वर्तमान में पावरलूम क्षेत्र को बिजली की दर 8 रुपए यूनिट पड़ती है। बिजली की दरें बढ़ाए जाने के साथ ही फिक्स चार्ज आदि भी बढ़ जाएंगे। इससे पावरलूम उद्योग की मुश्किलें और बढ़ जाएगी। राजस्थान को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में पावरलूम के लिए बिजली की दरें कम हैं। कई राज्यों में तो काफी कम हो रखी है। इसके कारण वहां का कपड़ा यहां तक आता है। मंदी और बिजली की दरें अधिक होने के कारण पावरलूम क्षेत्र की 20 प्रतिशत इकाइयां बंद पड़ी हुई हैं। वहीं अन्य इकाइयों की शिफ्टों में कटौती की जा चुकी है। इससे सबसे अधिक श्रमिकों की मजदूरी पर नकारात्मक असर पड़ा है।
रोजगार परक उद्योग पावरलूम क्षेत्र रोजगार परक उद्योग है। इससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तरीके से लगभग 10 हजार श्रमिकों को रोजगार मिलता है। इससे आसपास के गांवों और नगर के श्रमिकों को रोजगार मिल जाता है और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बल मिलता है।
मिल भी सकती है राहत राजस्थान पावरलूम एसोसिएशन अध्यक्ष श्रीगोपाल सोनी ने बताया कि हाल ही में मुख्य सचिव के साथ टैक्सटाइल उद्यमियों की बैठक हुई है। इस बैठक में उद्यमियों ने अन्य राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडू, उत्तरप्रदेश आदि का हवाला देते हुए बिजली की दरें कम करने की मांग की थी। इस पर कम से कम 1 रुपए यूनिट कम किए जाने का आश्वासन दिया गया है। यदि यह आश्वासन लागू किया जाता है तो पावरलूम क्षेत्र को कुछ राहत मिल जाएगी।
इस संबंध में राजस्थान पावरलूम एसोसिएशन किशनगढ़ के अध्यक्ष श्रीगोपाल सोनी ने कहा कि अभी बिजली की दरें सबसे अधिक है। राज्य सरकार से टैक्सटाइल के लिए बिजली की दर कम करने का आश्वासन मिला है। ऐसा होने पर कुछ राहत मिल सकती है।