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‘बंगाल में 438 बच्चे रोजाना करते हैं तंबाकू पदार्थों का सेवन’

locationकोलकाताPublished: Mar 12, 2019 10:04:49 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

हर साल 1.5 लाख तंबाकू संबंधी रोगों के कारण असामयिक मौत के शिकार—-पश्चिम बंगाल को तंबाकू मुक्त बनाने की मुहिम—-नारायणा सुपरस्पेश्यलिटी हॉस्पिटल हावड़ा, हेल्थ फाउंडेशन का पत्रकार सम्मेलन

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‘बंगाल में 438 बच्चे रोजाना करते हैं तंबाकू पदार्थों का सेवन’

कोलकाता. पश्चिम बंगाल में 2.3 करोड़ लोग धूम्रपान-धूम्ररहित तंबाकू का उपयोग करते हैं, हर साल 1.5 लाख लोग तंबाकू संबंधी रोगों के कारण असामयिक मौत के शिकार होते हैं और 438 बच्चे रोजाना तंबाकू पदार्थों का सेवन करते हैं। इसके अलावा पूरी दुनिया में आज भारत मुख कैंसर की राजधानी के रूप में विख्यात है। पश्चिम बंगाल को तंबाकू मुक्त बनाने की मुहिम में नारायणा सुपरस्पेश्यलिटी हॉस्पिटल हावड़ा, विंडोज फिल्म प्रोडक्शन्स के सहयोग से संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) की ओर से मंगलवार को प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में विशेषज्ञों ने यह चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए। उन्होंने बंगाल की इस गंभीर हालत पर गहरी चिंता जताते हुए भावी पीढ़ी को तंबाकू पदार्थोंं के सेवन से निजात दिलाने का आह्वान किया। नारायणा सुपरस्पेश्यलिटी हॉस्पिटल हावड़ा के वरिष्ठ प्रमुख और गला सर्जन डॉ. सौरव दत्त, इसी अस्पताल के कैंसर सर्जन डॉ. हर्ष धर, फिल्म निर्माता शिवोप्रसाद मुखर्जी, संबंध हेल्थ फाउंडेशन के प्रोजेक्ट हेड दीपक छीब्बा और डॉ. सुमन मल्लिक ने पत्रकार सम्मेलन को संबोधित किया। इस मौके पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाकर सभी तरह के तंबाकू उत्पादों के सेवन से होने वाली जानलेवा बीमारियों की जानकारी दी गई। विशेषज्ञों ने बताया कि तंबाकू उत्पादों में 2 हजार से भी ज्यादा ऐसे केमिकल्स होते हैं, जिससे कैंसर की आशंका बनी रहती है। ९० फीसदी फेफड़े के कैंसर धूम्रपान से होता है। उन्होंने बताया कि बंगाल में 15 साल की आयु वाले किशोरों में हर 3 तंबाकू पदार्थों का इस्तेमाल करता है। शहरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में हालत और गंभीर है, जहां हर १० में 4 ग्रामीण तंबाकू का सेवन करते हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि तम्बाकू का उपयोग सिगरेट-बीड़ी, जर्दा, खैनी के रूप में धूम्ररहित तंबाकू के रूप में किया जाता है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे ( जीएटीएस) 2016-17 के अनुसार, बंगाल में 2.3 करोड़ वयस्कों में 33.5 प्रतिशत (48.5 प्रतिशत पुरुष और 17.9 प्रतिशत महिलाएं) धूम्रपान या धूम्रपान रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं। सर्वेक्षण के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान के कारण धुएं के संपर्क में आने वाले व्यस्कों का प्रसार 22.5 प्रतिशत है। मुखर्जी ने कहा कि चूंकि फिल्में बहुत लोगों को प्रभावित करती हैं, इसलिए हमने इस माध्यम का उपयोग अपनी आगामी फिल्म, कोंथो में तंबाकू उपयोग के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए किया है। तंबाकू विरोधी स्कूली अभियान के लिए विंडोज फिल्म प्रोडक्शंस, नारायणा हॉस्पिटल्स और संबंध हेल्थ फाउंडेशन के साथ सहयोग करने के लिए स्कूली शिक्षा विभाग की वे सराहना करते हैं। स्कूली शिक्षा विभाग ने बच्चों को तंबाकू विरोधी शपथ दिलाने के साथ राज्य-व्यापी तंबाकू विरोधी अभियान शुरू किया था। अभियान के दौरान राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में छात्रों ने तंबाकू विरोधी शपथ ली थी। शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने 2 जनवरी को तंबाकू विरोधी पहल की शुरुआत की थी।स्कूली बच्चों में जागरुकता, स्कूलों को तंबाकू मुक्त बनाने और अन्य गतिविधियों को संचालित करने के लिए वैधानिक संकेतों से युक्त तंबाकू विरोधी अभियान शुरू करने की घोषणा की गई थी। पहले चरण में कोलकाता, हुगली, बैरकपुर और सिलीगुड़ी जैसे जिले शामिल किए गए थे। कैंसर सर्जन डॉ. हर्ष धर ने कहा मुंह कैंसर के शिकार लगभग 50 प्रतिशत मरीज एक वर्ष से अधिक जीवित नहीं रह पाते। डॉ. धर ने कहा कि धूम्रपान से होने वाले खतरों में कैंसर, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, हृदय रोग, स्ट्रोक आदि शामिल हैं, जबकि धूम्रपान के धुंए में शामिल जोखिमों में कैंसर, अस्थमा और बच्चों में कान के संक्रमण हैं।

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