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पावरलूम क्षेत्र अभी भी बदहाल

locationकिशनगढ़Published: May 13, 2019 11:07:16 am

Submitted by:

kali charan

कच्चे रास्तों के कारण आवागमन में होती परेशानीसमय पर नहीं उठता फैक्ट्रियों में से निकलने वाला कचरा

Powerloom area still bad

पावरलूम क्षेत्र अभी भी बदहाल

मदनगंज-किशनगढ़.
नगर के बीचोबीच पावरलूम क्षेत्र अभी भी बदहाल स्थिति में है। यहां आधारभूत ढांचे के अभाव का सबसे अधिक नुकसान श्रमिकों को होता है। साथ ही जहां आवासीय क्षेत्र है वहां भी क्षेत्रवासियों को परेशानी रहती है। कच्चे रास्ते और नियमित सफाई की कमी से श्रमिकों के स्वास्थ्य को जोखिम बना रहता है।
नगर के पावरलूम क्षेत्रों की हालत में अभी भी सुधार नहीं हुआ है। यहां कुछ रास्तों को छोड़कर अभी भी कच्चे ही बने हुए है। वहीं गंदे पानी के निकास के लिए नालियां भी नहीं बनी हुई है। कहीं है तो नालियां रूकी हुई है और कचरा भरा हुआ है। नियमित रूप से सफाई नहीं होने के कारण स्थायी परेशानी बनी रहती है। इस क्षेत्र की हालत सुधारे जाने की जरूरतों की ओर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है।
पक्की सड़कों का अभाव
इस क्षेत्र में अधिकतर पक्की सड़कों का अभाव है। रास्ते कच्चे होने के कारण आवागमन में परेशानी बनी रहती है। इससे सफाई में भी दिक्कत होती है। यहां पक्के नाले और नालियां भी नहीं है। इससे भी श्रमिकों और क्षेत्रवासियों की समस्या बढ़ जाती है। लगभग 40 साल से ऐसी ही स्थिति बनी हुई है।
नहीं होती नियमित सफाई
इस क्षेत्र में पावरलूम फैक्ट्रियों से निकलने वाला कचरा रास्तों में और खाली प्लाटों में डाला जाता है। यह कचरा नियमित रूप से नहीं उठाया जाता है। वहीं खाली प्लाटों में कचरे के ढेर एकत्रित हो जाते है। कई जगह तो इस कचरे को जला दिया जाता है जिससे प्रदूषण बढ़ता है।
बरसात में बढ़ जाती बीमारियां
इस क्षेत्र में कमजोर बुनियादी ढांचे के अभाव के कारण बरसात में स्थिति बिगड़ जाती है। कई स्थानों पर बदबू आने लगती है। इस क्षेत्र में श्रमिकों को इसी स्थिति में कार्य करना पड़ता है। इससे श्रमिकों में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
पावरलूम क्षेत्र बरसों से बदहाली की हालत में है। इसके रास्ते कच्चे है और यहां से कचरा भी नियमित नहीं उठता है। इस हालत के कारण मजदूरों को अधिक परेशानी होती है।
-लालसिंह
पावरलूम क्षेत्र में पक्की सड़कों और नालियों का अभाव है। यहां नियमित सफाई भी नहीं होती है। आधारभूत ढांचे के अभाव के कारण श्रमिकों को बीमारियों का डर रहता है।
-रघुवीर सिंह राठौड
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