मानसिक रोग से बीमार लोगों की संख्या में 22 प्रतिशत का इजाफा
देश में तेजी से बढ़ रही मानसिक बीमारियों के लिए कोरोना महामारी ने कोढ़ में खाज का काम किया है। सभी उम्र के लोगों में मानसिक विकार की समस्या बढ़ा दी। नतीजा डिप्रेशन और चिंता के मामलों में एक चौथाई से अधिक (करीब 22 फीसदी) का इजाफा हुआ है। हर आयु वर्ग में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या बढ़ी है। महिलाएं और युवा ज्यादा पीडि़त हुए हैं। नौकरी खोने की चिंता, संक्रमण का डर समेत तमाम अनिश्चितताएं लोगों की मानसिक सेहत पर भारी पड़ी।
कोलकाता
Published: February 17, 2022 12:45:40 am
महामारी: महिलाएं और युवा ज्यादा पीडि़त
रवीन्द्र राय
कोलकाता. देश में तेजी से बढ़ रही मानसिक बीमारियों के लिए कोरोना महामारी ने कोढ़ में खाज का काम किया है। सभी उम्र के लोगों में मानसिक विकार की समस्या बढ़ा दी। नतीजा डिप्रेशन और चिंता के मामलों में एक चौथाई से अधिक (करीब 22 फीसदी) का इजाफा हुआ है। हर आयु वर्ग में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या बढ़ी है। महिलाएं और युवा ज्यादा पीडि़त हुए हैं। नौकरी खोने की चिंता, संक्रमण का डर समेत तमाम अनिश्चितताएं लोगों की मानसिक सेहत पर भारी पड़ी।
एक अध्ययन के मुताबिक करीब 20 करोड़ लोग या हर सातवां भारतीय किसी न किसी तरह की मानसिक बीमारी से ग्रस्त है। भारतीय चिकित्सा शोध परिषद (आईसीएमआर) के अध्ययन में पता चला है कि 5 करोड़ लोग आम मानसिक विकार अवसाद और 4.50 करोड़ लोग बेचैनी से पीडि़त हैं। जबकि 10 करोड़ लोग अन्य मनोरोग (सिजोफ्रिनिया, आचरण संबंधी रोग और ऑटिज्म) से पीड़ित हैं। जबकि मानसिक विकार से संबंधित प्रोफेशनल्स की भारी कमी है।
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अवसादग्रस्त होकर सबसे ज्यादा खुदकुशी
मानसिक विकारों के चलते देश में लगभग 700 लोग रोजाना मौत को गले लगा लेते हैं। 15-39 साल के लोग अवसादग्रस्त होकर सबसे ज्यादा खुदकुशी करते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य में समस्या के कारण भारत को 2012 और 2030 के बीच 1.03 ट्रिलियन अमरीकी डालर का आर्थिक नुकसान होने की आशंका है। पीड़ित व्यक्ति की कार्य क्षमता कम हो जाती है।
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मानसिक विकारों की बड़ी वजह
घरेलू दुव्र्यवहार, हिंसा, बेरोजगारी, पारिवारिक विवाद, परीक्षा का दबाव, वित्तीय संकट आदि से मानसिक विकार बढ़े हैं। मानसिक विकार किसी भी उम्र, लिंग, स्थान और जीवन स्तर पर हो सकता है। जबकि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है। सामाजिक भय के कारण भी लोग इस बारे में खुलकर बात नहीं कर पाते हैं। देश में उपचार का अंतर 70 फीसदी है। अर्थात इतने फीसदी लोग बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं।
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इस मानसिक रोग से ज्यादा पीडि़त
डिप्रेशन (अवसाद), एंग्जाइटी (चिंता) और सिजोफ्रेनिया से लोग ज्यादा पीड़ित हैं। केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मणिपुर और पश्चिम बंगाल में चिंता विकारों की समस्या अधिक है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा पीडि़त हैं। 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में विकारों का खतरा अधिक है।
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बीमारी के लक्षण
डिप्रेशन, चिंता, कमजोर याददाश्त, भय व चिंता होना, थकान और सोने में समस्याएं होना, वास्तविकता से अलग हटना, दैनिक समस्याओं से निपटने में असमर्थ होना, समस्याओं और लोगों के बारे में समझने में समस्या होना, हद से ज्यादा क्रोधित होना आदि मानसिक बीमारी के लक्षण हैं।
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संसाधनों की कमी
ंसाधनों में कमी के चलते केंद्र ने राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है। इसके लिए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में कुल 40 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। देश के अलग-अलग हिस्सों के 23 टेली मानसिक स्वास्थ्य केंद्र इसमें शामिल होंगे।
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इनका कहना है
देश में जागरूकता बढ़ाने, सामाजिक लांछन को खत्म करने और समय पर इलाज बहुत जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सामान्य चिकित्सा सेवाओं में शामिल कर चाहिए। अगर किसी को लगातार चिंता-तनाव है। अवसाद का अनुभव करता है उसे तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। बीमारी गंभीर हो तो काउंसलिंग करवानी चाहिए।"
डॉ. अरविंद ब्रह्मा, महासचिव, इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी

मानसिक रोग से बीमार लोगों की संख्या में 22 प्रतिशत का इजाफा
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