—- पानी के दुरुपयोग को कम करने के उपाय
अब दक्षिण कोलकाता में लगाया जाएगा वाटर मीटर (हैडिंग )
– कोलकाता नगर निगम कोलकाता
कोलकाता नगर निगम की ओर से दक्षिण कोलकाता के पांच वार्डों में पानी के मीटर स्थापित करेगा। प्राथमिक रूप में वाटर मीटर वार्ड नं 101, 102, 107, 108 और 110 में स्थापित किए जाएंगे। उत्तर कोलकाता के वार्ड 1 से 6 में पहले ही वाटर मीटर लगाए जा चुके हैं। हमने पहले से ही इन वार्डों में सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया है जिसमें जल आपूर्ति नेटवर्क, जनसंख्या, स्थलाकृति और औसत फ्लोटिंग आबादी का हिसाब किताब शामिल है। निगम सूत्रों ने बताया कि घरों में मीटर ही नहीं लगाए जाएंगे। ब्लॉक मीटरों को पाइपलाइन के साथ रणनीतिक स्थानों पर स्थापित किया जाएगा। कोलकाता में कुल जलापूर्ति पाइपलाइन 8,000 किमी के क्षेत्र को कवर करती है। उत्तर कोलकाता में केएमसी में 18000 पानी के मीटर होने चाहिए, जिनमें से 10000 पहले ही लगाए जा चुके हैं। कोलकाता जैसे बड़े शहरों में दैनिक जल अपव्यय कुल आपूर्ति का 15 प्रतिशत है।यहां पानी का अपव्यय अधिक है। हम यह भी पता लगाएंगे कि पानी कैसे और क्यों बर्बाद हो रहा है। यदि यह वितरण की समस्याओं, पाइपलाइन रिसाव या अन्य तकनीकी कारणों से पाया जाता है, तो उपाय किए जाएंगे।
अब दक्षिण कोलकाता में लगाया जाएगा वाटर मीटर (हैडिंग )
– कोलकाता नगर निगम कोलकाता
कोलकाता नगर निगम की ओर से दक्षिण कोलकाता के पांच वार्डों में पानी के मीटर स्थापित करेगा। प्राथमिक रूप में वाटर मीटर वार्ड नं 101, 102, 107, 108 और 110 में स्थापित किए जाएंगे। उत्तर कोलकाता के वार्ड 1 से 6 में पहले ही वाटर मीटर लगाए जा चुके हैं। हमने पहले से ही इन वार्डों में सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया है जिसमें जल आपूर्ति नेटवर्क, जनसंख्या, स्थलाकृति और औसत फ्लोटिंग आबादी का हिसाब किताब शामिल है। निगम सूत्रों ने बताया कि घरों में मीटर ही नहीं लगाए जाएंगे। ब्लॉक मीटरों को पाइपलाइन के साथ रणनीतिक स्थानों पर स्थापित किया जाएगा। कोलकाता में कुल जलापूर्ति पाइपलाइन 8,000 किमी के क्षेत्र को कवर करती है। उत्तर कोलकाता में केएमसी में 18000 पानी के मीटर होने चाहिए, जिनमें से 10000 पहले ही लगाए जा चुके हैं। कोलकाता जैसे बड़े शहरों में दैनिक जल अपव्यय कुल आपूर्ति का 15 प्रतिशत है।यहां पानी का अपव्यय अधिक है। हम यह भी पता लगाएंगे कि पानी कैसे और क्यों बर्बाद हो रहा है। यदि यह वितरण की समस्याओं, पाइपलाइन रिसाव या अन्य तकनीकी कारणों से पाया जाता है, तो उपाय किए जाएंगे।