किशनगढ़

मोक्ष धाम का सफर सेतु बनी रोडवेज

गंगा मैया में विसर्जन हो रही अस्थियां
एक अस्थि कलश के साथ दो परिजन को भेजा जा रहा हरिद्वार

किशनगढ़Jul 02, 2020 / 01:11 am

Narendra

मोक्ष धाम का सफर सेतु बनी रोडवेज

मदनगंज-किशनगढ़ (अजमेर)
कोविड-19 वायरस संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन अवधि में शुरू हुई सरकार की नि:शुल्क मोक्ष कलश स्पेशल रोडवेज बस सेवा दिवंगतों की अस्थियां मोक्षदायनी गंगा तक ले जाने में एक सेतु बनी हुई है। अजमेर डिपो और अजयमेरू डिपो आगार की अजमेर से हरिद्वार जाने के लिए दिवंगत के अस्थि कलश के साथ ही दो परिजन को भी सीट की उपलब्ध कराई जा रही है। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के आंकड़ों के अनुरूप अजमेर से हरिद्वार के लिए 11 रोडवेज बसों में परिजन अपने दिवंगत परिजन की अस्थियां के विसर्जन के लिए नि:शुल्क सफर कर चुके है।
राज्य सरकार के आदेश के बाद प्रदेशभर में राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम ने 30 मई से लॉकडाउन समय में ही दिवंगत व्यक्तियों की अस्थियां विसर्जन के लिए नि:शुल्क बस सेवा शुरू की। इसके बाद से ही अभी भी यह रोडवेज सेवा चालू है और इसमें परिजन अपने परिवार के दिवंगत सदस्य की अस्थियां विसर्जन के लिए अजमेर से हरिद्वार फ्री में आवागमन कर रहे है। अजमेर जिले से अब तक तकरीबन 218 दिवंगतों की अस्थि कलश इस सेवा के माध्यम से हरिद्वार ले जाए जा चुके और परिजन इन अस्थि कलश को पूरे धार्मिक विधि विधान से गंगा मैया में दिवंगत की अस्थियों का विसर्जन कर चुके है। जहां अजमेर डिपो की 5 रोडवेज बसों मेें 200 और अजयमेरू डिपो की 6 बसों में 237 परिजन अपने दिवंगत के अस्थि कलश को अजमेर से हरिद्वार ले जाया जा चुका है। सफर से पहले बस को सेनिटाइज किया जाता है।
ऑनलाइन बुकिंग

दिवंगत की अस्थि कलश हरिद्वार ले जाने के लिए ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था है। 50 क्षमता वाली रोडवेज बस में ऑनलाइन न्यूनतम 30 सीट या इससे कम ही बुक की जाती है। अजमेर से हरिद्वार आने और जाने दोनों तरफ की यात्रा मुफ्त है। यात्री जिस बस से जा रहे है वह उसी बस से पुन: लौट रहे है। अस्थियां विसर्जन के समय तक बस वहां खड़ी रहती है। तकरीबन 30 सीट बुक होने पर अजमेर रोडवेज बस स्टैंड से हरिद्वार के लिए शाम 4 बजे यह बस रवाना होती है।
अस्थि कलश को बिना टिकट सीट

अजमेर आगार प्रबंधन ने अस्थि कलश के लिए भी एक सीट आरक्षित की है। आरक्षित सीट का ना तो किराया लिया जा रहा है और ना ही टिकट काटा जा रहा है। हिन्दू मान्यता के अनुरुप अपने जो बिछुड गए, उनकी अस्थि कलश विसर्जन करने जाते समय उन्हें अपने साथ होना मानकर उनके लिए भी सीट बुक करवाकर टिकट लेने की परम्परा है। इस परम्परा के निर्वहन में आगार ने भी आगे बढ़कर सहयोग किया है ताकि पूरी परम्परा के अनुरूप अस्थि कलश को हरिद्वार तक का सफर सुगम हो सके।
परम्परा और सोशल डिस्टेंसिंग भी

रोडवेज बस में तीन सीटों के बीच एक सीट अस्थि कलश के लिए (खाली) और दो सीटों मेें एक सीट अस्थि कलश के लिए आरक्षित है। इससे ना केवल हिन्दू परम्परा पूरी हो रही है, बल्कि लम्बे सफर के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की भी पालना पूरी हो रही है।
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