद की पढ़ाई की, बल्कि घर खर्च के साथ बहनों की पढ़ाई भी कराई

मदनगंज-किशनगढ़.
पीसांगन देवीय दर्शन के साथ अपने एक साथी के साथ जा रहे पिता की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद परिवार पर कहर टूट गया। इस पर रेणूका की बड़ी बहन बीना ने हिम्मत नहीं हारी और लकवाग्रस्त मां की देखभाल, घर खर्च के साथ चार बहनों की भी पढ़ाई भी कराने का निर्णय लिया।
रेणूका कुमावत ने बताया कि 19 सितम्बर 2018 में पिता दामोदर कुमावत एवं इनके एक मित्र महेंद्र कुमार की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। पिता कंस्ट्रक्शन में ठेकेदारी करते थे और इससे ही परिवार का भरण पोषण करते थे। जबक मा सम्पतदेवी सालों से लकवाग्रस्त है। पिता की मौत के बाद परिवार पर मानो कहर टूट गया। अब परिवार के साथ ही लकवाग्रस्त मां की देखभाल का जिम्मा सबसे बड़ी बहन बीना कुमावत ने खुद के कंधों पर उठाया। बीना ने ना केवल खुद की पढ़ाई जारी रखी, बल्कि जयपुर में एक निजी कम्पनी में काम भी लग गई। यहीं नहीं बीना ने अपने से छोटी बहन टीना, रेणूका, राधिका और राघिनी की भी पढ़ाई भी पढ़ाई जारी रखी। यह सभी बहनें सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाई कर रही है। बीना खुद बी टेक फाइनल के साथ जयपुर में निजी कम्पनी में नौकरी कर रही है। टीना बीए स्नातक के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुटी हुई है। जबकि रेणूका 12 वीं, राधिका 9 वीं और राघिनी 3 कक्षा में अध्यनरत है। रेणूका के फोरेन स्टडी के लिए नामित होने पर मां समेत सभी पांचों बहनें खुश है। सभी चारों बहनें अपनी बहन रेणूका को अब विदेश जाते देखना चाहती है और अब सरकार की ओर से भेजे जाने के दिन का इंतजार भी करने लगी है।
कोशिश कभी नहीं हारती
मात्र 17 वर्षीय रेणूका का कहना है कि हमेशा अपना लक्ष्य ध्यान में रखते हुए लगातार कोशिश करते रहना चाहिए। मन से की गई कोशिश से एक दिन सफलता जरुर मिलती है। रेणूका ने बताया कि वह घर के कामों में बहनों का हाथ बंटाने के साथ ही प्रतिदिन 5 से 6 घंटे रोज नियमित रूप से पढ़ाई करती है।
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