माध्यमिक में कुल 50 हजार हिन्दी माध्यम के छात्र परीक्षा दे रहे हैं। मालूम हो कि कुल 100 अंकों की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए 25 अंक चाहिए, जिनमें 90 अंक लिखित परीक्षा व 10 अंक मौखिक परीक्षा के लिए होते हैं। हिन्दी प्रश्नपत्र के 90 अंकों की लिखित परीक्षा में 21 अंकों के प्रश्न तो पाठ्यक्रम के बाहर से आए हैं। माध्यमिक परीक्षार्थियों का कहना है कि प्रश्नपत्र सहज था पर 21 अंको के प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर के थे।
कौन कौन से प्रश्न से पाठ्यक्रम से बाहर प्रश्न संख्या – 1 में 3, 6 (1 अंक का प्रश्न)
प्रश्न संख्या – 2 में 6, 7, 10, 11 (1 अंक का प्रश्न) प्रश्न संख्या – 4 में खंड-क का 2 ( 5 अंक का प्रश्न)
प्रश्न संख्या- 5 में 1, 2 व 3 (5 अंक का प्रश्न)
प्रश्न संख्या – 2 में 6, 7, 10, 11 (1 अंक का प्रश्न) प्रश्न संख्या – 4 में खंड-क का 2 ( 5 अंक का प्रश्न)
प्रश्न संख्या- 5 में 1, 2 व 3 (5 अंक का प्रश्न)
कुल अंक – 21
—————————— माध्यमिक परीक्षार्थियों ने जताया रोष
प्रथम भाषा के प्रश्नपत्र में इतने प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर से आने के कारण समस्या हो गई। हम पूरा पाठ्यक्रम पढक़र आए थे, पर बाहर से प्रश्न आएंगे। इसका अंदाजा न था। अब क्या अंक मिलेंगे इसकी चिन्ता है। प्रथम भाषा के दिन ही इतनी बड़ी गड़बड़ी हो गई।
—————————— माध्यमिक परीक्षार्थियों ने जताया रोष
प्रथम भाषा के प्रश्नपत्र में इतने प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर से आने के कारण समस्या हो गई। हम पूरा पाठ्यक्रम पढक़र आए थे, पर बाहर से प्रश्न आएंगे। इसका अंदाजा न था। अब क्या अंक मिलेंगे इसकी चिन्ता है। प्रथम भाषा के दिन ही इतनी बड़ी गड़बड़ी हो गई।
– आयुष कुमार सिंह, श्री जैन विद्यालय
——————— प्रथम भाषा के हिन्दी प्रश्न पत्र में सवाल पाठ्यक्रम से बाहर थे। सोचा नहीं था कि जीवन की पहली बड़ी परीक्षा में ऐसा होगा। पाठ्यक्रम के अनुसार परीक्षा की तैयारी की थी। अब अंक क्या मिलेंगे पता नहीं।
– आयुष कुमार मिश्रा,
——————— प्रथम भाषा के हिन्दी प्रश्न पत्र में सवाल पाठ्यक्रम से बाहर थे। सोचा नहीं था कि जीवन की पहली बड़ी परीक्षा में ऐसा होगा। पाठ्यक्रम के अनुसार परीक्षा की तैयारी की थी। अब अंक क्या मिलेंगे पता नहीं।
– आयुष कुमार मिश्रा,
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पहली परीक्षा में 21 अंकों के प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर आएं है। प्रश्न पत्र में 30 फीसदी अंकों के सवाल तो कोई हल ही नहीं कर सकता। अब शेष 70 फीसदी में कितना भी बेहतर करो, अंक क्या मिलेंगे, इसका भरोसा नहीं।
पहली परीक्षा में 21 अंकों के प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर आएं है। प्रश्न पत्र में 30 फीसदी अंकों के सवाल तो कोई हल ही नहीं कर सकता। अब शेष 70 फीसदी में कितना भी बेहतर करो, अंक क्या मिलेंगे, इसका भरोसा नहीं।
– अमन पाठक
—————————– अगर प्रश्न पत्र में प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर से न होते हो शायद परीक्षा बहुत अच्छी होती। उम्मीद के अनुसार परीक्षा अच्छी नहीं रही। पहले ही दिन निराश हो रही है। ऐसा लगता था कि हिन्दी की परीक्षा सबसे अच्छी होगी पर ऐसा नहीं हुआ।
-देवांश कटारिया
—————————– अगर प्रश्न पत्र में प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर से न होते हो शायद परीक्षा बहुत अच्छी होती। उम्मीद के अनुसार परीक्षा अच्छी नहीं रही। पहले ही दिन निराश हो रही है। ऐसा लगता था कि हिन्दी की परीक्षा सबसे अच्छी होगी पर ऐसा नहीं हुआ।
-देवांश कटारिया
————————- प्रथम भाषा के प्रश्नपत्र में इतने प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर से आने के कारण समस्या हो गई। पाठ्यक्रम पढक़र आने का भी कोई फायदा नहीं। मालूम नहीं था कि बाहर से प्रश्न आएंगे। अब हिन्दी में क्या अंक मिलेंगे इसकी चिन्ता है। प्रथम भाषा की परीक्षा ऐसी रही तो बाकी विषयों में क्या होगा पता नहीं।
– विशाल मंडल
– विशाल मंडल
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प्रथम भाषा के हिन्दी प्रश्न पत्र में कुल 21 अंक के प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर थे। माध्यमिक परीक्षा में ऐसा होगा यह सोचा भी नहीं था। परीक्षा में एक एक अंकों के लिए सोचना पड़ता है। अब अंक क्या मिलेंगे समझ नहीं आ रहा है।
प्रथम भाषा के हिन्दी प्रश्न पत्र में कुल 21 अंक के प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर थे। माध्यमिक परीक्षा में ऐसा होगा यह सोचा भी नहीं था। परीक्षा में एक एक अंकों के लिए सोचना पड़ता है। अब अंक क्या मिलेंगे समझ नहीं आ रहा है।
– अनुप पांडेय