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40 BABIES BORN AT GANGASAGAR MELA-गंगासागर मेले में इस बार गूंजी 40 किलकारियां

locationकोलकाताPublished: Jan 17, 2020 10:37:53 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

40 babies born at Gangasagar Mela, says CM Mamata, बोलीं सीएम, यह जानकर उन्हें बहुत अच्छा लगा, आउट्रम घाट में हफ्तेभर चले सेवा शिविरों का समापन

40 BABIES BORN AT GANGASAGAR MELA-गंगासागर मेले में इस बार गूंजी 40 किलकारियां

40 BABIES BORN AT GANGASAGAR MELA-गंगासागर मेले में इस बार गूंजी 40 किलकारियां

कोलकाता. गंगासागर मेले के समापन पर 40 बच्चों का जन्म हुआ। इसमें ज्यादातर जन्म देनेवाली महिलाएं पश्चिम बंगाल के बाहर हिंदी भाषी प्रदेशों की थी। उधर गंगासागर मेले में भाग लेने वाले तीर्थयात्रियों की सेवार्थ महानगर के बाबूघाट के समीप आउट्राम घाट में लगे सेवा शिविरों का समापन शुक्रवार को हो गया। इस बार यहां सेवा शिविर 8 जनवरी से शुरू हो 17 जनवरी तक जारी रहा। उधर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि गंगासागर मेले के समापन पर 40 बच्चों का जन्म हुआ, इसबार लगभग 55 लाख तीर्थयात्रियों ने गंगासागर में डुबकी लगाई। ममता ने कहा कि केंद्र सरकार के योगदान के बावजूद बंगाल सरकार ने बखूबी वार्षिक मेले का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि यह जानकर उन्हें बहुत अच्छा लगा कि 40 बच्चे गंगासागर मेले में पैदा हुए।
अनेक संस्थाएं तीर्थयात्रियों की सेवार्थ सक्रिय रही
आउट्राम घाट में कुछ सामाजिक संस्थाओं की ओर से १० तो कुछ की ओर से 11 जनवरी से शिविर शुरू किया गया था। अखिल भारतीय क्षत्रिय समाज की ओर से सागरद्वीप में लगाए सेवा शिविर में गंगासागर तीर्थयात्रियों की सेवा की गई तो राष्ट्रीय बिहारी समाज से लेकर हरियाणा नागरिक संघ समेत अनेक संस्थाएं तीर्थयात्रियों की सेवार्थ सेवा शिविर कार्यों में सक्रिय रही। तीर्थयात्रियों के लिये सेवा शिविर में आवास, भोजन, दूध, चाय-नाश्ता, प्राथमिक चिकित्सा आदि की व्यवस्था के साथ उन्हें गर्म कपड़े आदि भी वितरित किए गए। हर साल गंगासागर मेले के दौरान लगने वाले सेवा शिविरों में देश के विभिन्न प्रांतों से तीर्थयात्रियों में देश ही नहीं विदेशों से भी अनेक तरह के साधु-संत, नागा बाबा सागर में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे। गंगासागर जाने से पहले सभी ने आउट्रम घाट में बनने वाले अस्थाई सेवा शिविरों में निवास किया। यहां से सभी तीर्थयात्री 14 जनवरी को गंगासागर के लिए रवाना हुए और फिर वापस 15 को यहां आकर कुछ दिन रहने के बाद अपने-अपने गंतव्य स्थलों के लिए प्रस्थान किया। इस बार पिछले साल की तुलना में ज्यादा लगभग श्रद्धालु जुटे। इस बार फिजिकल नहीं बल्कि डिजिटल सिक्योरिटी पर ज्यादा जोर दिया गया था। वाई-फाई, सीसीटीवी, इंटरनेट, सोशल मीडिया के जरिए हर पल पल की नजर रखी गई।
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