तो बंगाल में 20 हजार जूट श्रमिकों की बदल जाएगी किस्मत
कोलकाताPublished: Oct 11, 2020 11:46:25 pm
बंगाल (West Bengal) सरकार को डेढ़ साल बाद जूट श्रमिकों की एक बार फिर याद आई है। राज्य के श्रम विभाग ने जूट मिल मालिकों के संगठन को पत्र लिखकर 10 हजार मजदूरों को स्थाई व अन्य 10 हजार को पदोन्नत करने निर्देश दिया है।
तो बंगाल में 20 हजार जूट श्रमिकों की बदल जाएगी किस्मत
कोलकाता.
जूट श्रमिकों की भलाई के लिए वर्ष 2019 के मार्च में त्रिपक्षीय बैठक में लिए गए फैसले को लागू करने के लिए राज्य का श्रम विभाग सक्रिय हुआ है। विभाग ने जूट मिल मालिकों के संगठन आईजेएमए को पत्र लिखकर 10 हजार जूट मिल श्रमिकों को स्थाई करने व 10 हजार बदली श्रमिकों की पदोन्नति के निर्देश दिए हैं।
हाल ही में जूट उद्योग के मसले पर हुई त्रिपक्षीय बैठक के बाद श्रम विभाग ने इस आशय का पत्र लिखा है। जिसमे जूट मिल मालिकों के संगठन से कहा गया है कि वे वे अगले डेढ़ महीनों के दौरान न सिर्फ 10 हजार कर्मियों को स्थाई करें बल्कि 10 हजार अस्थाई कर्मियों की पदोन्नति भी सुनिश्चित करें।
इसके साथ ही लॉकडाउन अवधि के दौरान मिल श्रमिकों के वेतन का भी भुगतान किया जाना चाहिए। इसके साथ ही राज्य सरकार ने जूट श्रमिक संगठनों की मांग मानते हुए सर्वोच्च अदालत में लॉकडाउन अवधि के दौरान केन्द्र के निर्देशों को लेकर हुए मामले में जल्द फैसला करने का आवेदन किया है।
वहीं दुर्गा पूजा के बोनस से संबंधित किसी भी आरोप पर तुरंत हस्तक्षेप करने का वायदा भी श्रम मंत्री ने किया है।
याद दिलाया गया है समझौता
श्रम विभाग के सूत्रों के मुताबिक आइजेएमए को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि जूट उद्योग की समस्या के समाधान के लिए पिछले वर्ष मार्च में जो त्रिपक्षीय बैठक हुई थी, उसमें 10 हजार अस्थाई श्रमिकों को स्थाई करने पर सहमति बनी थी। इसके साथ ही बदली श्रमिकों को पदोन्नति के जरिए स्पेशल बदली मजदूर किए जाने पर भी मालिक सहमत हुए थे। लेकिन इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। इसलिए अब अगले डेढ़ महीनों के भीतर 20 हजार श्रमिकों के मामले में जूट मिलों को निर्णय ले लेना होगा। श्रम विभाग को यह बताना होगा कि कौन सी जूट मिल कितने श्रमिकों को स्थाई करेग, कितने बदली श्रमिकों को स्पेशल बदली श्रमिक के तौर पर नियुक्त करेगी। यह सूची 15 दिनों के भीतर श्रम विभाग को दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
केन्द्र से नहीं मिली सहायता
आईजेएमएचेयरमैन राघवेंद्र गुप्ता ने कहा कि जूट उद्योग को बचाने के लिए केंद्र से किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं मिली है। जिसके कारण उद्योग संकट में है। मालिकों ने राज्य से लिखित तौर पर यह बात कही है कि श्रम दफ्तर को केंद्र के पास उनकी समस्याओं को मजबूती से रखना होगा।
श्रमिक संगठनों की मिली जुली- प्रतिक्रिया
राज्य सरकार के इस निर्णय पर श्रमिक संगठनों ने मिली जुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है। एआईटीयूसी के देवाशीष दत्त व सीटू के अनादि साहू का कहना है कि जूट मालिकों ने पिछले डेढ़ साल से त्रिपक्षीय समझौते को लागू नहीं किया। विधानसभा चुनाव आने से पहले सरकार की नींद खुली है। हम श्रमिक संगठनों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर मामले में पक्ष बनने की तैयारी पर विचार विमर्श कर रहे हैं।