Kishangarh: अंतरिक्ष में लगे सेटेलाइट से हवाई जहाज को मिलेंगे सिग्नल, आसानी से हवा में उड़ेंगे विमान
अंतरिक्ष में लगे सेटेलाइट सिस्टम से होगा हवा में विमानों का संचालन
इस आधुनिक तकनीक के माध्यम से इंडिगो एयरलाइंस ने सफलता पूर्वक किया ट्रायल, किशनगढ़ एयरपोर्ट पर विमान की हुई सुरक्षित और सफलतापूर्वक लेंडिंग
अमेरिका, जापान के बाद भारत बना तीसरा देश
किशनगढ़
Published: April 29, 2022 03:21:34 pm
मदनगंज-किशनगढ़.
अमेरिका और जापान के बाद अब भारत में भी अंतरिक्ष में लगे अपने सेटेलाइट सिस्टम के माध्यम से विमान आसानी से हवा में उड़ सकेंगे। यहीं नहीं इस आधुनिक तकनीक के माध्यम से ही विमान किसी भी और कही भी एयरपोर्ट पर आसानी से लेंडिंग या टेक ऑफ हो कर सकेंगे। भारतीय विमानपतन प्राधिकरण (एएसआई) ने इस नवीनतम एवं आधुनिक तकनीक के माध्यम से एशिया उप महाद्वीप में पहला और सफल ट्रायल गुरुवार को कर लिया और इंडिगो एयरलाइंस के विमान को बतौर ट्रायल के किशनगढ़ एयरपोर्ट पर आसानी से उतारा। इस पर विमान को वाटर सेल्यूट दिया गया। साथ ही सफलतापूर्वक रहे ट्रायल पर एयरलाइंस के अधिकारियों और एयरपोर्ट पं्रबधन के सदस्यों ने खुशियां मनाई एवं एक दूसरे को शुभकामनाएं दी।
विमानपत्तन निदेशक द्वारा बताया कि किशनगढ़ एयरपोर्ट के नाम एक और ऐतिहासिक उपलब्धी जुड़ गई है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के नवीनतम तकनीकी (गगन बेसड एलपीवी एप्रोच) का यह देश का पहला सफलतापूर्वक ट्रायल एरिशा प्रशांत क्षेत्र में पहली बार किशनगढ़ एयरपोर्ट पर इंडिगो एयरलाइंस की ओर से किया गया। यह तकनीकी लॉकोलाइजर परर्फोमेंस विद वरटिकल गाइडेंस (एसपीवी) पूर्णतयङ गगन पर आधारित है। इसमें खराब मौसम एवं कम विजिविलिटी कंडिशन में पूर्णत: एक्यूरेसी के साथ भी विमानों का संचालन किया जा सकेगा।
आत्म निर्भर भारत की ओर बढ़ते कदम
डायरेक्टर बी.एस. मीणा ने बताया कि भारतीय नागरिक उड्यन के लिए बहुत बड़ी कामयाबी है और आत्म निर्भर भारत की दिशा में बढ़ते मजबूती से कदम है। भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान के बाद अपनी एसबीएएस प्रणाली रखने वाला दुनिया का तीसरा देश बन गया है। गगन नागरिक उड्यन के लिए एक गेम चेंंजर साबित होगा। जो हवाई क्षेत्र के आधुनिकरण की ओर अग्रसर होगा। इससे विमानों की उड़ानों में होने वाली देरी, उड़ान सुरक्षा में सुधार और ईंधन की बचत भी होगी।
जीपीएस सिस्टम पर आधारित
यह आधुनिक तकनीकी टैम्परेचर इंडिपेंडेंट है यानि की इससे दुर्गम एअरपोर्ट पर भी विमान का सचंालन संभव होगा। वर्तमान की सभी फ्लाइट को ग्रराउंड बेस्ड इक्यूप्मेंट जैसे कि वीओआर, आईएलएस, डीएमई की सहायता से सहायता से संचालित होगा है। लेकिन यह तकनीक पूर्णतया जीपीएस पर आधारित है। भारत में एएआई वं ईएसरो ने मिल कर इस तकनीक को विकसीत किया। इससे अपने देश भारत के सथ पड़ौसी देशों को भी फायदा मिल सकेगा। यह ट्रायल एमओसीए, डीजीसीए, एएआई एवं इंडिगो के सम्मिलित प्रयास से किया गया।
यह रहे मौजूद
सफल ट्रायल के दौरान टीम के साथ किशनगढ़ एयरपोर्ट के निदेशक बी.एस. मीणा, एटीसी प्रभारी अनुराधा सुलानिया, विद्युत विभाग से आर.के. मीणा, सिविल प्रभारी खेमराज मीणा, संचार प्रभारी डी.के. मीणा, अग्निशमन प्रभारी पी.वी. खरोडे, टर्मिनल प्रभारी शशि भूषण शर्मा एवं निधि गोयल उपस्थित रहे।

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