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किशनगढ़

कोई दबा रहा है पैर तो कोई कर रहा है चाय-नाश्ते की मिन्नते

भादवे में भक्ति की बयार, भण्डारों में हो रही है जातरूओं की मनुहार

किशनगढ़Aug 21, 2019 / 07:50 pm

kali charan

कोई दबा रहा है पैर तो कोई कर रहा है चाय-नाश्ते की मिन्नते

कोई दबा रहा है पैर तो कोई कर रहा है चाय-नाश्ते की मिन्नते

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मदनगंज-किशनगढ़. भादवे के महीने भी नगर में भक्ति की बयार बह रही है। जहां देखो वहां बाबा रामदेव की भक्ति के तरह-तरह के नजारे दिख रहे है। कोई बाबा रामदेव के दर्शन करने वाले जातरूओं को खाना खिला रहा है, कोई पैर दबा रहा है, तो कोई मरहम पट्टी कर रहा है। एक के बाद एक भक्तों की मनुहार करने वालो की कहीं कमी नहीं है।
भाईसाहब आए हो तो खाना जरूर खाकर जाओ। भूख कम है तो नाश्ता कर लेना या गरमागरम चाय पी लेना। आप थक गए होंगे पैदल चलते-चलते थोड़ा आराम कर लो चलो आपके पैर दबा देते है। सेवा का यह भाव किसी वीआईपी के लिए नहीं है। बल्कि नगर में विभिन्न स्थानों पर बाबा रामदेव के भण्डारों में सेवा करने में लगे भक्तों का रामदेवरा जाने वाले यात्रियों के प्रति भाव है। वे ऐसे ही सत्कार कर रहे है। यात्रियों को अपने भण्डारे में सेवा का अवसर प्रदान करने का आग्रह कर रहे है।
सिटी रोड पर करीब 15 साल पहले महेन्द्र गोयल और उनके साथियों ने बाबा रामदेव के दर्शन करने जाने वाले जातरूओं के लिए भण्डारा प्रारंभ किया। यहां जातरूओं के भोजन, चाय, नाश्ते, मेडिकल और सोने तक की व्यवस्थाएं है। जैसे ही कोई जातरू या जातरूओं का दल भंडारे के सामने से निकलता है। गोयल ने बताया कि इसके लिए चढ़ावा भी नहीं लिया जाता है। उनके साथी ओम मेनावत, सुरेन्द्र अग्रवाल, दीपक गोयल और सेवा में लगे अन्य लोग उन्हें भण्डारे में आने को कहते है। यदि जातरू मना करते है तो भी उन्हें एक बार सेवा का अवसर देने की बात कहते है। यह सिलसिला दिन भर चलता रहता है। जातरूओं की भोजन, मेडिकल की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। पैदल यात्रित्रों के उनके पैर भी दबाए जाते है।
25 साल से चल रहा है भंडारा
गूंदोलाव तालाब सामने जलदाय विभाग के दतर के पास खिड़की चौक पर एक भंडारा करीब 25 सालों से चल रहा है। इस भंडारे में डालचंद लुहार, मिश्रीलाल दग्दी, मिश्रीलाल भाटी, सत्यानारायण वैष्णव, बी एल सोनी, मनोज नरूका, खेमचंद, छोटूजी, सहित कई युवा व बुजुर्ग जातरूओं की सेवा करते है।

मैं सवाईमाधोपुर जिले से दूसरी बार बाबा के पैदल जा रहा हूं। रोज हम करीब 6 0 से 70 किलोमीटर पैदल चलते है। रात को भण्डारे में आराम करते है। तड़के वापस निकल जाते है। रास्ते में कुछ देर रूकते है। लेकिन लबा विश्राम रात को ही करते है।
नाहर सिंह बनोटा
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भक्ति में शक्ति है कुछ दिन पहले बाबा रामदेव का नाम लेकर घर से पैदल निकला था। करीब 15 दिन में रामदेवरा पहुंच जाऊंगा। सारी शक्ति बाबा ही देते है। सातवीं बार पैदल जा रहा हूं। आगे भी जाता रहूंगा।
रामकेश मीणा कोडियाई
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मैं सातवी बार सवाईमाधोपुर से पैदल रामदेवरा जा रहा हूं। बाबा रामदेव के जाने के लिए बस इच्छा शक्ति की जरूरत है। बाकी सब व्यवस्था बाबा अपने आप कर देते है। कही कोई तकलीफ नहीं आती है।
कालूराम मीणा
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तड़के तीन बजे से चाय
रात को रूकने वाले यात्री तड़के निकल जाते है। तड़के तीन बजे से चाय बनना शुरू हो जाती है। सुबह 8 बजे से पहली पंगत लग जाती है। इसके बाद रात तक भट्टी चालू रहती है।
डालचंद लुहार भंडारा संचालक

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