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कब खुलेंगें किशनगढ़ के संत नागरीदास पैनोरमा के तालें

locationकिशनगढ़Published: Jun 18, 2019 11:16:06 am

Submitted by:

kali charan

एक करोड़ 40 लाख रुपए की लागत से हुआ पैनोरमा का निर्माणगत वर्ष तत्कालीन मु?यमंत्री ने सित?बर 2018 में किया था लोकार्पण

Saint Nagaridas Panorama of Kishangarh

कब खुलेंगें किशनगढ़ के संत नागरीदास पैनोरमा के तालें

मदनगंज-किशनगढ़. नगर के ऐतिहासिक गुंदोलाव झील के बीचों-बीच निर्मित मौखम विलास में संत नागरीदास पैनोरमा का लोकापर्ण के करीब आठ माह बाद भी यह आम जनता के लिए खुल पाया है। पैनोरमा के मुख्यद्ववार पर ताला लटका हुआ है। जबकि एक करोड 40 लाख रुपए की लागत से पैनोरमा का जीणोद्धार करवाया गया था।
राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण की ओर से कन्जर्वेशन एवं रेस्टोरेशन कार्य ऑफ संत नागरीदास पैनोरमा का जीर्णोद्धार करवाया गया। उक्त कार्य 6 अक्टूबर 2017 को शुरू हुआ। इस पर करीब 140 लाख रुपए खर्च हुए। इसके तहत पैनोरमा में भूतल स्थित बरामदों (नींव) एवं उपर बने कक्षों के जीर्णोद्वार एवं रंग रोगन समेत फर्श निर्माण कार्य किया गया। पैनोरमा में 22 थ्रीडी फाइबर मूर्ति, 4 टूडी फाइबर पैनल और 3 मार्बल की बड़ी मूर्ति लगाई गई। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 27 सितम्बर 2018 में जयपुर से ही प्रदेश में बने 16 पैनोरमा का लोकार्पण और 3 का शिलान्यास किया था। इसमें निम्बार्काचार्य पैनोरमा सलेमाबाद, संत नागरीदास पैनोरमा किशनगढ़ आदि का लोकार्पण किया था। इसके बाद से अभी तक इस पर ताले ही लटके हुए है। यह आमजनता के लिए नहीं खुल पाया है। इसके बावजूद जनप्रतिनिधि और न ही अधिकारी इस ओर ध्यान देना मुनासिब समझ रहे है।
यह हुई राशि खर्च
राज्य सरकार ने संत नागरीदास पैनोरमा के लिए 1 करोड़ 9 लाख 83 हजार रुपए से अधिक की राशि स्वीकृत की। लेकिन निर्माण कार्य की अधिकता के चलते करीब 30 लाख 86 हजार रुपए से अधिक की राशि और स्वीकृत की गई। ऐसे में अब करीब 1 करोड 40 लाख रुपए की लागत से पैनोरमा तैयार हुआ है।
ऐसा होना था इसका संचालन
पैनोरमा को उपखण्ड पर्यटन विकास समिति के माध्यम से संचालित किया जाना है। समिति की ओर से टिटक का निर्धारण करने, इनकी देख-रेख करने सहित सुविधाएं उपलब्धकराने की जिम्मेदारी थी, लेकिन अभी तक समिति का अभी अता-पता नहीं है।
पुलिया भी हुई क्षतिग्रस्त
मौखम विलास की ओर जाने वाली पुलिया भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। उसके निर्माण के लिए टेण्डर आदि आमंत्रित किए गए थे, लेकिन किसी के रूचि नहीं दिखाने के कारण वहभी ठंडे बस्ते में चली गई। पुलिया की एक ओर की दीवार पूरी तरह से टूटकर पानी में चली गई है। कंटिली झांडिय़ां उग गई है। हालांकि क्षतिग्रस्त पुलिया के चलते वहां पर वाहनों की आवाजाही को बंद कर दिया है।
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