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इंडियन कोस्ट गार्ड ने तूफान से सुरक्षित निकाला मछुआरों की नौकाएं

locationकोलकाताPublished: Sep 22, 2018 10:42:44 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

पारादीप तट गार्ड तक पहुंचाने में सफल, इंडियन कोस्ट गार्ड का जहाज सुजॉय समुद्री लहरों को चीरता हुआ मछुआरों की नौकाओं के समीप पहुंचा

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इंडियन कोस्ट गार्ड ने तूफान से सुरक्षित निकाला मछुआरों की नौकाएं

कोलकाता. ओडिशा में आए चक्रवाती तूफान डे के दौरान मछली पकडऩे के लिए समुद्र में गई मछुआरों की 2 नौकाओं को इंडियन कोस्ट गार्ड ने समुद्री लहरों की चपेट में आने से पहले ही सुरक्षित बचाने में सफलता हासिल कर ली। ओडिशा के तट में चक्रवाती तूफान डे की शुरुआत के बाद 20 सितंबर को इंडियन कोस्ट गार्ड को मछुआरों की 2 नौकाओं के समुद्री लहरों में फंसने की सूचना मिली थी। तूफान के बावजूद इंडियन कोस्ट गार्ड का जहाज सुजॉय समुद्री लहरों को चीरता हुआ मछुआरों की नौकाओं के समीप पहुंचा और उन्हें सुरक्षित पारादीप तट गार्ड तक पहुंचाने में सफल रहा। मछुआरों की 2 नौकाएं निर्मन और ओम मां पराबती में प्रत्येक में 7 लोग सवार थे। तूफान के दौरान समुद्र में न जाने की मौसम विभाग की ओर से लगातार चेतावनी दिए जाने के बावजूद समुद्र में मछली पकडऩे के लिए ये दोनों नौकाएं गई थीं। इंडियन कोस्ट गार्ड सू्त्रों ने बताया कि दोनों नौकाओं के साथ उसमें सवार सभी कर्मचारियों को सुरक्षित 21 सितंबर को पारादीप में लाया गया। समुद्र में तूफान की चपेट में आने से पहले ही दोनों नौकाओं की ओर से इंडियन कोस्ट गार्ड के पास राहत-बचाव अभियान की अपील की सूचना भेजी गई थी।
भारतीय तटरक्षक की स्थापना शांतिकाल में भारतीय समुद्र की सुरक्षा करने के उद्देश्य से 18 अगस्त 1978 को संघ के एक स्वतंत्र सशस्त्र बल के रूप में संसद द्वारा तटरक्षक अधिनियम,1978 के अंतर्गत की गई। ’वयम् रक्षाम यानी हम रक्षा करते हैं….भारतीय तटरक्षक का आदर्श वाक्य है। वर्तमान में इस बल की कमान इसके महानिदेशक अनुराग गोपालन थपलियाल के हाथ में हैं। भारत में तटरक्षक का आविर्भाव, समुद्र में भारत के राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार के भीतर राष्ट्रीय विधियों को लागू करने तथा जीवन और संपति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नई सेवा के तौर पर 01 फऱवरी 1977 को हुआ था। इस बात की आवश्यकता महसूस की गई कि नौसेना को इसके युद्धकालीन कार्यों के लिए अलग रखा जाना चाहिए तथा विधि प्रवर्तन के उत्तरदायित्व के लिए एक अलग सेवा का गठन किया जाए, जोकि पूर्णरूप से सुसज्जित तथा विकसित राष्ट्र जैसे संयुक्त राज्य अमरीका, संयुक्त राज्य इत्यादि के तटरक्षकों के तर्ज पर बनाई गई हो। सितम्बर 1974 में केएफ रूस्तमजी की अध्यक्षता में समुद्र में तस्करी की समस्याओं से निपटने तथा तटरक्षक जैसे संगठन की स्थापना का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया गया। इस समिति ने एक ऐसी तटरक्षक सेवा की सिफारिश की जोकि रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में नौसेना की तर्ज पर सामान्य तौर पर संचालित हो तथा शांतिकाल में हमारे समुद्र की सुरक्षा करे। 25 अगस्त 1976 को भारत का समुद्री क्षेत्र अधिनियम पारित हुआ। इस अधिनियम के अधीन भारत ने 2.01 लाख वर्ग किलोमीटर समुद्री क्षेत्र का दावा किया, जिसमें भारत को समुद्र में जीवित तथा अजीवित दोनों ही संसाधनों के अन्वेषण तथा दोहन के लिए अनन्य अधिकार होगा। इसके बाद मंत्रिमंडल द्वारा 01 फऱवरी 1977 से एक अंतरिम तटरक्षक संगठन के गठन का निर्णय लिया गया। 18 अगस्त 1978 को संघ के एक स्वतंत्र सशस्त्र बल के रूप में भारतीय संसद द्वारा तटरक्षक अधिनियम,1978के तहत भारतीय तटरक्षक का औपचारिक तौर पर उद्घाटन किया गया।

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